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November 19, 2024

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राजनीतिक दलों ने आरक्षण का लॉलीपॉप दिखा अतिपिछड़ों को छला-लौटनराम निषाद

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  • “कब पूरा होगा भाजपा का मछुआरा दृष्टिपत्र का वादा”

लखनऊ । भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने 5 अक्टूबर, 2012 मावलंकर ऑडिटोरियम नई दिल्ली में फिशरमैन विजन डाक्यूमेंट्स/मछुआरा दृष्टि पत्र जारी करते हुए वादा किया था कि 2014 में भाजपा सरकार बनने पर आरक्षण की विसंगति को दूर कर मछुआरा जातियों को एससी/एसटी का लाभ दिलाया जाएगा। पर अभी तक भाजपा ने अपना वादा पूरा नहीं किया।योगी जी सांसद रहते हुए कई बार सँसद में निषाद जातियों को अनुसूचित जाति का दिए जाने की मांग उठाये।पर, अब चुप्पी साध लिए हैं।विकासशील इंसान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौ.लौटनराम निषाद ने भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक दलों ने अतिपिछड़ों को आरक्षण का लॉलीपॉप दिखाकर छलावा ही किया।भाजपा की डबल इंजन सरकार ने इस समय आरक्षण नहीं दिया तो भविष्य में उस पर कत्तई विश्वास नहीं किया जा सकता।राजनीतिक दल अतिपिछड़ी जातियों को सिर्फ वोटबैंक समझती हैं।किसी भी दल ने इनके साथ सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक न्याय नहीं किया।

वीआईपी अध्यक्ष ने कहा कि 10 मार्च, 2004 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी ने निषाद, मल्लाह, केवट, बिन्द, धीवर, कहार, तुरहा, मांझी, रैकवार, कुम्हार, राजभर आदि जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने बावत केन्द्र सरकार को प्रस्ताव व 31 दिसम्बर,2004 को इठनोग्राफिकल सर्वे रिपोर्ट भेजवाये। मायावती जी ने भी 4 मार्च, 2008 को उक्त 17 अतिपिछड़ी जातियों सहित नोनिया, लोनिया, चौहान, बंजारा, बियार आदि को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के लिए प्रस्ताव पत्र प्रधानमंत्री के नाम भेंजी।

2004 से 2014 तक सपा व बसपा कांग्रेस नीत सरकार को समर्थन देती रही,पर आरक्षण कोटा नहीं दिलवाये।कांग्रेस भी अब तब करती रही।कांग्रेस व भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण मुद्दे को शामिल किए।जब सभी दल चाहते हैं,तो अतिपिछड़ी जातियों के साथ न्याय क्यों नहीं हो रहा।

देश की राजधानी दिल्ली का मल्लाह व पश्चिम बंगाल का मल्लाह, केवट,बिन्द, चाई, तियर, कैवर्त अनुसूचित जाति में तो उत्तर प्रदेश के मल्लाह, केवट, बिन्द, धीवर, कहार, गोंदिया, रायकवार क्यों नहीं। उन्होंने क्षेत्रीय भेदभाव दूर करने की मांग किया है।उन्होंने कहा कि सवर्ण जातियों को 72 घण्टे में संविधानिक व्यवस्था के विरुद्ध आर्थिक आधार पर दे दिया गया तो 17 अतिपिछड़ी जातियों को क्यों नहीं?

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