इन शिक्षकों को सलाम जो जान जोखिम में डालकर बच्चों के भविष्य संवारने पहुंचते हैं स्कूल
मैनपुर । आज 5 सितम्बर को देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्म दिन को पुरे देश में शिक्षक दिवस के रूप मे मनाया जाता है। आज हम ऐसे शिक्षकों के बारे में उनके साहस और मेहनत को बताना चाह रहे हैं जो आदिवासी क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा देने अपने जान को जोखिम में डालकर विशाल नदी को पार कर पिछले 13 वर्षों से स्कूल पहुंच रहे हैं। ऐसे शिक्षकों आज हम सलाम करते है।
गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर तहसील मुख्यालय से लगभग 38 किलोमीटर दूर ग्राम पायलीखण्ड में शासकीय प्राथमिक और मीडिल स्कूल है। इस स्कूल में पहुंचने से पहले विशाल इद्रावन और उंदती नदी को पार करना पड़ता है। इस नदी में बारिश के पुरे चार माह सीने तक लगातार पहाड़ी जंगल का पानी चलता रहता है और प्रतिदिन इस नदी को पार कर शासकीय प्राथमिक शाला एवं मीडिल स्कूल के शिक्षक मनीसिंह ठाकुर, परमेश्वर पटेल, लक्ष्मण नेताम एवं डेविड वर्मा अपने जान जोखिम में डालकर आदिवासी बच्चों को पढ़ाने पहुंचते है जिसकी जानकारी स्थानीय अधिकारियों से लेकर जिला के आला अफसरों तक को है।
पायलीखण्ड गांव में शिक्षकों के रहने के लिए मकान नहीं है और स्कूल भवन भी पिछले 8 वर्षों से अधुरा है। इसलिए उन्हे नदी के इस पार वाले गांव में रहना पड़ता है, ये शिक्षक प्रतिदिन सुबह 9 बजे इस विशाल इद्रावन, उदंती नदी को हंडी के सहारे पार कर स्कूल पहुंचते हैं जिससे हमेशा गंभीर दुर्घटना और बहने का डर भी बना रहता है, बावजूद इसके आदिवासी क्षेत्र के बच्चों के सुनहरे भविष्य गढने इन शिक्षकों में शिक्षा के प्रति विशेष लगाव देखने को मिलता है जिसका क्षेत्र के लोग समय समय पर प्रशंसा भी करते आए हैं। पायलीखण्ड स्थित प्राथमिक एवं मिडिल स्कूल में कुल 34 बच्चे अध्ययनरत है।
- क्या कहते हंै
माध्यमिक शाला पायलीखण्ड के शिक्षक परमेश्वर पटेल ने बताया कि वे पिछले 13 वर्षों से पायलीखण्ड स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बारिश के दिनों में चार माह नदी में बाढ़ रहती है इन दिनों सीने तक पानी चल रहा है जिसे पार कर वे और अन्य शिक्षक साथी प्रतिदिन स्कूल पहुंचते है और बच्चो को पढ़ाते है।
प्रधान पाठक मनीसिंह ठाकुर ने बताया कि ग्राम पायलीखण्ड में स्कूल भवन अधुरा है और गांव में शिक्षकों के रहने के लिए मकान नहीं है इसलिए हम लोग प्रतिदिन हर स्थिति में नदी पार कर स्कूल तक पहुंचकर बच्चों को शिक्षा देते है। उन्होंने बताया कि वे नदी के इस पार के गांव जांगड़ा में रहते हैं।
क्या कहते है अफसर
जिला शिक्षा अधिकारी एसएल ओगरे ने बताया कि पायलीखण्ड ग्राम में पहुंचने के लिए बड़ी नदी को पार करना पड़ता है। वहां स्कूल में पदस्थ शिक्षक अपने कर्तव्य के पति पुरी तरक कर्तव्यनिष्ठ है। अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाने पहुंचते है जितना तारीफ किया जाये कम है। ऐसे शिक्षकों को बकायदा सम्मान किया जायेगा।
- एसएल ओगरे जिला शिक्षा अधिकारी गरियाबंद