खास खबर… नुवाखाई पर्व ओडिसा अंचल से लगे मैनपुर देवभोग ब्लाॅक में आज नुवाखाई पर्व
- न्यूज रिपोर्टर, रामकृष्ण ध्रुव
- कोरोना लहर शांत के बाद इस वर्ष नुवाखाई पर कपडे बाजार में लौटी रौनक
- फसल परिवर्तन के चलते कम अवधी वाले धान की पैदावारी नहीं हो रही है धान की बालिया ओडिसा से आ रहे हैं बाजार में बिकने
मैनपुर – ओडिसा से लगे मैनपुर और देवभोग विकासखण्ड क्षेत्र में 90 फीसदी लोग आज 11 सितम्बर दिन शनिवार को नुवाखाई का पर्व मनायेेेंगे धान का कटोरा कहे जाने वाला छत्तीसगढ अपनी कृषि परम्पराओं को लेकर जाना जाता है। खेती किसानी पर आधारित यह हर प्रकार के पर्व का विशेष महत्व है। खासकर नुवाखाई पर्व को बहुत ही धुमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन घर में नये चांवल नये धान के चांवल को सबसे पहले कुलदेवी के समक्ष पुजा अर्चना की जाती है इसके बाद कुलदेवी को भोग अर्पण किया जाता है। लोग चांवल का प्रसाद स्वरूप भोग ग्रहण करते हैं। माना जाता है कि परिवार के प्रत्येक सदस्य को उस दिन नये धान के चांवल का भोग करते है और दुर दराज रहने वाले चाहे शासकीय कर्मचारी हो कारेाबारी हो नुवाखाई पर्व पर अपने घर में जरूरत पहुचते है। यह पर्व वर्षो से परम्परा अनुसार धुमधाम के साथ मनाया जाता है।
नुवाखाई पर्व में परिवार के सभी सदस्याें का नये वस्त्र पहने का रिवाज है
पिछले चार दिनाें से देवभोग, उरमाल, गोहरापदर, अमलीपदर क्षेत्र के कपड़े के दुकानों में सूबह 10 बजे से रात 10 बजे तक खरीददारों की भारी भीड़ जुट रही है। नया खाई के अलावा तीजा पर्व के लिये भी महिलाओ ने जमकर खरीददारी किया है।देवभोग मूख्यालय में मौजूद 15 बड़े दुकानों में 2 से 4 लाख की बिक्री रोजाना की हो रही है। अनुमान के मुताबिक आज शनिवार तक पुरे क्षेत्र में कपड़े का कारोबार डेढ़ करोड़ तक पहूच जाएगा, कोरोना संकट के चलते पिछले साल यह पर्व फीका था लाॅकडाउन व आवाजाही बन्द होने के करण बाजार भी फीका था।लेकिन इस बार कपडा व्यवसाइयो के दुकानों में रौनक लौट आई है।
इष्ट देव को नया अन्न का भोग लगाकर करते है प्रसाद ग्रहण
ओड़िसा के तीन जिलों से सटा इलाका है, मैनपुर देवभोग क्षेत्र है ऐसे में यंहा की अधिकतर परम्पराए संस्कृति से जुड़ा हुआ है,उन्ही में से नुवाखाई प्रमूख पर्व है। फसल तैयार होते ही उसके बॉलियो को अपने इष्ट देव को चढ़ा के नवा अन्न के दाने का चिवड़ा को प्रसाद ग्रहण करने का रिवाज है। इस पर्व के लिए परिवार के सभी सदस्य एक जगह जूटते हैं।
फसल परिवर्तन के चलते नूवा खाई के लिए जरूरी नए अन्न हमारे यहाँ उपलब्ध नही,इसलिए ओड़िसा से आ रहा है बाजार में बिकने, मुठ्ठी भर बाली का दाम 10 रुपये
बदलते फसल चक्र के कारण विगत 4,5 वर्षो से सितम्बर माह में पड़ने वाले इस पर्व के लिए नया अन्न स्थानीय पैदावरी से उपलब्ध नहीं हो पाता।ऐसे में पड़ोसी राज्य ओड़िसा से धान कि बलिया बिकने बाजार में पहूच जाती है। तीन चार दिन पहले से बलिया देवभोग व क्षेत्र के अलावा आसपास के मार्केटिंग सेंटरों में बिकना शुरू हो गया है।एक मुठ्ठी की बाली को 10 रुपये देने पड़ रहे है।नया अन्न का प्रसाद जिस कोरई पेड़ के पत्ते में खाते है उस पत्ते का एक बंडल(25 नग)का भी 10 रुपये कीमत है। इस पर्व में धान की बाली व नया धान का चिवड़ा इष्ट देव को भोग लगाना होता है।इसी नए अन्न का फिर प्रसाद ग्रहण करना होता है ।
टिकरा जमीनों में अब मक्के की फसल लहलहा रही है
5 साल पहले तक टिकरा जमीन ने 60 दिन में तैयार होने वाला धान उगाया जाता था,पर बदलते मौसम चक्र व कम वर्षा के कारण धान के फसल चौपट हो जाता था।मक्के की किफायती फसल के लगाने इधर कृषि विभाग लगातार प्रोत्साहित कर रहा था।ऐसे में अब टिकरा जमीन पर धान के बजाए मक्का व दलहन फसल लगने लगा,और सितम्बर माह में धान कि कमी हो गई। धान का मूख्य फसल 90 ,120 व 160 दिन का लगाया जाता है,जो अक्टूबर माह से दिसम्बर तक पक कर तैयार होता है ।
मैनपुर भाठीगढ राज में 15 सितम्बर को नवाखाई पर्व मनायी जायेगी
वही दुसरी ओर तहसील मुख्यालय मैनपुर भाठीगढ राज में लगभग 52 गांव में नवमी तिथि 15 सितम्बर बुधवार को नवाखाई पर्व मनाया जायेगा, नवाखाई पर्व को लेकर मैनपुर भाठीगढ राज में भी जोरदार तैयारी किया जा रहा है, ग्राम के झांकर पुजारी, द्वारा घर घर पहुचकर नये धान की बालिया मुख्य द्वारो में बांधी जा रही है यह एक परम्परा है जिसे नवाखाई पर्व से सभी घरों के सामने धान की बालिया बांधा जाता है। इस सबंध में चर्चा करने पर मैनपुर के झांकर टीकम नागेश, सरपंच बलदेव राज ठाकुर, वरिष्ठ नागरिक थानुराम पटेल ने बताया कि मैनपुर तहसील मुख्यालय व इस भाठीगढ राज क्षेत्र में 15 सितम्बर दिन बुधवार को नवमी तिथी नवाखाई पर्व मनाया जायेगा।