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January 27, 2025

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

छत्तीसगढ़ में उमरगांव एक ऐसा गांव, जहां देश को आजाद कराने 45 स्वतंत्रता सेनानी हुए पर वीर सेनानियों के परिवार को भूला बैठा शासन – प्रशासन

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  • हायर सेकेंडरी स्कूल का नाम स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर करने वर्षों से किया जा रहा मांग लेकिन इस ओर अब तक नहीं दिया गया ध्यान
  • शेख हसन खान, गरियाबंद 

गरियाबंद ‌। जहां से शुरू हुआ था जंगल सत्याग्रह और वीर बलिदानियों के नाम पर बनाया गया है। स्मारक आज उसे ही शासन प्रशासन भुला बैठा है। शासन की उपेक्षा से नाराज ग्रामीणों का कहना है उनके पूर्वजों ने आजादी की लड़ाई में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया लेकिन सरकार उन्हे कभी याद नहीं किया। धमतरी जिले के अंतिम छोर मे बसा मैनपुर से महज 38 किमी दूर उमरगांव स्वतंत्रता सेनानियों के गांव के नाम से जाना जाता है। आपको यह जानकर यह आश्चर्य होगा कि मातृ भूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले इस आदिवासी बहुल्य नगरी ब्लॉक के छोटे से गांव उमरगांव में 45 स्वतंत्रता सेनानी हुए जिन्होने आजादी की लड़ाई के लिए न केवल संघर्ष का शंखनाद किया बल्कि जेल जाकर यातना भी सही पूरे छत्तीसगढ़ मे यह संभवता यह पहला उदाहरण है। जहां एक छोटे से गांव मे इतने अधिक स्वतंत्रता सेनानी हुए जिनका नाम जेल के रजिस्टर मे दर्ज है और तो और इस गांव के नाम को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ग्राम उमरगांव के नाम से जाना जाता है।

हमारे संवाददाता शेख हसन खान ने गांव की जमीनी हकीकत जानने जब उमरगांव पहुंचे तो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के कई परिवार वालो से मुलाकात किया। उन्होंने बताया सिहावा नगरी क्षेत्र के अमर स्वतंत्रा सेनानियों ने 1921-22 में जंगल सत्याग्रह, 1923 मे झंडा सत्याग्रह, 1930-31 मे जंगल सत्याग्रह एवं सविनय अविज्ञा आंदोलन मे समर्पित होकर अपनी भूमिका निभायी और उनके नाम पर गांव मे एक भव्य स्मारक का निर्माण किया गया है जहां स्वतंत्रा सेनानी परिवार के लोग और ग्रामीण 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस एवं 26 जनवरी गणतंत्र दिवस तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित कर उन्हे याद करते हैं। यहां निर्माण किये गये शहीद स्मारक भी उपेक्षा का शिकार है। चारों तरफ साफ सफाई रंग रोंगन का अभाव बना है। देखरेख करने में शासन प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नही दिया जा रहा है जबकि इस स्थान को बेहतर तरीके से सहेज कर और सौन्दर्यीकरण किये जाने के साथ ही यहां के इतिहास को अंकित किया जाना जरूरी है ।

  • स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का पोता ने बताया

ग्राम उमरगांव निवासी और स्वतंत्रता की लड़ाई मे अहम भूमिका निभाने वाले पंचम सिंह का पोता एवं ग्राम पटेल निलाम्बर सिंह ने बताया उनके दादा पंचम सिंह सहित लगभग 45 इस क्षेत्र के सेनानियों ने आजादी की लड़ाई में अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंचम सिंह क्रांतिकारी नेता थे। 1920 मे गांधी जी के धमतरी आगमन पर गांधी जी से मुलाकात कर गांधी जी के बताये रास्तों पर उन्हे सत्य के मार्ग पर चलने का हौसला मिला और गांधी जी से मुलाकात करने के बाद स्वराज दल के गठन कर अपना तन मन धन अर्पित कर दिया‌। असहयोग आंदोलन 1922 मे इस क्षेत्र मे उग्र आंदोलन हुआ जिसमें अंग्रेजो के द्वारा आदिवासियों एवं उनके निस्तारी हक को छिनने के खिलाफ आवाज बुलंद किया, असहयोग आंदोलन एवं जंगल सत्याग्रह इस क्षेत्र के वन ग्रामों मे अधिक उग्र देखा गया लखनपुरी, बिरनसिल्ली, बेलरबाहरा, कसपुर, चिवरी, सांकरा नवागांव आंदोलन के प्रमुख केन्द्र थे। इनका नेतृत्व आदिवासी युवा कर रहे थे अंग्रेज सिपाहियों ने इस आंदोलन को दबाने के लिए पुरजोर कोशिश की और आंदोलन कारियों को बहुत सारे यातनाएं दिये लेकिन वे टस के मस नहीं हुए।

निलाम्बर सिंह बताते है उनके दादा पंचम सिंह को नागपुर मे गिरफ्तार किया गया। छह माह सश्रम कारावास का दण्ड दिया गया और तो और कैदियों के जेल मे गुनाह खाना जेल मे ठूस दिया गया बावजूद इसके पंचम सिंह बड़े साहसी युवक थे और वे बड़े बड़े अंग्रेज अधिकारियो ने नहीं डरते थे। अंग्रेज जेलर को विसुध्द छत्तीसगढ़ी भाषा मे बूरा भला कह देते थे। उन्होंने बताया कि पंचम सिंह सहित 45 स्वतंत्रता सेनानी इस गांव क्षेत्र से हुए और देश के आजादी मे अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया इसके बाद भी आज यह गांव उपेक्षा का शिकार है।

  • हाई स्कूल को स्वतंत्रता सेनानी के नाम करने की मांग कई बार कर चुके हैं पर अबतक कोई ध्यान नहीं दिया गया

स्वतंत्रता सेनानी का पोता निलाम्बर सिंह ने बताया गांव के शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय को उनके दादा स्वतंत्रता सेनानी पंचम सिंह के नाम पर करने की मांग कई बार किया जा चुका है। ग्राम सभा मे भी प्रस्ताव पास हो चुका है लेकिन अबतक इस ओर शासन प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने बताया पंचम सिंह के पुत्र जगत सिंह भी स्वतंत्रता सेनानी रहे और उन्हे ताम्रपत्र भी मिला है और तो और उनके घर से दो युवक आर्मी मे अभी सेवा दे रहे हैं।

  • पूर्वजों के बलिदान के सम्मान की मांग करते तीन पीढ़ियां बदल गई

उमरगांव एक ऐसा गांव है जहां 45 स्वतंत्रता सेनानी हुए आज इस गांव के सेनानियों के वंशज आजादी के 75 साल से शासन प्रशासन की उपेक्षा झेल रहे है अपने पूर्वजों के बलिदान के बदले मे सम्मान की मांग करते करते तीन पीढ़ियां बदल गई।  उमरगांव के फरियाद की उम्र भी बढती जा रही है और मांग करने वाले लोग मजदूरी कर जीवन यापन करने विवश है। जबकि इस पूरे गांव को गौरव ग्राम घोषित करने के साथ सेनानियों के नाम अंकित करने की मांग यहां के ग्रामीण विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री तक लिखित तौर पर कर चुके है जिनके बदौलत आज भारत आजाद हुआ उनके परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। शासन प्रशासन को चाहिए कि सेनानियों के परिवारों को उचित सम्मान प्रदान किया जाये साथ ही सेनानियों के इस गांव को पूरा सम्मान मिलना चाहिए।

  • विधायक -श्रीमती अंबिका मरकाम ने कहा

सिहावा विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्रीमती अंबिका मरकाम ने कहा ग्राम उमरगांव मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार को पूरा सम्मान मिलना चाहिए उनकी जो भी मांगे हैं। उनसे मैं स्वयं मुलाकात करूंगी और उन मांगों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाकर पूरा करने की भरसक प्रयास करूंगी।