आरक्षण व संविधान को खत्म करना संघ व भाजपा का गुप्त एजेंडा – लौटन राम निषाद
1 min readनिषाद, बिन्द, लोधी, यादव, पासी,जाटव के साथ भाजपा कर रही राजनीतिक उपेक्षा
लखनऊ,26 अक्टूबर,2019 । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व भाजपा का गुप्त एजेंडा आरक्षण व संविधान को खत्म करना है। उक्त प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चैधरी लौटन राम निषाद ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत संविधान व आरक्षण को खत्म करने के काम में जुट गये हैं।नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से किसी न किसी तरह से आरक्षण को निष्प्रभावी किया जा रहा है।उत्तर प्रदेश के जातिगत समीकरण में निषाद (मल्लाह, केवट, बिन्द, धीवर, धीमर, कहार, गोडिया, रायकवार आदि) – 12.91 प्रतिशत, जाटव-11.48 प्रतिशत, पासी-3.87 प्रतिशत, यादव-8.6 प्रतिशत, लोधी/किसान/खागी-4.01 प्रतिशत हैं। लेकिन इतने बड़े संख्या वाली जातियों के साथ भाजपा ने सौतेला व्यवहार कर राजनीतिक उपेक्षा का शिकार बनाया है।उक्त जातियों का कोई भी उत्तर प्रदेश के कैबिनेट में नहीं है। जबकि ये हिन्दूधर्म की सबसे बड़ी अलम्बदार बनती हैं।
निषाद ने कहा कि यदि आर.एस.एस. व भाजपा सामाजिक न्याय व आरक्षण का समर्थक हैं, तो ओबीसी की जनगणना उजागर कर एससी व एसटी की भांति हर स्तर पर समानुपाती आरक्षण की व्यवस्था को लागू करें। उन्होने कहा कि सेंसस-2011 के अनुसार एससी, एसटी, धार्मिक अल्पसंख्यक, ट्रांसजेंडर, दिव्यांग आदि की जनगणना उजागर कर दी गई परन्तु, मोदी सरकार ने ओबीसी की जनगणना को साजिशन छिपा दिया। उन्होने ओबीसी को कार्यपालिका में समानुपाती आरक्षण कोटा के साथ ओबीसी, एससी, एसटी को विधायिका, न्यायपालिका व पदोन्नति में जनसंख्यानुपात में आरक्षण कोटा दिये जाने की मांग की।निषाद ने मण्डल कमीशन की सभी सिफारिशों को लागू करने, राष्ट्रीय न्यायिक सेवा आयोग का गठन कर यूपीएससी व पीएससी की प्रतियोगी परीक्षा के पैटर्न पर परीक्षा के माध्यम से न्यायाधीशों का चयन करने की मांग किया है। उन्होने कहा कि न्यायाधीशों के कोलेजियम से पक्षपात होता है। इसी का परिणाम है कि कुछ ही परिवारों का उच्च न्यायपालिका में दखल है। ओबीसी आरक्षण को एससी, एसटी की भांति क्रीमीलेयर के प्रतिबन्ध से मुक्त करने, नवी अनुसूची में दर्ज करने, बैकलाॅग भर्ती के माध्यम से ओबीसी, एससी व एसटी का कोटा पूरा करने की मांग किया है। सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों, उपक्रमों व निजी क्षेत्रों में आरक्षित वर्ग को आरक्षण देने की मांग के साथ-साथ संविदा व आउट सोर्सिंग के माध्यम से होने वाली भर्तियों में भी आरक्षण नीति का पालन करने की मांग किया है। उन्होने कहा कि जब जूनियर व सीनियर ज्यूडिशियरी में आरक्षण है तो हायर ज्यूडिशियरी में क्यों नहीं ?