गरियाबंद जिले में बदहाल शिक्षा व्यवस्था – कहीं पेड़ के नीचे तो कहीं झोपड़ी में जहरीले सर्प बिच्छू के बीच भविष्य गढ़ने आदिवासी क्षेत्र के बच्चे मजबूर शिक्षा विभाग के अफसर बेखबर
1 min read- शेख हसन खान, गरियाबंद
- ग्राम लेड़ीबहार में जहरीले सर्प और जीव जन्तुओं के बीच मासूम बच्चे पढ़ाई करने विवश भवन की हालत बेहद जर्जर
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 24 वर्षो बाद भी गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र में विशेष पिछड़ी जनजाति कमार आदिवासी बच्चों को पढ़ाई करने के लिए एक अदद स्कूल भवन नसीब नहीं हो पा रहा है। इससे यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग को करोड़ों रूपये की बजट जारी करने के बाद भी विभाग के अफसरो द्वारा शिक्षा के प्रति कितना ध्यान दिया जा रहा है। यह आसानी से समझा जा सकता है और तो और मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के कई स्कूल भवन निर्माण के लिए 20 वर्ष पहलेे लाखो रूपये की राशि जारी किए गये हैं। लेकिन आज तक स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। इन स्कूल भवनों का निर्माण क्यों नही हो पाया है।
इसका आज तक न जांच हुआ न कोई कार्यवाही हुई बल्कि शिकायत होने पर संबंधित विभाग द्वारा मामलो की निपटारा कागजी स्तर पर कर दिया जाता है जिसके कारण विशेष पिछड़ी कमार जनजाति आदिवासी बच्चों को मजबूरन कही पेड़ के नीचे या फिर झोपड़ी में अपना सुनहरा भविष्य गढ़ना पड़ रहा है क्षेत्र के लोगो ने अब इस मामले में नाराजगीय व्यक्त करते हुए बकायदा संबंधित स्कूलों का फोटो मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र के माध्यम से प्रेषित कर शिकायत कर कार्यवाही की मांग किया जायेगा। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा विशेष पिछड़ी कमार जनजाति आदिवासियों के विकास और उत्थान के लिए दर्जनो योजनाए संचालित किया जा रहे हैं लेकिन क्या इन सरकारी योजनाओं का लाभ धरातल में ग्रामीणों को मिल पा रहा है या नहीं इसे देखने वाला कोई नहीं है। मैनपुर विकासखण्ड के दर्जन भर से ज्यादा स्कूल भवन नहीं होने के कारण या भवन जर्जर होने के कारण खुले आसमान के नीचे या फिर झोपड़ी में बच्चे पढ़ाई करने विवश हो रहे हैं।
मैनपुर से 12 कि.मी. दूर ग्राम पंचायत दबनई के आश्रित ग्राम लेड़ीबहार में सन 2000 में शिक्षा गरंटी योजना के तहत एक कमरे का स्कूल भवन खेतो के बीच निर्माण किया गया है यह भवन पूरी तरह जर्जर हो गया है स्कूल भवन तक पहुंचने में बारिश के दिनो में बच्चों को खेतो के मेड़ो से जान जोखिम मे डालकर जाना पड़ता है स्कूल भवन इतना जर्जर है कि बारिश के पानी स्कूल भवन के भीतर डबरा की तरह भर जाता है खेतों के बीच जर्जर भवन होने के कारण आए दिनो जहरीले सर्प नाग और करायत स्कूल के अंदर घुस जाता है। इस वर्ष दो माह के भीतर शिक्षको के द्वारा एक दर्जन से ज्यादा जहरीले सर्प को स्कूल से निकाला गया है। ग्रामीण परसराम मरकाम, मोहनलाल, प्रेमलाल मरकाम,हुमनसिंह ठाकुर,जोहर ओटी, नारायण ओटी, खेमबाई ने बताया अभी तक पिछले चार-पांच वर्षो में कोई भी अधिकारी कर्मचारी और जनप्रतिनिधि इस गांव में नही पहुंचा है जबकि मैनपुर सेे मात्र 12कि.मी. दूरी पर लेड़ीबहार ग्राम है। कई बार स्कूल की समस्या को लेकर मैनपुर बीईओ कार्यालय में आवेदन दे चूके है लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी कोई ध्यान नही देते जिसके कारण भवन जर्जर होने और लगातार जहरीले सर्प निकलने से बच्चों के सुरक्षा के कारण स्कूल का संचालन खुला रंगमंच में किया जा रहा है।भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं गरियाबंद कलेक्टर को जर्जर स्कूल और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के उदासीन रवैये की शिकायत करने की तैयारी कर रहे हैं।
कुल्हाड़ीघाट ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम जो पहाड़ी के ऊपर बसा है विशेष पिछड़ी कमार जनजाति ग्राम ताराझर, कुर्वापानी, मटाल, भालूडिग्गी यहा शासन द्वारा लगभग 15 से 20 वर्ष पहले प्राथमिक शिक्षा के लिए स्कूल तो खोला गया है लेकिन इन ग्रामो मे पढ़ाई करने वाले छात्र -छात्राओं के लिए स्कूल भवन का निर्माण आज तक नही किया गया है जिसके कारण खुले आसमान के नीचे विशेष पिछड़ी आदिवासी कमार बच्चे अपने सुनहरे भविष्य गढ़ रहे हैं। ताराझर प्राथमिक शाला मे 20 छात्र- छात्राएं हैं। भवन निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था लेकिन आज तक 15 वर्षो मे पूरा नहीं हुआ, कुर्वापानी मे स्कूल भवन ही नहीं है। भालूडिग्गी मे एक भवन टीनशेड का बनाया गया था जिसे दो साल पहले जंगली हाथियों के दलों ने तोड़फोड़ कर तहस -नहस कर दिया। यही स्थिति ग्राम मटाल की है इन चारो स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक की तैनाती की गई है लेकिन भवन नहीं होने के कारण खुले आसमान के नीचे या फिर किसी ग्रामीण के झोपड़ी मे कक्षाएं संचालित हो रहा है। ऐसा नही कि इसकी जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारियो को न हो हर बार बैठक मे यहां स्कूल भवन निर्माण के लिए कार्ययोजना तो बनाया जाता है लेकिन अभी तक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया गया है।
- क्या कहते हैं विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी
विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी मैनपुर महेश पटेल ने बताया इन स्कूलो के बारे में जानकारी लेने के बाद भी कुछ बता पाऊंगा।