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नियमों का उल्लंघन करने वाले विद्यालयों पर प्रथम बार 50 हजार रूपए, दूसरी बार एक लाख रूपए और उसके बाद ली गई फीस का चार गुना जुर्माना

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रायपुर, 28 अगस्त 2020

विधानसभा के मानसून सत्र में आज छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन विधेयक 2020 बहुमत से पारित हुआ। अब स्कूलों में फीस तय करने अभिभावक की समिति बनाई जाएगी, वहीं निजी स्कूल में फीस तय करेगी।

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि पालकों की शिकायत को दूर करने और फीस को नियंत्रित करने विधेयक लाया गया है। फीस पर नियंत्रण रखने के लिए तीन समिति बनाई जाएंगी। यह समिति स्कूल स्तर पर, जिला स्तर पर और राज्य स्तर पर बनाई जाएगी। मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि विद्यालय फीस समिति कलेक्टर की अध्यक्षता में होगी। इस समिति में कलेक्टर द्वारा नामांकित नोडल अधिकारी, प्राथमिक शाला, माध्यमिक शाला, उच्च माध्यमिक शाला और उच्चतर माध्यमिक स्कूल से एक-एक अभिभावक सदस्य होंगे। संबंधित अशासकीय विद्यालय के प्राचार्य सदस्य सचिव होंगे।

इसी प्रकार कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला फीस समिति होगी। इस समिति के सदस्यों कलेक्टर द्वारा नामांकित एक लेखा अधिकारी अथवा कोषालय अधिकारी, एक शिक्षाविद्, एक कानूनविद्, अशासकीय विद्यालय के दो अभिभावक सदस्य, अशासकीय विद्यालयों के प्रबंधक के दो व्यक्ति सदस्य होंगे। जिला शिक्षा अधिकारी इस समिति के सदस्य सचिव होंगे।

राज्य फीस समिति के अध्यक्ष स्कूल शिक्षा विभाग के भारसाधक मंत्री होंगे। समिति में आयुक्त या संचालक लोक शिक्षण, संचालक लोक शिक्षण के वित्त नियंत्रक अथवा संयुक्त संचालक वित्त सदस्य होंगे। स्कूल शिक्षा विभाग के भारसाधक सचिव इस समिति के सदस्य सचिव होंगे।

विद्यालय प्रबंधन समिति के सभी सदस्य व्यक्तिगत तथा संयुक्त रूप से अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने के लिए जिम्मेदार होंगे। यदि विद्यालय प्रबंधन समिति इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के किसी प्रावधान का उल्लंघन करती है तो विद्यालय प्रबंधन समिति का प्रत्येक सदस्य सक्षम न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध होने पर प्रथम उल्लंघन के लिए 50 हजार रूपए या इस अधिनियम के अधीन सक्षम समिति द्वारा निर्धारित फीस के आधिक्य में ली गई रकम का दोगुना, जो भी अधिक हो, का जुर्माना लिया जाएगा। प्रत्येक पश्चातवर्ती उल्लंघन के लिए एक लाख रूपए या इस अधिनियम के अधीन सक्षम समिति द्वारा निर्धारित फीस के आधिक्य में ली गई रकम का चार गुना जो भी अधिक हो, का जुर्माना लिया जाएगा। इस धारा के अंतर्गत प्रकरणों का विचारण सक्षम न्यायालय द्वारा किया जाएगा।

अधिनियम के अंतर्गत समितियों में नामांकित सदस्यों का कार्यकाल सामान्य रूप से दो वर्ष का होगा, परन्तु कलेक्टर द्वारा उन्हें किसी भी समय बिना कारण बताए कार्यकाल समाप्ति के पूर्व भी हटा सकेंगे। गठित समिति के सदस्यों को किसी भी प्रकार के वेतन अथवा भत्तों की पात्रता नहीं होगी।

राज्य फीस समिति अशासकीय विद्यालय द्वारा ली जाने वाली फीस के संबंध में नीति निर्धारित कर सकेगी और अन्य समितियां इस प्रकार निर्धारित नीति के अनुरूप फीस निर्धारित करेंगी। राज्य फीस समिति अन्य समितियों के लिए सामान्य निर्देश जारी कर सकेगी, जो इन समितियों पर बंधनकारी होंगी।

इस अधिनियम के प्रारंभ होने के पूर्व से संचालित समस्त अशासकीय विद्यालयों का प्रबंधन इस अधिनियम के प्रारंभ होने के एक माह के भीतर और इस अधिनियम के प्रारंभ होने के एक माह बाद खुलने वाले समस्त अशासकीय विद्यालयों का प्रबंधन ऐसे अशासकीय विद्यालयों के खुलने के तीन माह के भीतर अशासकीय विद्यालयों के द्वारा ली जाने वाली फीस के अनुमोदन हेतु प्रस्ताव विद्यालय फीस समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगी। यह समिति प्रस्ताव पर अपना निर्णय एक माह के भीतर लेगी। एक बार सक्षम समिति द्वारा फीस का अनुमोदन हो जाने के बाद, यदि अशासकीय विद्यालय का प्रबंधन फीस बढ़ाना चाहे तो उसे शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के कम से कम 6 माह पूर्व, सुसंगत अभिलेख सहित अधिनियम के तहत गठित विद्यालय फीस समिति के समक्ष फीस बढ़ाने का प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा। समिति यथा संभव तीन माह के भीतर फीस बढ़ाने के प्रस्ताव पर निर्णय देगी।

अभिभावक संघ, फीस निर्धारण के संबंध में अभ्यावेदन गठित विद्यालय फीस समिति के समक्ष प्रस्तुत कर सकेगी और यह समिति, फीस निर्धारण पर निर्णय लेते समय ऐसे अभ्यावेदनों पर भी विचार करेगी। समिति द्वारा निर्धारित फीस की सूचना नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाएगी। अधिनियम के अंतर्गत गठित समितियां, फीस निर्धारण के प्रयोजन से संबंधित विद्यालयों से लेखा एवं अन्य अभिलेख मंगा सकेंगी। यह समितियां फीस निर्धारण के प्रयोजन से विद्यालय प्रबंधन एवं अभिभावकों की भी सुनवाई कर सकेंगी। इन समितियों को लेखा तथा अभिलेख मंगाने और सुनवाई के लिए व्यक्तियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होंगी। विद्यालय फीस समिति अशासकीय विद्यालय के प्रबंधन के प्रस्ताव तथा अभिभावक संघों के अभ्यावेदनों पर विचार एवं विद्यालय के लेखों एवं अभिलेखों का परीक्षण करने के पश्चात् विद्यालय की फीस का निर्धारिण करेंगी तथा फीस का निर्धारण करते समय अशासकीय विद्यालय के प्रबंधन द्वारा विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जाने वाले सुविधाओं का ध्यान रखेंगी। विद्यालय फीस समिति विद्यालय की वर्तमान फीस में अधिकतम 8 प्रतिशत तक की वृद्धि का अनुमोदन कर सकेंगी। परन्तु यदि समिति की राय में वर्तमान फीस में 8 प्रतिशत से अधिक वृद्धि किया जाना आवश्यक हो तो वह अपनी अनुशंसा के साथ प्रस्ताव जिला फीस समिति को अग्रेषित करेगी और विद्यालय फीस समिति से ऐसा प्रस्ताव प्राप्त होने पर जिला फीस समिति यथासंभव तीन माह के भीतर, उस पर निर्णय करके फीस का निर्धारण करेगी। अशासकीय विद्यालयों का प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत गठित सक्षम समिति द्वारा निर्धारित की गई फीस से अधिक फीस नहीं लेगी।

विद्यालय प्रबंधन अथवा अभिभावक संघ द्वारा धारा 3 के अंतर्गत गठित विद्यालय फीस समिति के निर्णय के विरूद्ध अपील, निर्णय के संसूचित होने के 30 दिवस के भीतर जिला फीस समिति के समक्ष की जा सकेगी। यह समिति यथासंभव तीन माह के भीतर अपील पर निर्णय करेगी। और समिति द्वारा अपील में लिया गया निर्णय अंतिम होगा। अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों के अनुरूप अशासकीय विद्यालय अभिलेखों का संधारण करेगा।

राज्य शासन द्वारा अधिनियम के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिए नियम बनाएगी। इस अधिनियम के अंतर्गत गठित समितियों के सदस्यों के नामांकन एवं हटाए जाने, समितियों की कार्यसचांलन की प्रक्रिया एवं उनके द्वारा रखे जाने वाले अभिलेख, अशासकीय विद्यालय प्रबंधन द्वारा फीस निर्धारण के लिए समिति को दिए जाने वाले प्रस्ताव का प्रारूप और अशासकीय विद्यालयों द्वारा फीस के संबंध में संधारित किए जाने वाले अभिलेखों के लिए नियम बना सकेगी।

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