श्रमिक गौरव श्री द्वारिका मोहन मिश्रजी को श्रद्धासुमन
1 min read- रिपोर्ट सुसुश्री पात्र , अनूगुल (ओडीशा)
- पिता आदर्श को व्रत मानते हुए पुत्र शांतिवर्धन, जयवर्धन एवं जमाई उमाबल्लव मानव सेवा के पथ पर
अनुगूल। जिले के कोयला नगरी तालचेर में २०जनवरी १९३४ के दिन ओडीशा प्रदेश का जगमगाता सितारा तथा गरीब, जरूरतमंद, किसान, श्रमिक जनताओ के समस्या को लेकर संघर्ष करने वाला शख्स श्री द्वारिका मोहन मिश्र जी का जन्म हुआ था l श्री मिश्र जी का निधन २५ दिसंबर २०२२ में होने पर अंचल में शोक का लहर छाया हुआ है l
इस दौरान आज ४ जनवरी २०२३ बुधवार के दिन एकदशाह कार्यक्रम के दौरान श्रद्धा सुमन , विभिन्न वर्ग के लोगों द्वारा अर्पण किया जा रहा है साथ में नारायण सेवा एवं ढेंकानाल स्थित दत्तात्रेय साईं आश्रम परिसर पर निर्धारित कार्यसूची के अनुसार प्रसाद सेवन कार्यक्रम रखा गया है l सूचना के मुताबिक स्वर्गत श्री मिश्र तालचेर जुवराज स्कूल में शिक्षा समाप्त के वाद कटक स्थित ख्रीस्ट कॉलेज मैं अपना पढ़ाई शुरू किए थे l उसी वक्त एक छात्र नेता के रूप में उभरते हुए कॉलेज में फीस वृद्धि को लेकर आवाज उठाते हुए पहली बार स्वर्गत श्री मिश्र गिरफ्तार हुए l बाद में कालेज छात्र संसद संपादक के रूप में चुनाव जितने के बाद राजनीति एवं समाज सेवा को अपना व्रत एवं लक्ष्य बनाते हुए हमेशा लोगों का सेवा में जुटे हुए थे l कम्युनिस्ट विचारधारा को अपनाते हुए श्री मिश्र विभिन्न संगठन का जिम्मा संभालते हुए अपना उत्तरदायित्व सही रूप से संपादन करने के साथ-साथ हमेशा गरीबों का बादशाहा बने हुए थे, बता दें कि १९६५ में जब तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु तालचेर आए हुए थे उसी वक्त उनके साथ मुलाकात करते हुए श्री मिश्र तालचेर थर्मल प्लांट मैं स्थानीय निवासीओ के नौकरी को लेकर चर्चा किए थे एवं अंचल के निवासियों का आस्था जीत लिए थे , बाद में जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी की दोरा तालचेर हुआ था उसी वक्त भी श्री मिश्र मुलाकात करते हुए अनेक समस्याओं का विषय पर चर्चा किए थे l जीवन काल के अंदर श्री मिश्र भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दल में भी अपना कार्य करते हुए अनेक श्रमिक संगठन सरकारी निगम का जिम्मा सही रूप से संपादन करते हुए अनेक समस्याओं का हल निकाले में सक्षम हुए थे l भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री चरण सिंह जी के साथ भी उन्होंने कार्य किए थे l
कला एवं साहित्य में रुचि रखने वाले श्री मिश्र लोगों का समस्याओं को सामने लाने के लिए पत्रकारिता को भी अपनाते हुए कई मुकाम हासिल किए हैं l लिहाजा उनको श्रमिक गौरव, साहित्य गौरव, उत्कल बंधु एवं कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है l उल्लेखनीय है कि स्वर्गत श्री द्वारिका मोहन मिश्र जी के दोनों पुत्र शांति वर्धन एवं जय वर्धन तथा जमाई उमा बल्लव रथ उनके मार्ग को अपनाते हुए जनसेवा को अपना व्रत बनाए हुए हैं l