आदिवासी बच्चों की बेबसी, भीषण गर्मी में आदिवासी क्षेत्र के सैकड़ों स्कूली बच्चे नंगे पाव गर्म तवे जैसे सड़क से स्कूल आने जाने मजबूर
- शेख हसन खान, गरियाबंद
मैनपुर – गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र के लगभग सभी ग्रामों में इन दिनों ऐसी तस्वीर आसानी से देखा जा सकता है अपै्रल के भीषण गर्मी तेज धूप में स्कूली बच्चे दोपहर को 11ः30 बजे स्कूल से छुट्टी होने के बाद नंगे पैर खेलते कूदते दोपहर तक घर पहुंचते है। मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र मे कई ग्रामो मे प्राथमिक या मिडिल स्कूलो की दूरी 2 से 3 किमी है और स्कूली बच्चे तपती दोपहरी मे तवे से गर्म सड़क व पगडंडी रास्तो से नंगे पाव प्रतिदिन स्कूल आना जाना करते हैं।
यह तस्वीर ग्राम भाठीगढ़, कोनारी मार्ग मे लिया गया है जहां प्राथमिक और मिडिल स्कूल के बच्चे छुट्टी के बाद दोपहर 12 बजे के आसपास अपने घर नंगे पाव लौट रहे थे। हालंकि शासन ने स्कूलो की टाईम टेबल मे बदलाव किया है। सुबह 7ः30 से 11ः30 बजे तक स्कूल संचालित हो रहा है लेकिन स्कूली बच्चो को खासकर जाड़ापदर, जिड़ार, छुईहा, कोनारी, राजापड़ाव गौरगांव क्षेत्र के आदिवासी बच्चो को स्कूली की छुट्टी होने पर स्कूली की दूरी 2 से 3 किमी होने पर गर्म तवे की तरह तपती सड़क में नंगे पाव घर लौटना उनकी मजबूरी बन गई है। इन बच्चों को शासन ने गणवेश तो उपलब्ध कराया है लेकिन चप्पल और जूता उपलब्ध नही कराया है।
ऐसा नहीं कि सभी बच्चो के पास चप्पल जूते न हो कई परिवार आर्थिक रूप से इतने कमजोर है कि आज भी बच्चे अपने मां बाप से कभी चप्पल और जूता की मांग नही करते गर्मी हो बारिश हो कीचड़ दलदल नंगे पैर स्कूल आना जाना इनकी बेबसी है।
अधिकांश स्कूलों में बिजली नहीं तो पंखा कहां से चलेगा
मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के अधिकांश स्कूलो मे बिजली ही नही है क्योकि गांव मे बिजली पहुंचा ही नही है ऐसे मे पंखा कहा से चलेगा स्कूलो मे पंखा ही नही है बच्चे स्कूल मे गर्मी मे उबलते हुए पढ़ाई करने मजबूर हो रहे है।
क्या कहते है शिक्षा अधिकारी
विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी आर आर सिंह ने बताया कि बच्चो को गणवेश देने का प्रावधान है लेकिन बच्चो के लिए जूता और चप्पल खरीदने के लिए शिक्षा विभाग से कोई बजट नहीं आता। आर आर सिंह विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी