उदंती अभ्यारण से राजकीय पशु वनभैंसा विलुप्ति के कगार पर, मात्र 1 शुध्द नस्ल के वनभैंसा ही बचा

- शेख हसन खान, गरियाबंद
- रेस्क्यूं सेटर में वनभैंसो के चारापानी के नाम पर 2008 से 2022 तक करोड़ों रूपये फूंके गये
गरियाबंद। गरियाबंद जिले के उदंती अभ्यारण दूलर्भ राजकीय पशु वनभैंसो के नाम से प्रसिध्द है कहते है कि देश में दो ही स्थान पर विशुध्द प्रजाति के वनभैंसे पाये जाते हैं। एक उदंती अभ्यारण और दूसरा असम लेकिन अब उदंती अभ्यारण अपने वनभैंसो को खोने के कगार पर पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद विलुप्त प्रजाति के वनभैंसो को राजकीय पशु का दर्जा दिया गया। इसके संरक्षण तथा संवर्धन के लिये कार्य योजना बनाई गई वन विभाग तथा डब्ल्युटीआई द्वारा उदंती अभ्यारण के भीतर लगभग 22 से 25 हेक्टेयर घने जंगल को चारो तरफ बड़े बड़े लोहे का एंगल एवं तार घेरकर बाड़ा का निर्माण सन् 2008 में किया गया है। इस संरक्षण संवर्धन केन्द्र का जब निर्माण किया गया उस समय लगभग एक दर्जन वनभैंसा उदंती में हुआ करता था बकायदा इन वनभैंसो के स्वास्थ्य के परीक्षण के लिये रायपुर से लेकर दिल्ली तक डब्ल्युटीआई के डॉक्टर समय समय पर पहुंचते थे और तो और वनभैंसो को हरा चारा के साथ विटामिन प्रोटिन और दालिया मक्का सहित कई खाद्य पदार्थ खिलाने में अब तक 10 से 12 करोड़ रूपये खर्च किये जाने की बात सामने आयी है।
वनभैंसा संरक्षण संवर्धन केन्द्र के निर्माण के साथ उसके भीतर पानी तालाब व चैकीदार तथा अन्य सुरक्षा में करोड़ो रूपये अलग से फूंके गये है अब जो रिपोर्ट सामने आई है वह चैकाने वाला है उदंती अभ्यारण में एक मात्र वनभैंसा छोटू ही विशुध्द प्रजाति के बताये जा रहे है साथ ही यह रिपोर्ट सामने आते ही जहां एक ओर जिम्मेदारो के पैरो तले जमीन खिंसक गई वहीं डब्ल्युटीआई विभाग के जिम्मेदारो द्वारा कुछ भी कहने से बच रहे है और डब्ल्यूटीआई के डाॅक्टर अब क्षेत्र में दिखाई भी नही दे रहे हैं।
- उदंती में वनभैंसा के संरक्षण और संवर्धन के नाम पर करोड़ों का झोल
सूत्रो की माने तो उदंती अभ्यारण्य में राजकीय पशु वनभैंसा के संरक्षण संवर्धन के नाम पर करोड़ो रूपये का झोल बताया जा रहा है 2007 से पहले यहां 62 वनभैंसा होने की जानकारी विभाग द्वारा दिया जाता था और इसके बाद लगातार एक दर्जन वनभैंसा होने का दावा किया जा रहा था और तो और वनभैंसा के गतिविधियो पर नजर रखने के लिए वन विभाग के तत्कालीन अफसरो द्वारा सन् 2017 में अफ्रीका से वन पशु विशेषज्ञ मिस्टर मार्कोस को प्लेन से छत्तीसगढ़ लाया गया था और उदंती अभ्यारण्य में अफ्रीका से पहुंचे विशेषज्ञ दो वनभैंसा और एक गौर को गन के माध्यम से बेहोश कर रेडियो कालर लगाने का दावा किया गया था साथ ही लगातार विशेषज्ञो का दल डब्ल्यूटीआई के डाॅक्टरो के साथ वन विभाग के अफसरो के साथ पहुंचते रहे है और वनभैंसा के संरक्षण संवर्धन में करोड़ो रूपये फुंके गये हैं।
- 2023 में वन अफसर के पत्र के बाद खुली विभाग की पोल
उदंती अभ्यारण्य में एक दर्जन वनभैंसा होने का दावा करने वाले लोगो की पोल 2023 में एक पत्र के माध्यम से खुलकर सामने आ गई जब उदंती में सिर्फ एक मात्र छोटु ही शुद्ध नस्ल का वनभैंसा बताया गया इसके पूर्व वनभैंसो के सरंक्षण के नाम पर जमकर शासकीय राशियो का बंदर बाट किये जाने का अंदेशा लगाया जा रहा है जिसका निष्पक्ष जाॅच किया जाना चाहिए तो और कई मामले सामने आयेंगे।
- क्या कहते हैं वन अधिकारी
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरूण जैन ने चर्चा में बताया उदंती में वनभैंसो की संख्या निश्चित रूप से घटी है जो चिंता का विषय है उन्होने बताया कि वन विभाग द्वारा उदंती में वनभैंसो की संख्या बढ़ाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जा रही है। उदंती के लिए 6 वनभैंसा असम से लाया गया है जिसे बारनवापारा में रखा गया है जिसका दो बच्चा भी हो गया है आने वाले दिनो में उदंती अभ्यारण्य में शिप्ट किया जायेगा। शुद्ध नस्ल के वनभैंसा छोटु से वंशवृद्धि करवाने की प्लानिंग किया गया है। उन्होने कहा पूर्व में वनभैंसो के नाम पर कितना खर्च किया गया इसके बारे में रिकाॅर्ड देखकर बतायेंगे।