तौरेंगा, इदागांव, उदंती, रिसंगाव, अरसीकन्हार के जंगलों में कम नहीं हो रही है आगजनी की घटनाएं
1 min read- पेड़ पौधे छोटे छोटे जीव जन्तु वन औषधिया जलकर हो रही है राख
- जंगल में आग लगने से छोटे छोटे पेड़ पौधे पत्तें जल जाने से वन्य जीवों के सामने चारा का भी संकट
मैनपुर:- उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र के जंगलो मे इस वर्ष सबसे ज्यादा आगजनी की घटनाए सामने आई है, भले ही वन विभाग सेटेलाईट के माध्यम से जंगल में लगने वाली आग पर निगरानी रखने की दावा कर रहे है लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही बया कर रही है जो जंगल क्षेत्र में जाने के बाद ही पता चलता है। हालांकि वन विभाग के अफसर लगातार क्षेत्र के जंगलो मे निरीक्षण करने पहुच रहे हैं लेकिन जंगल के भीतर लगी आग अभी भी धधक रहा है। शनिवार रात 10 बजे के आसपास मैनपुर नगरी मार्ग में वन परिक्षेत्र मैनपुर तौरेंगा , अरसीकन्हार क्षेत्र के जंगल मंे सडक किनारे भयनाक आग लगी थी, जिसकी जानकारी हमारे संवाददाता ने वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों को दिया लगभग एक घंटे बाद विभाग के स्थानीय अमला व फायर वाचर की टीम पहुचकर आग बुझाने के काम में लगी जो रात 12 बजे तक आग में काबू पाया गया।
यह आग लगभग दो किलोमीटर की ऐरिया में लगा था ग्राम अरसीकन्हार के पास और सडक किनारे आग लगने के कारण पुरा सड़क धुआं से भर गया था। आने जाने में वाहन चालको को भारी परेशानियो का सामना करना पड रहा था कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। लगातार टाईगर रिजर्व क्षेत्र के तौरेंगा उदंती, इदागांव, रिसगांव, अरसीकन्हार के जंगलो के भीतर प्रतिदिन आगजनी की घटनाए बढ़ती जा रही है।
आगजनी की घटना को रोकने के लिए अब तक विभाग के पास कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है और तो और आग को बुझाने के लिए कोई खास तकनीकी सुविधा भी नहीं है। आज भी पुराने पध्दति बांस की कर्मचारियों से आग को बुझाने का कार्य किया जा रहा है।
वन्य प्राणियों के जान पर आफत बन आई है
पूरे क्षेत्र के जंगलो मे जगह जगह आग लगने से वनऔषधियों व वन्य जीव के जान पर आफत बन आई है। इन दिनों बेतहाशा गर्मी के साथ जंगलो मे लगी आग से बचने के लिए जीव जन्तु तितर बितर होकर ग्रामीण क्षेत्रो के तरफ आ रहे है। आग से जंगल के अंदर पेड़ पौधो के साथ छोटे छोटे जीव जन्तु इनकी चपेट मे आ रहे है। जंगलों मे लगे आग के कारण राख मे तब्दील हो रहे वन औषधियों व किमती पेड़ पौधों को बचाने के लिए वन विभाग का रवैया सुस्त व अधर मे पड़ते दिखाई दे रहा है वनों में लगे आग को बुझाने के लिये कोई ठोस पहल नही की जा रही है। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र, बफर जोन,तौरेंगा, इंदागांव के जंगलो मे जगह जगह आग के चलते वन्यप्राणियों की शामत आ गई है जिससे वे मुख्य मार्गो से होकर गांवो की तरफ रूख कर रहे और इन दिनो गांवो के आसपास नदी तालाबो मे सुबह और शाम के वक्त हिरण, सांभर, भालू, सिंहार, लकड़ बघ्धा एवं बंदरो की झुंड आसानी से दिखाई दे रहे है जिसके कारण वन्यजीवो के अवैध शिकार की भी संभावना बढ़ गई है।
जंगलों को आग से बचाने कार्यशाला पर विभाग करता है लाखों रूपये खर्च
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार टाइगर रिजर्व क्षेत्र के तौरेंगा, कोदोमाली, गोना, कोकडी, खरताबेडा, गोना, भुतबेडा, कुचेंगा, कोयबा, बुडगेलटप्पा, डुमाघाट, अडगडी, तेन्दुछापर गोबरा, जांगड़ा जुगांड़, साहेबिन कछार, करलाझर नागेश एवं उदंती अभ्यारण्य के जंगलों के अंदर जगह जगह आग लगी हुई आसानी से दिखाई दे रही है। हर वर्ष गर्मी के सीजन प्रारंभ होते ही क्षेत्र के जंगलो मे आग लगना आम बात है, जबकि विभाग द्वारा सेटेलाइट माध्यम से जंगल मे आग लगने पर निगरानी किये जाने की बात कही जाती है लेकिन बजट के अभाव मे विभाग द्वारा अन्य वर्षो की तुलना मे इस वर्ष जंगल को आग से बचाने फायर वाचर की तैनाती पर्याप्त मात्रा मे नही की गई है जिसके चलते कीमती वनोपज के साथ कीमती पेड़ पौधे व छोटे छोटे जीव जन्तु आग की चपेट मे आ रहे हैं।
हर वर्ष जंगल को आग से बचाने के लिए विभाग द्वारा कार्यशाला आयोजित कर तरह तरह के प्रशिक्षण दिये जाते है और लाखो रूपये खर्च करने की बात कही जाती है लेकिन धरातल मे ऐसा कुछ भी दिखाई नही देती है। आग की तपन मुख्यमार्ग मे ही महसूस की जा सकती है। मैनपुर देवभोग मार्ग पर व पहाड़ो के जंगल मे आग लगने के कारण धुआं पूरी तरह छाया रहता है जिससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्र का जंगल आग की लपटों में किस प्रकार घिरा है। जंगल में आग लगने के बाद कई जगह तो सिर्फ राख ही राख नजर आ रहे हैं जिससे वन्य प्राणियों के सामने चारे की भी समस्या उत्पन्न हो गई है।
क्या कहते हैं अधिकारी
वन विभाग के एस.डी.ओ. मनेन्द्र सिदार ने कहा जहां भी आग लगने की जानकारी मिलती है विभाग के अधिकारी कर्मचारी पहुंचकर तत्काल आग पर काबू पाया जाता है और जंगल के सुरक्षा के लिये पर्याप्त फायर वाचर अग्नि दस्ता की तैनाती की गई है लगातार जंगल की मानीटिरिंग किया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया जंगल के अंदर नदी नाले पोखर सूख रहे है लेकिन झरिया खोदकर पानी की व्यवस्था किया जा रहा हैं।
मनेन्द्र सिदार एस.डी.ओे. वनविभाग