मैनपुर ब्लॉक के शासकीय स्कूलों में प्रयोगशाला का हाल बेहाल
1 min read- शेख हसन खान, गरियाबंद
- आदिवासी क्षेत्र के बच्चे बगैर प्रयोगशाला के कैसे बनेंगे डॉक्टर इंजीनियर, कई स्कूलों में बक्सों में कैद है साइंस लैब की सामग्री
गरियाबंद। गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में प्रयोगशाला का हाल बेहाल है ऐसे में कैसे आदिवासी क्षेत्र के बच्चे इंजीनियर डॉक्टर और उच्च पदों पर पहुंचेंगे। कहने को तो मैनपुर विकासखंड क्षेत्र के सभी 12 शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्रयोगशाला होने का दावा विभाग द्वारा किया जाता है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
मैनपुर क्षेत्र के अधिकांश हायर सेकेंडरी स्कूलों में प्रयोगशाला का जायजा लिया गया तो चौकाने वाला तथ्य सामने आया तहसील मुख्यालय मैनपुर स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मैनपुर में प्रयोगशाला भवन का निर्माण 03 वर्ष पहले किया गया है लेकिन विद्यालय में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए कमरों की कमी के चलते इस प्रयोगशाला में कक्षा ग्यारहवीं की छात्र छात्राएं पढाई कर रहे हैं। मैनपुर में प्रयोगशाला की बेहद स्थिति खराब है यहां प्रयोगशाला के सामग्री एवं छात्र छात्राओं को सिखाने के लिए लाए गए उपकरण कबाड़ खाना में पड़ा हुआ है। जब कभी बच्चों को कुछ प्रयोगशाला से संबंधी जानकारी देना होता है तो उसे बाहर निकाला जाता है और बच्चों को बताया जाता है।
तहसील मुख्यालय मैनपुर में प्रयोगशाला के सामग्री उपकरण शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में नहीं के बराबर है और पिछले कुछ वर्षों से नाम मात्र की सामग्री ही यहां उपलब्ध हो पाई है। ऐसे में यहां हमें सोचने को मजबूर करता है कि जब तहसील मुख्यालय मैनपुर जहां साइंस विषय के 150 से अधिक छात्र छात्राओं को जब प्रयोगशाला भवन तथा सामग्री नसीब नहीं हो पा रहा है और प्रयोगशाला से संबंधित उपकरण उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो मैनपुर दुरस्त वनांचल क्षेत्रों की स्कूलों की बात तो छोड़ दीजिए।
मैनपुर विकासखंड क्षेत्र के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धुर्वागुड़ी मे प्रयोगशाला भवन नहीं होने के कारण यहां के बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां जगह नहीं होने के कारण बक्सों में भरकर सामग्रियों को रखा गया है। बच्चों को कोई जानकारी देना होता है तो सामान को बाहर निकाला जाता है शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमलीपदर ,उरमाल, मुडगेलमाल, मुचबहाल में प्रयोगशाला से संबंधित सामग्रियों का भारी अभाव बना हुआ है।
- प्रयोगशाला, शिक्षक की भी कमी
विकासखंड क्षेत्र में 12 शासकीय उचत्तर माध्यमिक विद्यालय है जिसमें से सभी स्कूलों में प्रयोगशाला का हाल बेहाल है। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी विभाग के स्थानीय अधिकारी से लेकर उच्च अधिकारियों तक को ना हो समय-समय पर इसकी जानकारी भेजी जाती है लेकिन सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए हर बार आश्वासन दिया जाता है। जमीनी स्तर पर कुछ खास पहल होता दिखाई नहीं देता हमारे आदिवासी क्षेत्र में विद्यार्थियों में वैज्ञानिक प्रतिभाएं भरी पड़ी है। कम संसाधनों और अच्छे मार्गदर्शन के बगैर भी बेहतर कार्य कर रहे हैं लेकिन यहां के विद्यालयों में विज्ञान के शिक्षक से लेकर प्रयोगशाला में संसाधन की कमी बनी हुई है। एक तरफ नवीन शिक्षा नीति आधुनिक और तकनीकी शिक्षा पर जोर देने की बात कहीं जा रही है। दूसरी ओर लचर व्यवस्था शिक्षा व्यवस्था गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह लगाती है। बताया जाता है कि नवीन शिक्षा नीति में प्रयोगशाला कक्ष की उपलब्धता अनिवार्य है। इसके बाद भी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में स्थिति खराब है। शासन प्रशासन द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में लाखों करोड़ों रुपए पानी की तरह खर्च किया जा रहा हैै। लेकिन साइंस के छात्र छात्राओं के लिए जो बेहद जरूरी है। ऐसे प्रयोगशाला के तरफ ध्यान नहीं देना और इस ओर उदासीन रवैया अपनाना समझ से परे हैैंं। होना यह चाहिए कि जल्द से जल्द प्रयोगशाला भवन का निर्माण कर पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराया जाए।
क्षेत्र में साइंस के छात्रा अनीता, बबीता, नेहा यादव, भास्कर नेताम,सुनिल कुमार, रविन्द्र ठाकुर ने बताया हमारे शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय में साइंस प्रयोगशाला से संबंधित सामग्रियों का अभाव बना हुआ है। भवन भी नहीं है जिसके कारण बहुत परेशानी हो रही है कई बार इसकी शिकायत क्षेत्र की विधायक और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कर चुके हैं लेकिन अब तक ना तो लैब भवन का निर्माण किया गया और ना ही प्रयोगशाला से संबंधित सामग्री उपलब्ध कराई गई है जिसके कारण बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।