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November 19, 2024

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बंद रेल फाटक ने 1934 में गांधी जी की जान बचाई थी

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The closed rail gate saved Gandhiji's life in 1934

पुणे । महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी थी, लेकिन इससे करीब 14 बरस पहले गांधीजी पर पुणे में हमला हुआ था और रेलवे के एक बंद फाटक की वजह से उनकी जान बच गई थी।   गांधीजी की जान लेने की चार-पांच बार कोशिश हुई थी, जिनमें से एक हमला 25 जून 1934 को पुणे में हुआ था।  ऐसा माना जाता है कि गांधी जी का छुआछूत के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान इस हमले का कारण था लेकिन आज तक हमलावर की पहचान पता नहीं चल सकी।  गांधी जी की पुणे यात्रा के दौरान 25 जून 1934 को एक कार पर यह मानकर बम फेंका गया था कि गांधी गाड़ी में बैठे हुए हैं।

The closed rail gate saved Gandhiji's life in 1934

यह हमला विश्रामबाग इलाके में हुआ था जहां गांधीजी को एक बैठक को संबोधित करना था। हमले में पुणे महानरगपालिका के मुख्य अधिकारी और कार सवार कुछ लोग जख्मी हो गए थे।   कांग्रेस नेता एवं स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट में मंत्री बने दिवंगत नहर विष्णु गाडगिल ने महात्मा गांधी की जान लेने की कोशिश का उल्लेख मराठी में लिखी अपनी आत्मकथा ‘पथिक’ में किया है। गाडगिल के मुताबिक, गांधी जी वक्त पर बैठक के लिए निकले, लेकिन उनकी कार को वाकडेवाडी पर रेलवे क्रॉंिसग पर रूकना पड़ा जिस वजह से वह बैठक स्थल पर पांच मिनट देरी से पहुंचे।  गाडगिल ने कहा, विश्रामबाग में सभा हॉल के बाहर तेज धमाके की आवाज सुनी गई। उन्होंने कहा, हॉल के अंदर मौजूद लोग समझे की गांधीजी के स्वागत के लिए पटाखे जलाए गए हैं। बाद में मालूम पड़ा कि कुछ दुष्ट लोगों ने यह सोच कर एक कार पर बम फेंका था कि गांधी उसमें बैठे हुए हैं। गाडगिल ने लिखा है, रेलवे क्रॉंिसग पर फाटक बंद होने की वजह से गांधी जी की ंिजदगी बच गई। विस्फोट के कुछ मिनट बाद गांधी जी की गाड़ी पहुंची तो गाडगिल उन्हें एक तरफ ले गए, उन्हें गले लगाया और अंदर ले गए। बैठक कुछ मिनट में ही खत्म हो गई और गांधीजी को पुलिस सुरक्षा में वहां से ले जाया गया।  जब गांधीजी लौटने के लिए ट्रेन में सवार हुए तो, गांधीजी ने गाडगिल से कहा, ‘‘ अगर वे हमलावर को ढूंढ लें तो उससे कहना कि मैंने उसे माफ कर दिया है, लेकिन हमलावर कभी नहीं मिला, न ही उसकी पहचान हो सकी। पत्रकार और शोधार्थी अरूण खोरे ने इस बात को रेखांकित किया है कि उनके मार्गदर्शक और उनका हत्यारा दोनों पुणे से थे।  खोरे गांधीजी के पुणे से जुड़ाव पर किताब लिख रहे हैं।  उन्होंने कहा, ‘गोपाल कृष्ण गोखले को गांधी अपना राजनीतिक गुरू मानते थे और वह पुणे के रहने वाले थे। वहीं उनकी हत्या करने वाला गोडसे भी पुणे का था। दिल्ली के बिरला भवन में नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

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