दुर्गम पहाड़ियों के बीच कुलाप जलप्रपात का मनोरम नजारा लोगों को आकर्षित कर रहा
- गरियाबंद जिले के सबसे बड़े व मनमोहक कुलाप जलप्रपात तक पहुंचना बेहद कठिन
- नेशनल हाइवे मैनपुर गरियाबंद मार्ग से दिखाई दे रहा कुलाप जलप्रपात
- उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के पहाड़ी के हर जगह बिखरा पड़ा है प्रकृति का अनुपम सौन्दर्य
- शेख हसन खान, गरियाबंद
गरियाबंद। बारिश प्रारंभ होते ही अब गरियाबंद जिले के पहाड़ी इलाके के जलप्रपातो में पानी की धार आने लगी है और अभी से पर्यटक पहुंचने लगे हैं। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के ओड़ आमामोरा सिकासार पहाड़ी क्षेत्र में प्रकृति का अनुपम सौन्दर्य कण -कण में बिखरा पड़ा है यहां दूर -दूर तक फैली बड़े -बड़े उंची नीचे घाटिया घने जंगल तथा फुलो से ढके रास्ते व ठंडी मस्त हवा पर्यटकों का मन बरबस ही मोह लेती है। खास बात यह है कि यहां पर लोगों का कोलाहल व भीड़भाड़ बहुत कम है यकीन जानिए यहां पहुंचने के बाद पर्यटक स्वयं को प्रकृति के निकट पाता है। वैसे तो गरियाबंद ज़िला पर्यटन के दृष्टिकोण से काफी प्रसिद्ध हैं यहां प्रकृति ने अपनी खूबसूरत छठा बिखेरा है।

यहां कल कल बहती जलप्रपात बरबस ही पर्यटकों का ध्यान अपनी और खींचती हैं। यही कारण है कि हर वर्ष खासतौर पर वर्षा ऋतु में सैलानी यहां बड़ी संख्या में आते हैं और यहां के प्राकृतिक सुंदरता को नजदीक से देख मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के जंगल में कई मनोरम पहाड़ी और पहाड़ियो से गिरने वाले पानी की धार झरने को देखने का आनंद पर्यटको को सिर्फ बारिश के दिनो मे मिलता है पिछले कुछ दिनों से रूक रूककर हो रही। क्षेत्र में बारिश और खासकर पहाड़ी क्षेत्रो मे हुई अच्छी बारिश के कारण इन दिनों लोगो को पहाड़ो के ऊपर से झरने गिरते मनोरम दृश्य देखने को मिला और यह मनोरम दृश्य नेशनल हाइवे 130 सी धवलपुर गरियाबंद मार्ग से दिखाई दे रहा है जिससे यह आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश हुई है। तहसील मुख्यालय मैनपुर से लगभग 30 -35 किलोमीटर दुर बीहड जंगल और पहाडी के उपर से गिर रहे कुलाप जलप्रपात जंगलो और पहाडो के बीच अदभूत नजारा आज काफी विख्यात है, यहां धवलपुर जरडी टोरीभूई से 15 किलोमीटर दुर लगभग 06 किलोमीटर दुर्गम जंगलो पहाडों को पैदल पार कर यहा पहुंचा जाता है। वही दूसरी ओर आमामोरा अमलोर से 06 किमी जंगली रास्ता से भी यहां पहुंचा जाता है। नेशनल हाईवे मार्ग मैनपुर गरियाबंद से दिखाई देने वाला और सिकासार जलाशय के उपर लगभग 350 मीटर की ऊचाई से गिरने वाला यह वाॅटरफाल प्रदेश के प्रसिध्द वाटरफालो में जाना जाता है लेकिन यहा तक पहुचना हर किसी के बस की बात नहीं है। बहुत ही कम लोग यहा तक पहुच पाते है सबसे पहले तो यहा पहुचने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है। घने जंगलों पहाड़ों को पार करते हुए यहां पहुंचा जाता है और इस बियाबान जंगल में अनेक प्रकार के जंगली जीव जन्तुओं के साथ हाथी प्रभावित क्षेत्र भी है, जिसके कारण इस जलप्रपात में बहुत कम ही लोग पहुच पाते हैं। खासकर बारिश के दिनों में इस जलप्रपात की सुन्दरता बेहद ही खूबसूरत और रोमांचक भरा है। काफी ऊचाई से कल कल की आवाज करते सिकासार जलाशय के उपर गिर रहे कुलाप जलप्रपात को देखने का एक अलग ही आंनंद है।
- मनोरम जलप्रपात में पहुंचने के लिए सावधानियां बहुत जरूरी
घनघोर पहाड़ी के ऊपर यह जलप्रपात लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है इसकी सुन्दरता इन दिनों चार चांद लगा रही है लेकिन यहां जाने से पहले कई सावधानिया बेहद जरूरी है। पहले वन विभाग के स्थानीय अधिकारी कर्मचारियो से संपर्क किया जाना चाहिए। क्योंकि यह क्षेत्र हाथी प्रभावित क्षेत्र के साथ हिंसक वन्यप्राणी क्षेत्र है यहां तेंदुआ, भालु, लकड़बघ्घा व अन्य वन्यप्राणी भारी संख्या में पाये जाते हैं और बारिश में जंगल घने होने के कारण कब हमला कर दे कुछ कहा नहीं जा सकता इसलिए पहले इसके लिए वन विभाग से संपर्क किया जाना चाहिए साथ ही यहां वन विभाग द्वारा तैनात गाईड ले जाना बेहद जरूरी है।
- क्या कहते हैं अफसर
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरूण जैन ने चर्चा में बताया कि अमलोर से 4-5 किमी पैदल जाना पड़ता है तब कुलाप जलप्रपात पहुंचा जाता है। वन विभाग द्वारा अमलोर में गाईड की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। ग्राम ओड़ से भी वन प्रबंधन समिति के गाईड उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि यह वन्यप्राणी विचरण क्षेत्र है और यहां पहुंचने से पहले सावधानिया बहुत जरूरी है क्योंकि जंगल रास्ता होने के कारण कई जगह फिसलन के चलते दुर्घटना की भी संभावना है।
