लघु एवं मझोले समाचार पत्रों पर लगने वाला जीएसटी अव्यावहारिक
1 min readमनीष शर्मा,8085657778
रायपुर,छत्तीसगढ़ एडिटर्स एंड पब्लिशर्स एसोसिएशन (सेपा ) एवं ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम न्यूज पेपर्स फेडरेशन के संयुक्त तत्वाधान में समाचार पत्रों पर जीएसटी के संबंध में एक बैठक कर विचार विमर्श किया गया तथा समाचार पत्रों को जीएसटी लगने से होने वाले दुष्प्रभाव पर व्यापक चर्चा हुई बैठक में छत्तीसगढ़ प्रदेश के चार्टर्ड अकाउंटेंट सीए व जीएसटी एक्सपर्ट गगन जैन ने विस्तृत चर्चा करते हुए कहां की जीएसटी का समाचार पत्र पर लगातार बुरा प्रभाव पड़ रहा है एक ओर जहां इनपुट्स और इनपुट्स सर्विसेज का पूरा लाभ समाचार पत्र संस्थानों को नहीं मिल पा रहा है, जिससे लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों की स्थिति लगातार दैनी हो रही है। गगन जैन ने बताया कि प्रिंट मीडिया पर दो प्रकार के जीएसटी में रिसिप्ट का प्रावधान है l पहला अखबार बेचने से, तथा दूसरा विज्ञापन से परंतु समाचार पत्र संस्थानों को जीएसटी इनपुट ऑन गुड सर्विसेज का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिससे समाचार पत्र संस्थानों को काफी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जीएसटी में कोई ऐसा समाचार पत्र संस्थानों के लिए रिफंड के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है, वर्तमान में नए आर्थिक बजट में भी 2020 मैं भी प्रस्तावित इनकम टैक्स स्कीम और टैक्स इंप्लीमेंटेशन ऑन न्यूज़ पेपर इंडस्ट्री पर पढ़ने वाले अतिरिक्त बोझ पर भी व्यापक चर्चा हुई इनकम टैक्स एक्सपर्ट विकास शर्मा एवं सीए शशांक साहू ने कहां की जीएसटी के कारण समाचार पत्र संस्थानों के लाभ में लगातार कमी आ रही है वही इन संस्थानों पर पूर्व से कई गुना ज्यादा अतिरिक्त बोझ बढ़ा दिया गया है जो कि वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार न्यायोचित नहीं है सरकार को इस दिशा पर समाचार पत्र संस्थानों के हितों की ध्यान को रखते हुए लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों पर इसका असर ना हो इस दिशा की ओर जरूर सोचना चाहिए l छत्तीसगढ़ एडिटर्स एंड पब्लिशर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष छेदीलाल अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों की माली हालत लगातार बिगड़ रही है, राष्ट्रीय स्तर पर लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को होने वाली जीएसटी के कठिनाइयों को देखते हुए सरकार को सकारात्मक रुख अपनाते हुए तत्काल समाचार पत्र संगठनों की बातों को गंभीरता से सुनकर इसका हल निकालने की दिशा पर कार्य करना चाहिए ,उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की समाचार पत्रों को होने वाले जीएसटी के प्रभाव से किस तरह मुक्त रखा जाए इस पर संगठन द्वारा दिए जाने वाले सुझावों पर सरकार अमल करें l ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम न्यूज़पेपर फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मलय बनर्जी ने कहा कि वर्तमान में समाचार पत्र संस्थानों को जीएसटी के कॉम्प्लिकेशन से बचाने की दिशा की ओर सरकार को सोचना चाहिए एक ओर जहां सरकार ने जीएसटी लागू कर लघु एवं मझोले समाचार पत्रों के ऊपर अतिरिक्त बोझ का प्रावधान करना सरासर अन्याय है वैसे भी लघु एवं मध्यम समाचार पत्र आज के दौर में किस तरह से अपने अखबारों का प्रकाशन कर रहे हैं यह अपने आप में एक चैलेंज है ,ऐसी स्थिति में जीएसटी इनपुट का पूरा लाभ इन्हें नहीं मिल पाने से आर्थिक बोझ लगातार बढ़ रहा है श्री बनर्जी ने कहा कि ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम न्यूज पेपर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार गुरिंदर सिंह एवं राष्ट्रीय सचिव अशोक नवरत्न से जीएसटी के संबंध में चर्चा नई दिल्ली में हुई है, जिस पर ऑल इंडिया स्माल एंड मीडियम न्यूज़पेपर फेडरेशन ने जल्द ही जीएसटी के संबंध में समाचार पत्रों को होने वाली सुझाव एवं कठिनाइयों के बारे में विभिन्न राजनीतिक दलों से संपर्क कर लघु एवं मझोले समाचार पत्रों की हितों की रक्षा के लिए समर्थन की मांग करेंगे तथा लोकसभा व राज्यसभा में जीएसटी का लघु एवं मझोले समाचार पत्रों पर पड़ने वाले प्रभाव का मुद्दा उठाने हेतु निवेदन करेंगे l भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य प्रदीप जैन ने बताया कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने जीएसटी के संबंध में डीएवीपी सहित भारत सरकार को पत्र प्रेषित किया है श्री जैन ने कहा कि भारतीय प्रेस परिषद लघु एवं मझोले समाचार पत्रों को जीएसटी से होने वाले परेशानियों से अवगत है वह इस संबंध में पुनः प्रेस काउंसिल के चेयरमैन से चर्चा कर सरकार को रिमाइंडर पत्र के माध्यम से अवगत कराएंगे तथा प्रेस काउंसिल के बैठक में जीएसटी के संबंध में अगली बैठक में पुरजोर तरीके से उठाएंगे ताकि लघु एवं मझोले समाचार पत्रों सहित भाषाई समाचार पत्रों को होने वाली कठिनाइयों से व आर्थिक क्षति से बचाया जा सके सेपा के संरक्षक व मार्गदर्शक वरिष्ठ पत्रकार श्री कौशल किशोर मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकारों से जीएसटी के संबंध में समय लेकर उनसे चर्चा की जानी चाहिए तथा राज्य सरकार को किस तरह से लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को जीएसटी के प्रभाव से आर्थिक नुकसान ना हो इस पर चर्चा कर हल निकाला जाना चाहिए चर्चा में दैनिक समाचार पत्र आज के अलाप रायपुर के संपादक सुमित अग्रवाल ने कहा कि समाचार पत्र संस्थानों के लिए सरकार को तत्काल एक स्लैब बनाया चाहिए, जिसमें लेटर ऑफ इंटेंट के माध्यम से रिफंड का प्रावधान हो जिससे कि लघु एवं मझोले समाचार पत्रों को आर्थिक क्षति का सामना ना करना पड़े और बड़े समाचार पत्र समूह से सरकार का भी राजस्व की हानि ना हो इस दिशा पर मंथन करना चाहिए।वही अधिकांश प्रकाशको, संपादकों ने बताया कि वर्तमान परिदृश्य में जीएसटी लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों पर आ व्यवहारिक है जीएसटी लगने से लघु एवं मध्यम समाचार पत्र सहित भाषाई समाचार पत्रों को बाजार में बने रहना काफी कठिन हो गया है जीएसटी के कारण खुदरा व्यापारी सहित अन्य व्यापारियों से बाजार में मिलने वाला विज्ञापन में लगातार कमी आई है वहीं सरकार का रुख भी लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों के लिए कोई सकारात्मक नहीं है ऐसी दिशा में सरकार को पुनः जीएसटी पर सोचना चाहिए। समाचार पत्रों पर जीएसटी के सभी चारों स्लैब इंपोस्ट है अखबारी कागज पर 5% एलपीए एवं बटर पर 12% समाचार पत्र छपने के लिए उपयोग होने वाले प्लेट पर 18% सहित समाचार पत्र के उपयोग में होने वाले विभिन्न केमिकल ऊपर 28% की जीएसटी लगाई गई है परंतु समाचार पत्र पर सरकार ने जीएसटी नहीं लगाया है जबकि समाचार पत्र के कच्चे मालों पर चारों प्रकार के जीएसटी लगाए गए हैं जिसके कारण उनको अनुपात के रूप में जीएसटी का लाभ मिल पाता है जिसके कारण लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को काफी बोझ का सामना करना पड़ता है और उनकी आर्थिक व माली हालत लगातार खराब हो रही है अतः सरकार को तत्काल इस पर विचार कर लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों की हितों की रक्षा करने की दिशा की ओर कार्य करना चाहिए।अगर जीएसटी पर तत्काल कोई ठोस उपाय नहीं किए गए तो आने वाले समय में लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों का प्रकाशन काफी दुर्बर हो जाएगा। बैठक में सीए व जीएसटी एक्सपर्ट गगन जैन, इनकम टैक्स एक्सपर्ट विकास शर्मा , सीए शशांक साहू, छत्तीसगढ़ एडिटर एंड पब्लिशर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष छेदीलाल अग्रवाल संरक्षक व मार्गदर्शक श्री कौशल किशोर मिश्रा, दैनिक विश्व परिवार के संपादक व भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य प्रदीप जैन, ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम न्यूज़पेपर फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मलय बनर्जी, दैनिक आज का अलाप रायपुर के संपादक सुमित अग्रवाल, कई सदस्य उपस्थित थे l