मंजिल उन्ही को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख होने से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है
- मनरेगा से दिव्यांग गेंदलाल यादव को मिला सहारा दुसरों के लिए भी बने मिसाल
- रामकृष्ण ध्रुव गरियाबंद
मैनपुर – मंजिल उन्ही को मिलती है ,जिनके सपनों में जान होती है, पंख होने से कुछ नही होता हौसलों से उडान होती है। गेंदलाल यादव के जीवन में यह पक्तिंया सटीक बैठती है। यह कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में काम करने वाले दिव्यांग गेंदलाल यादव अपने जिंदगी को बेहतर जीने का तरीका सिख चुके है और दुसरों के लिए मिसाल बने है। वे पिछले चार पांच वर्षो से अपने गृह ग्राम पंचायत भाठीगढ के विकास कार्यो में योगदान दे रहे हैं। यही कारण है कि वे दिव्यांग होने के बाद भी किसी पर निर्भर नही बल्कि मनरेगा में काम करते हुए अपने परिवार का बेहतर पालन पोषण कर रहे है।
गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर तहसील मुख्यालय से महज 06 किलोमीटर दुर भटगांव निवासी गेंदलाल यादव जो जन्म से दोनाें पैरों से साठ प्रतिशत विकलांग है। और बीए फाईनल के साथ राजनीति विज्ञान एम.ए तक की डिग्री हासिल किया है। दिव्यांग लेागो के विकास के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाए संचालित किया जा रहा है, जिसके तहत गेंदलाल यादव ने पूर्व में सरकारी नौकरी के लिए कई विभागों में आवेदन दे चुके है, लेकिन उन्हे सरकारी नौकरी अब तक नही मिला लेकिन उन्होंने अपने जीवन में हार नहीं माना बल्कि पिछले चार पांच वर्षो से मनरेगा योजना में मेट का कार्य कर रहे हैं। और इस वर्ष भी 60 दिनों का कार्य उन्होने किया है जिससे उन्हे लगभग 10 हजार रूपये की आमदनी हुई है।
और मनरेगा योजना के तहत कार्य चल रहा है जिसमें 150 दिनाें के कार्य करने का वे हौसला रखते हैं। दोनाें पैर से दिव्यांग गेंदलाल यादव पिता कल्याण सिंह यादव ग्राम भटगांव ग्राम पंचायत भाठीगढ़ निवासी पिछले वर्ष विवाह भी किया है। उन्हे पंचायत द्वारा विकंलाग पेंशन हर माह 500 रूपये मिलता है। साथ ही विवाह होने पर जिलाधीश कार्यालय समाज कल्याण विभाग गरियाबंद के तरफ से 50 हजार रूपये प्रोत्साहन राशि मिला है। गेंदलाल यादव ने कहा कि यदि शासन द्वारा उन्हे शासकीय नौकरी दिया जाए साथ ही उन्हे रहने के लिए आवास की भी आवश्यकता है।
गेंदलाल यादव ग्राम भटगांव निवासी ने बताया कि जब उन्हे पता चला महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में दिव्यांगों के लिए भी काम मिलता है तो बस फिर आवदेन जाॅब कार्ड बनाया जाॅब कार्ड बनाने के बाद लगातार मनरेगा में काम किया तो आत्मविश्वास भी बढ़ गया। और उनकी पत्नी भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर मनरेगा में काम कारती है तथा अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है।