पलायन की पीड़ा ने मौत का ऐसा दर्द दिया, भाईदूज को रामायण निषाद का अँतिम सँस्कार
1 min readशिखा दास (महासमुँद-पिथौरा छग)। क्षेत्र से अन्य प्रांतों मेे मजदूरों को ले जाने का सिलसिला जोर पकड़ चुका है।मजदूरो को एक भट्ठा दलाल के बताए स्थान पर छोड़ कर वापस आये एक मजदूर की कल पेट दर्द से मौत ही हो गयी। मृतक ग्राम अमलीडीह निवासी रामायण निषाद है। वह गत दो वर्ष पूर्व तक दिहाड़ी मजदूर के रूप में वन विभाग में कार्यरत था। आज मंगलवार की सुबह मृतक रामायण के गृहग्राम अमलीडीह में उसका अंतिम संस्कार किया गया।इस दौरान वहां उपस्थित ग्रामीणों एवम परिजनों ने बताया कि मृतक दो वर्ष पूर्व तक वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यरत था।वहां से निकाले जाने के बाद मृतक ईंट भट्ठा ठेकेदारों के सम्पर्क में आया। ठेकेदारों ने युवक के उत्साह को देखकर उसे मजदूरों को उत्तरप्रदेश के बस्ती एवम आजमगढ़ के ईंट भट्ठों तक पहुचाने की जिम्मेदारी दी गयी। बगैर रेल आरक्षण एवम अन्य खान पान सुविधा के ही मृतक मजदूरों के एक दल को सकुशल आजमगढ़ छोड़ कर रविवार को ही वापस लौटा था।वहां से आते ही उसके पेट मे दर्द उठा और उसे स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था जहां से उसे रायपुर भेजा गया। मेकाहारा रायपुर में कल रात सही उपचार के अभाव में उसकी मौत हो गयी।ज्ञात हो कि मृतक का विवाह 3 वर्ष पूर्व ही हुआ था।उसकी डेढ़ साल की एक बेटी भी है।
- खुलेआम चल रहा मजदूर कारोबार
क्षेत्र में प्रदेश के एक मंत्री द्वारा मजदूर बाहर काम के लिए जा सकते है।जैसे बयानों के बाद अब क्षेत्र के भट्ठा मजदूर ठेकेदार खुल कर क्षेत्र के हजारों मजदूर अन्य प्रांतों तक ले जा रहे है।पूर्व में मजदूरों को बाहर ले जाने वालों पर कार्यवाही के कारण उक्त व्यवसाय चोरी छिपे चलता था।परन्तु अब इसमें सरकारी कथित छूट के कारण अब प्रतिदिन सैकड़ो मजदूरों को पलायन करते देखा जा सकता है। पलायन के लिए वर्षो से प्रसिद्धि पा चुके पिथौरा महासमुँद के लेबर दलालों का भारी उत्साहवधॆन करने वाले नेताजी अब तो रहम करो ? यह भी विचारणीय क्या सरकारी योजनाएँ जमीनी स्तरों पर FAILURE हैं कि पूरा गाँव पलायन कर जाता है ?