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October 18, 2024

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जातिगत समीकरण साधकर सपा हासिल कर सकती है बड़ी जीत

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  • 2012 में 9 जिले में नहीं खुला खाता,13 जिले में शत प्रतिशत सफल
  • लखनऊ।

विधानसभा चुनाव-2012 में समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा क्षेत्रों में से 400 पर लड़कर 224 सीटें जीत पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।उत्तर प्रदेश के 75 जिले में से बागपत, गौतमबुद्ध नगर, गाज़ियाबाद, शामली, मथुरा,ललितपुर, हमीरपुर,महोबा,कौशाम्बी में सपा का खाता नहीं खुला, वही 13 जिले कन्नौज, इटावा, श्रावस्ती, बाराबंकी, भदोही, अम्बेडकर नगर, सुल्तानपुर, औरैया, संभल, मैनपुरी, एटा, बलरामपुर, अमरोहा की सभी सीटों पर जीत हासिल किया।बाराबंकी की सभी 6, अम्बेडकरनगर, सुल्तानपुर की सभी 5, अमरोहा,बलरामपुर सम्भल, एटा, मैनपुरी की सभी 4-4, भदोही, इटावा, कन्नौज, औरैया की सभी 3-3 सीटों पर सपा ने कब्जा जमाया।

सपा ने ग़ाज़ीपुर,हरदोई, गोण्डा की 6-6,कानपुर नगर, देवरिया,रायबरेली,उन्नाव,बलिया की 5-5 सीटों पर जीत हासिल कर अच्छा प्रदर्शन किया। आजमगढ़ की 9, जौनपुर, सीतापुर की 7-7 व इलाहाबाद की 8 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज किया। मीरजापुर, मेरठ, बरेली, पीलीभीत, फीरोजाबाद, शाहजहांपुर, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर की 3-3,अलीगढ़, फैज़ाबाद, लखीमपुर खीरी की 4-4 व मऊ, सोनभद्र, रामपुर, बिजनोर, बुलन्दशहर, कासगंज, मुजफ्फरनगर, फ़तेहपुर,बस्ती, संतकबीरनगर, झाँसी की 2-2 सीटों पर सपा को जीत मिली।वाराणसी, चन्दौली, बाँदा,चित्रकूट, गोरखपुर, जालौन, हाथरस, आगरा, सहारनपुर में सपा को सिर्फ 1-1 सीट तक ही सिमटना पड़ा।

सपा मिशन-2022 में 351 का लक्ष्य लेकर चल रही है।इसके लिए उसे काफी मेहनत करनी पड़ेगी।भाजपा से पार पाने के लिए बूथ व सेक्टर स्तर के संगठन को मजबूती देना होगा।जातिगत सामाजिक समीकरण को बेहतर तरीके से साधना होगा।समाजवादी पार्टी की प्रदेश कमेटी का गठन 3 वर्ष से अधिक समय हो गया, नहीं हो पाया। विधानसभा चुनाव-2017 व लोकसभा चुनाव-2019 में सपा की हार के कारणों के सम्बंध में राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटन निषाद ने बताया कि संगठन की कमजोरी,जातिगत समीकरण का अभाव व अतिविश्वास तथा विपक्ष के आरोपों का जवाब देने में असफलता ही सपा के हार की कारण बनी।लोकसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन के बाद इतना अतिविश्वास हो गया कि 20-20% यादव,25% मुसलमान के बाद अन्य जाति का वोट मिले या न मिले,नामांकन के बाद बस जीत का प्रमाण पत्र ही लेने जाना है।गाँव-गिरांव,चट्टी-चौराहे पर इस तरह की चर्चा सपा के कार्यकर्ताओं द्वारा किये जाने से अन्य जातियाँ भाजपा के साथ चली गईं।विधानसभा चुनाव-2017 में हार के तो कई कारण रहे,जिसमे लोक सेवा आयोग की भर्तियों में त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था को वापस लेना,पदोन्नति में आरक्षण बिल को फाड़ना,विमुक्त जातियों का आरक्षण खत्म करना,पारिवारिक विवाद व कांग्रेस से गठबंधन रहा। लोक सेवा आयोग द्वारा एसडीएम की भर्ती में कुल 97 में मात्र 14 यादव,18 एससी, 29 गैरयादव पिछड़ी जातियों व शेष सामान्य वर्ग के चयनित हुए थे।भाजपा ने 86 में 56 यादव एसडीएम बनाने का प्रचार किया,जिसका काउंटर सपा प्रवक्ता व नेता समय से नहीं कर पाए।
उत्तर प्रदेश की कुल ग्रामीण जनसंख्या में यादव-10.48%, निषाद/कश्यप-6.98%, कुशवाहा/ मौर्य/शाक्य/सैनी-4.85%,कुर्मी-4.03%,लोधी-3.27%,पाल/बघेल-2.39%, बढ़ई/ लोहार-2.25%, साहू/तेली-2.17%, जाट-1.94%, प्रजापति-1.84%, नाई-1.62%, राजभर-1.32%,चौहान-1.26%,गूजर-0.92%,कान्दू/भुर्जी-0.77%, कलवार,सोनार,अर्कवंशी, गोसाईं-1.07% हैं।शहरी जनसंख्या में निषाद/कश्यप,तेली/साहू की प्रतिशतता जहाँ बढ़ जाएगी,वही अन्य जातियों की कुछ न कुछ घट जाएगी। अनुसूचित जातियों में चमार/जाटव-13.89%, पासी-3.97%, धोबी-1.57%, कोरी-1.34%, वाल्मीकि-0.74%, खटिक-0.45%, धानुक-0.39 %, कोल-0.27%,गोंड-0.22% व अन्य 1.94% हैं।

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