रूपसिंग साहू ने संस्कृति मंत्री को लिखा पत्र, लोक कलाकार को पेंशन राशि व राशनकार्ड जल्द बनाने की आग्रह
- मुड़ागांव (कोरासी)
गरियाबंद जिला के रूपसिंग साहू सामाजिक कार्यकर्ता एवं कार्यकारी अध्यक्ष छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ युवा प्रकोष्ठ रायपुर संभाग ने छत्तीसगढ़ राज्य के संस्कृति मंत्री माननीय अमरजीत भगत जी एवं सचिव कमलप्रीत सिंह जी एवं संचालक संस्कृति विभाग टोपनोजी व छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखकर लोक कलाकार को पेंशन राशि एवं राशनकार्ड जल्द बनाने की विचार कर एवं आग्रह किया. छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को समृद्ध बनाने में अपना जीवन अर्पित करने वाले लोग कलाकार आज दाने दाने के लिए मोहताज हो रहे हैं कभी लोक कला मंच की दुनिया में सितारा बनकर चमकने वाला यह लोग कलाकार आज लाचारी बेबसी व अभाव में जिंदगी बसर करने में मजबूर है. सरकार की ओर से इन कलाकारों की सुध लेने की सख्त जरूरत है. ऐसे में राज्य के लोक कलाकार आर्थिक स्थिति बदतर हो गई है. ऊपर से इस कोरोनावायरस संक्रमण काल ने तो पेंशन धारी लोक कलाकार को और मुश्किल में डाल दिया है.
- नया छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद भी लोक कलाकारों की दशा में सुधार नहीं हो सका. शारीरिक रूप से असहाय हो चुके कलाकारों को जीवन यापन करने के लिए तकलीफ हो रही है. प्रदेश में गिनती के लोक कलाकार को पेंशन का लाभ मिल रहा है जबकि सैकड़ों ऐसे लोक कलाकार है जिन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है यहां तक राशन कार्ड नहीं बना पाए हैं. लोक कलाकार से मिली आंकड़ों के मुताबिक महज प्रदेश के 100 के आसपास पेंशन धारी लोक कलाकार पंजीकृत है जिनमें राज्य के नाचा गम्मत पंडवानी करमा ददरिया भरतरी सुवा रामायण राउत नाचा जैसे विधाओं के ख्याति प्राप्त लोक कलाकार से लेकर स्थानीय स्तर के कलाकार शामिल है जो 65 साल से अधिक उम्र के हो चुके हैं.
इन लोग कलाकारों को प्रति महीने 2000 पेंशन प्रदान करने की राज्य सरकार का निर्णय है लेकिन आज के तारीख और बढ़ती महंगाई को देखते हुए राज्य सरकार को कम से कम 5000 कर देना चाहिए. इधर संस्कृति विभाग में 5000 से अधिक लोक कलाकार संस्कृति विभाग में पंजीकृत है. मिली जानकारी के अनुसार, कई कलाकार ऐसे हैं लकवा से ग्रसित एवं बीपी शुगर के मरीज बने हुए हैं. गरीबों के दिन गरीबी में काट रहे हैं दिन इलाज के अभाव में आखिरी दिन काट रहे हैं. सरकार की ओर से ना पेंशनर इलाज के लिए किसी प्रकार आर्थिक सहायता या सहयोग राशि नहीं मिल पा रहा है. इस स्थिति को देखते हुए इनके परिवार की माली हालात इतनी खराब है कि ईलाज तक नहीं करा पा रहे हैं. कमी रंगमंच से गीतों व सुरों के रंग भरने वाला लोक कलाकार अंतिम समय में बेहद ही गरीबी जीवन व्यतीत करने में मजबूर है. आज छत्तीसगढ़ के लगभग 28 जिलों में सभी जगह ग्रामीण अंचलों में लोक कलाकार अपना कला का निखार कर रहे हैं. ऐसे में नए आने वाले लोक कलाकारों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा प्रदेश में लोक कलाकारों की जो दुर्दशा है उसे देखकर युवा कलाकारों के सामने बड़ी चुनौती है. संस्कृति मंचन नाचा गम्मत व दूसरी विद्या की कला पार्टियों बिकने की कगार पर पहुंच गई है अब लोक कलाकार रोजी रोटी के लिए एक दूसरे के काम धंधे में लग जा रहे हैं. इसे उभरते हुए लोक कलाकार को खुद को लोक कला क्षेत्र के में स्थापित करने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है लेकिन राज्य सरकार व स्थानीय प्रशासन की ओर से इलाज राशन आवास पेंशन राशन कार्ड आदि को लेकर किसी भी तरह के मदद नहीं हो पा रहा है।