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December 23, 2024

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उदंती अभ्यारण से राजकीय पशु वनभैंसा विलुप्ति के कगार पर, करोड़ों खर्च के बावजूद शुद्ध नस्ल के वनभैंसा मात्र एक 

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  • शेख हसन खान, गरियाबंद 
  • रेस्क्यू सेटर में वनभैंसों के चारापानी के नाम पर 2008 से अब तक 10-12 करोड़ों रूपए पानी की तरह फूंके गए
  • एक मात्र बचे वनभैंसा छोटू हो चूका है बुजुर्ग, आंख खराब, वन भैंसों की कुनबा बढ़ाने विभाग नहीं ले रहा है रूचि
  • ऐसी स्थिति रही तो आने वाले समय में किस्से किताबों में ही मिलेगी छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु वनभैंसा 
  • उदंती सीतानदी अभ्यारण से बाघ पहले ही हो चूके है गायब, अब वनभैंसा पर संकट

गरियाबंद। उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उदंती अभ्यारण दूलर्भ राजकीय पशु वनभैंसों के नाम से प्रसिध्द है देश में दो ही स्थान पर विशुध्द प्रजाति के वनभैंसे पाये जाते हैं। एक उदंती अभ्यारण और दूसरा असम लेकिन अब उदंती अभ्यारण अपने वनभैंसों को खोने के कगार पर पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद विलुप्त प्रजाति के वनभैंसों को राजकीय पशु का दर्जा दिया गया। इसके संरक्षण तथा संवर्धन के लिये कार्य योजना बनाई गई। वन विभाग तथा डब्ल्युटीआई द्वारा उदंती अभ्यारण के बीहड़ जंगल के भीतर लगभग 22 से 25 हेक्टेयर घने जंगल को चारों तरफ बड़े बड़े लोहे का एंगल एवं तार घेरकर बाड़ा का निर्माण सन् 2008 में किया गया और इसे वनभैसा संरक्षण संवर्धन केन्द्र का नाम दिया गया। उस समय लगभग एक दर्जन वनभैंसा उदंती में हुआ करता था बकायदा इन वनभैंसो के स्वास्थ्य के परीक्षण के लिये रायपुर से लेकर दिल्ली तक डब्ल्युटीआई के डॉक्टर समय समय पर पहुंचते थे और तो और वनभैंसो को हरा चारा के साथ विटामिन प्रोटिन और दालिया मक्का सहित कई खाद्य पदार्थ खिलाने में इन वर्षों में अब तक 10 से 12 करोड़ रूपये खर्च किया जा चुका है।

वनभैंसा संरक्षण केन्द्र के निर्माण के साथ उसके भीतर पानी तालाब व चौकीदार तथा अन्य सुरक्षा में करोड़ो रूपये अलग से फूंके गए है अब जो रिपोर्ट सामने आई है वह चौकाने वाला है। उदंती अभ्यारण में एक मात्र वनभैंसा छोटू ही विशुध्द प्रजाति होना बताया गया जिसके बाद वन विभाग और डब्ल्युटीआई विभाग के पैरो तले जमीन खिंसक गई उदंती अभ्यारण में एक मात्र वनभैंसा छोटू ही विशुद्ध प्रजाति के होने के बाद बाकि वनभैंसा जिसे हाईब्रिड बताया जा रहा हैं।

  • 2007 से पहले उदंती में 62 वनभैंसा अब मात्र एक

उदंती अभ्यारण में सन् 2007 से पूर्व 62 वनभैंसा होने की पुष्टि वन विभाग द्वारा किया जाता रहा है और वन विभाग के गणना में भी 62 वनभैंसा होना बताया जाता रहा है लेकिन 2007 में हुए गणना में मात्र 7 वनभैंसा होने की पुष्टि के बाद 2008 में वन संरक्षण केन्द्र का निर्माण कर करोड़ों रूपये फूंका गया। 15-16 वर्षो बाद भी नतीजा सिफर रहा अब उदंती में एकमात्र शुध्द नस्ल का वनभैंसा छोटू ही बचा है जो काफी बूढ़ा उम्रदराज और आंखो से कमजोर हो गया है। यानी कि उदंती अभ्यारण अब राजकीय पशु वनभैंसा को खोने के कगार पर है। छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वनभैंसा है लेकिन आपको यह जान कर हैरानी होगी कि वनभैसा विलुप्ति की कागार पर है आने वाली पीढ़ियां यहां के राजकीय पशु को सिर्फ किस्से और किताबों के जारिये ही जान सकेगी।

  • वनभैंसों के संरक्षण और संवर्धन के नाम पर करोड़ों की गोलमाल जांच की मांग

क्षेत्र के ग्रामीण व जनप्रतिनिधियों ने चर्चा में बताया कि उदंती अभ्यारण में वनभैंसों के संरक्षण और संवर्धन के नाम पर वनविभाग एवं डब्लू टी आई द्वारा हमेशा से गलत आंकड़े और जानकारी दिया जाता रहा है जिसका समय समय पर ग्रामीणों द्वारा गलत जानकारी दिए जाने का विरोध भी किया गया है लेकिन वनविभाग के तत्कालीन अधिकारियों सुनियोजित तरीके से वनभैसा संरक्षण संवर्धन के नाम पर करोड़ों रूपये का गोलमाल किया गया है जिसकी जांच की मांग पूर्व में वनमंत्री महेश गागड़ा, मो. अकबर से किया गया था लेकिन अब तक इस मामले में जांच नहीं हुई। क्षेत्र के ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव सरकार के वनमंत्री केदार कश्यप से मांग किया है कि 2008 से अब तक वनभैसा संरक्षण संवर्धन के नाम पर जो करोड़ों रूपये खर्च किया गया है उसकी जांच किया जाये और जिम्मेदारों पर कार्यवाही किया जाए।

  • उदंती में वनभैंसा की कुनबा बढ़ाने के लिए बारनवापारा से वनभैंसा लाने की जरूरत

उदंती अभ्यारण के जंगल वनभैसों के लिए काफी अनुकूल जंगल बताए जाते है 2020 में एक नर और एक मादा वनभैसा तथा 2023 में चार मादा वनभैसा बारनवापारा लाया गया है जिसे उदंती अभ्यारण के टीम असम,मानस नेशनल पार्क से लाया गया है इन वनभैसो को उदंती अभ्यारण में लाकर उदंती अभ्यारण में कुनबा बढ़ाया जा सकता है जिसके लिए पिछले दो वर्षो से लगातार वनविभाग के बड़े अफसरों के कई बार दौरा हो चूका है लेकिन अब तक वनभैसा उदंती में लाने में सफलता प्राप्त नही हुई है।

  • उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ पहले ही गायब अब वनभैंसा विलुप्ति के कागार पर

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ पहले ही गायब हो चूके है पिछले दो वर्षो से बाघ के नामों निशान उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के जंगल में दिखाई नही दिया है सैकड़ो ट्रेप कैमरा लगाकर निगरानी किया जा रहा है अब उदंती अभ्यारण से वनभैसा विलुप्ति के कागार पर है ।

  • क्या कहते है डीएफओ

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक वरूण जैन ने बताया कि उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उदंती अभ्यारण में छोटू ही शुद्ध नस्ल के वनभैसा है जिसकी उम्र लगभग 22 वर्ष का है और उसके एक आंख में खराबी आ गई है। उन्होंने आगे बताया कि आने वाले समय में यहां मादा वनभैसा लाने का विभाग द्वारा प्लान लम्बे समय से चल रहा है।