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November 23, 2024

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कसहीबाहरा पँचायत कमीशनखोरी की भेँट चढ़ा

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Kasahibahra panchayat commissioned

राजीव गाँधी सेवा केंद्र निर्माण से ही बना पड़ा नरुवाघुरूवा

  • शिखा दास , महासमुन्द 

 

Kasahibahra panchayat commissioned

पँचायती राज  में  लापरवाह अफसरशाही के चलते केंद्र व राज्य शासन की अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं  को बट्टा  लगा है । इसके अनेक उदाहरण हैं उनमें से एक  पिथौरा जनपद का  ग्राम पँचायत कसहीबाहरा हैं । जब पूरे प्रदेश में नरुआ घुरूवा बाड़ी  योजनाओं  के लिये   जोरदार हल्लागुल्ला हैं   पूरा अमला जुटा  पड़ा हैं  वहीं डिजिटल इँडिया के  शोर  में  ग्राम पँचायत  कसहीबाहरा  में  राजीव गांधी सेवा केंद्र  को ही नरुवा घुरवा बना कर रख दिया  गया हैं । तस्वीरें स्वयं  बयाँ कर रही है । सवाल यह उठता हैं  कि  क्या  जनपद के  करारोपण अधिकारी  /CEO/  नोडल अफसर कभी भी यहाँ  दौरा नही करते दौरा अगर कि ये भी तो  शासन  के लाखों  रुपए से बने राजीव गांधी सेवा केंद्र को लावारिश ही छोड़ा हमेशा । जनपद पिथौरा के अफसरों  की निगाहें  कभी भी यहाँ  गयी ही नही । यह जाहिर हैं कि  जनपद अफसरशाही   बस  चाय नाश्ता पार्टी  के साथ कमीशनखोरी सरपंच सचिव के साथ जमकर  करते हुए चलते बनते हैं  तब ही तो कभी 10 लाख के सरकारी भवन में निगाह ही नही गयी  इन  वर्षो में ।

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क्या मात्र निर्माण AGENCY को लाभ व कमीशनखोरी के लिए  बनाया जाता हैं ऐसा भवन ?
अगर उपयोगिता  ही नही  होती तो क्या  कसहीबाहरा के निरँकुश सरपंच व सचिव जिम्मेदार  नहीं?
इन्होंने  सिर्फ कागजी नाव में  शाईनिँग इण्डिया डिजिटल इण्डिया को चलाते हुए इस पाँच वे वर्ष में भी  सेवा केन्द को ही  नरुवा घुरूवा का स्वरुप दे डाला । सचिव  नहीं उठाते MOBILE ।
बमुश्किल सरपंच का बयान हो पाया
कमलेश ठाकुर सरपंच ने कहा कि  हाँ  कभी भी पँचायत कार्य  के लिये  उपयोग  नही हुआ । बस शादी ब्याह  के लिये  दे देते हैं  । जब बदहाली की बात  पूछी गयी तो कहा  कि  गांव के ही शरारती बच्चों द्वारा ताला तोड़ दिया जाता है । सरपंच अनुत्तरित होकर  गोलमोल जवाब  देने लगे सफाई रखरखाव का ठिकरा बच्चों  के सिर फोड़ दिया । ना ही सरपंच को ना ही सचिव ओमप्रकाश धृतलहरे  को किसी प्रकार की जिम्मेदारी का बोध हैं । 2012-13में  12 लाख की लागत से बने इस  भवन की दुर्दशा  कीचड़से सनी देखते ही बनती हैं  । राजीव गांधी सेवा केन्द्र सिर्फ  होता हैं बारातियो के रूकने  व शादी के लिए  उपयोग स्वयं सरपंच ने स्वीकारा बताया । सरपंच सचिव पर  किसी भी गैर जिम्मेदारना  हरकत व काम में लापरवाही के लिए  कार्यवाही  ना होना ही  इसका सबसे बड़ा कारण है । वर्ना स्वच्छ भारत मिशन डिजिटल INDIA को ऐसा ठेँगा सरपंच सचिव दिखाने की हिम्मत ना जुटाते । अभी तो  जिसकी लाठी उसकी भैँस की तर्ज पर चल रही हैं पँचायत । सरपंच की स्वीकारोक्ति कि हाँ यह कभी भी  USE नही हुआ है ONLY शादी बारात के अलावा  ही काफी है । सुत्र बताते हैं कि  यहाँ गँजेड़ी शराबियो का भी जमावड़ा रहता है  अभी तो गौ माता  कीचड़ से सराबोर  सेवा केंद्र  मे  शरण लेकर  कीचड़ से सराबोर    डिजिटल पँचायत के ग्राम सुराज को निहारने को मजबूर  हैं  ।

Kasahibahra panchayat commissioned
यह एक बानगी भर हैं 
आवास योजना के परिप्रेक्ष्य में  पूछने पर सरपंच ने कहा, हितग्राही सुस्त  हैं  ।जबकि ग्रामीण पस्त हैं- भरशाही के आगे । ग्रामीण नई सरकार से सचिव को अन्यत्र भेजने की माँग कर रहे अखबार के माध्यम से ।

5 लाख 20 हजार की CC ROAD बद से बदतर
यहाँ 3 वषॆ से  श्रीमान पैकरा इँजिनियर पदस्थ है  पर पर 2 लाख 60 +2 लाख 60 हजार की बदहाली से  भरी नवनिर्मित CCRD उन्हें भी नही दिखाई देता ।  जब हमारी प्रतिनिधि ने बयान लेना  चाहा तो  गोलमोल जवाब के बीच  कोई  जानलेवा गड्ढा नही है बोलते रहे ।जब  वीडियो  CEO के MOBILE में  देख लीजिए  जब कलेक्टर औरCM सड़क बदहाली में हैं  बोलेँगे तभी मानोगे क्या  तब  पैकरा का पारा उतरा  । कहा-अभी मूल्यांकन  नहीं हुआ है । 7 से करीब 8 इँच मोटी होने का दावा किये । बन चुकी CC RD सड़क   को  फिर  ठीक से बनाने  बोलूँगा  ।अभी पँचायत को राशि नही दी गयी है । गुणवत्ता विहिन होने पर मूल्यांकन ही नही किया जायेगा ।

Kasahibahra panchayat commissioned

RECOVERYकी बात भी बोल पड़े । सवाल  यह उठता है कि क्या  यहाँ जो 2CC RD बनी तो  इँजीनियर  के देखरेख के बगैर ।
सुत्र व ग्रामीणो ने बताया कि  बगैर सूचना फलक के  एक और बदहाल  CC RD 2 लाख 60 के मद से बनी हैं पर  –  इस बात को श्री पैकरा ने  क्यों नकारा  समझ से परे ।   सरकारी खजाने का मद गाँव के समग्र विकास के  लिये  आता है  उसके तहत ये CC RD बनाने होते हैं जिस  पर  गाँव ग्रामीण  का हक होता  है पर  घटिया निर्माण में  भ्रष्टाचार का आईना दिखाने पर सरपंच सचिव  का बचाव  करने  वाले इँजिनियर  जब स्वयं को जिम्मेदार पाते हैं तो कह उठते हैं कि मूल्यांकन ही नहीं करुँगा  यह नही कहते कि  घटिया सड़क  नहीं  बनवाऊँगा । बात सच भी हैं कि खुद के काम को घटिया लिख भी तो नही सकते  ।

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