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November 19, 2024

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सफलता की कहानी… परिवार की माली हालत सुधारने में बकरी पालन सहायक रही

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  • न्यूज रिपोर्टर, रामकृष्ण ध्रुव

गरियाबंद – समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों द्वारा बकरी पालन का कार्य परम्परागत व्यवसाय के रूप में वर्षों से किया जा रहा है। पशुप्रेम एवं पशुपालन यदुवंशियों की पहचान रही है। पशु चाहे गाय, भैंस या बकरी ही क्यों न हो। दुधारू पशुओं के प्रति यदुवंशियों में अगाद्य सेवा भावना होती है। पशुपालन इनके परिवार के माली हालत सुधारने में सहायक रही है। ऐसे ही जिले के फिंगेश्वर विकासखण्ड के ग्राम सोरिद निवासी ठाकुर राम यादव ने बकरी पालन कर अपने परिवार की आर्थिक दशा को सुधारने में कामयाबी हासिल की है। ठाकुर राम परम्परागत व्यवसाय के रूप बकरी पालन करते आ रहे है।

ठाकुर राम ने बताया कि आज से चार साल पूर्व उन्होंने पशुपालन विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन में बकरी पालन को अपनाया इसके लिए उन्हें भूमि विकास बैंक से अनुदान पर 33 हजार रूपये के ऋण राशि स्वीकृत हुई थी, जिसका उन्होंने उन्नत नस्ल के बकरे एवं बकरी खरीदकर इनका पालन शुरू किया। शुरुआती दौर में 50 बकरे-बकरियां थी। अभी उनके पास 30 बकरे-बकरियां है। समय-समय पर वे बकरे की बिक्री कर पांच से आठ हजार रूपये तक आमदनी हासिल किया है। बकरियों में कम पीढ़ी अंतराल तथा एक से अधिक मेमना उत्पादन की क्षमता होती है। जिससे बकरे – बकरियों की संख्या में बढ़ोतरी होती रहती है।

बकरी का दूध पौष्टिक एवं सुपाच्य होने के कारण वे बकरी की दूध बेचकर भी अच्छी आमदनी हासिल कर रहे है। बकरी पालन के आमदनी से वे बैंक ऋण भी मुक्ति पा चुके है। ठाकुर राम ने बताया कि बकरी पालन की आमदनी से घर-परिवार की माली हालत में सुधार आई है। उन्होंने यह भी बताया कि वनांचल क्षेत्र होने के कारण बकरे-बकरियों के लिए चारे की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में गांव के आसपास ही मिलती है। ठाकुर राम के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा सात बेटियां थी, बकरी पालन से हुए आमदनी से वे अपनी बेटियों की शादियां भी की है। उनके सभी बेटियां अपने ससुराल चली गई है। वन क्षेत्र में एक एकड़ कृषि भूमि है, जिसका उन्हें वन अधिकार पत्रक भी मिला है। उक्त कृषि भूमि में वे धान के पैदावारी लेते आ रहे है। ठाकुर राम गांव के अन्य लोगों को भी पशु पालन के लिए प्रोत्साहित कर रहे है। बकरी पालन आय का अच्छा स्त्रोत है, साथ ही यह व्यवसाय सूखे की स्थिति में या अन्य प्राकृतिक आपदा के समय भी पशुपालकों का आय का साधन है।

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