Recent Posts

March 13, 2025

समाचार पत्र और मीडिया है लोकतंत्र के प्राण, इसके बिन हो जाता है देश निष्प्राण।

छत्तीसगढ़ की अनोखा होली – यहां यज्ञ की राख से खेली जाती है होली, तीन दिन पहले शुरू हो जाता है ब्रम्ह यज्ञ

1 min read
  • शेख हसन खान, गरियाबंद 
  • बुधवार से काण्डसर में गौमाता की भव्य शोभाायात्रा के साथ होली का हुआ शुभारंभ
  • मैनपुर कांडसर के होली में इस वर्ष सदाबहार पुष्प, तितलीरानी, अन्नराजा धानवृक्ष है मुख्य अतिथि

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के एक गांव में होली से पहले गौ माता की पूजा होती है। गौसेवा यात्रा, कलश यात्रा, गौ अभिनंदन और फिर ब्रह्म यज्ञ होता है। यज्ञ के समापन के बाद राख से होली खेली जाती है। होली के पहले अनुष्ठान में गौ माता के रास्ते पर सूती कपड़ा बिछाया जाता है, जिस पर गौ माता चलती है। भक्त गौ माता की राह में पेट के बल लेट कर उनके पांव अपने शरीर में लेते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से रोग व्याधि से मुक्ति मिलती है और मंगलवार से यहा होली का पर्व प्रारंभ भी हो गया है। गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर के खजूरपदर गांव में कांडसर गौशाला में होली के 5 दिन पहले गौसेवा पर आधारित मेला लगता है। कांडसर गौ सेवा केंद्र के गौसेवक बाबा उदयनाथ ने 17 साल पहले विश्व शांति ब्रम्ह यज्ञ किया था। तब से होली के 4 दिन पहले हर साल इस यज्ञ की शुरुआत होती है।

इस वर्ष 11 मार्च को कलश यात्रा व गौ अभिनंदन से यज्ञ की शुरुआत हुई है। 12 मार्च बुधवार को ब्रम्ह मूहुर्त सुबह पांच बजे से यज्ञ प्रारंभ 13 मार्च गुरूवार को यज्ञ सतत् जारी एंव भजन युवा संस्कार नारी शिक्षा नशापान उन्मुलन राष्ट्रनिर्माण हेतु संकल्प रात्रि भजन, माला गायन, सतसंग प्रवचन एंव 14 मार्च दिन शुक्रवार को होली पर्व के अवसर पर पूर्ण आहूती, बाल भोग अर्पण और हवन कुंण्ड के राख से होली का तिलक लगाकर होली खेंलेंगे तथा गौ पुजा के साथ कार्यक्रम का समापन होगा।

गौ काष्ठ व विभिन्न औषधियों को हवन कुंड में डाला गया है। बाबा उदयनाथ व उनके अनुयायी ब्रह्म मुहूर्त से देर रात तक निराकार ब्रम्ह के उपासक विधि अनुसार हवन कर रहे हैं। भजन कीर्तन के साथ गौ का महत्व बताया जाता है। यज्ञ का समापन होली पर्व पर की सुबह पूर्णाहुति के साथ होगा। इसके बाद हजारों की संख्या में मौजूद अनुयायी पूर्णाहुति की राख का तिलक लगाकर होली खुलेंगे। गरियाबंद के अलावा रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बस्तर, कांकेर, धमतरी व महासमुंद जिले सहित ओडिशा से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुच रहे हैं।

3 किलोमीटर बिछाये गये सफेद कालीन में चलकर आती है गौमाता

गौ माता की पूजा-अर्चना के बाद यज्ञ शुरू होने से पहले गौ वंश को कांडसर गौशाला से मुख्य बस्ती तक लगभग 03 किलोमीटर का भ्रमण कराया जाता है। बाबा के अनुयायी गौ माता के जयकारे लगाते हुए गाजे-बाजे के साथ गांव भ्रमण पर निकलते हैं। गौ माता की राह में गांवभर में सफेद कपड़ों की कालीन बिछाया जाता है, इसी कपड़े पर गौवंश चलते हैं। जगह-जगह गौ वंश का स्वागत पूजा अर्चना के साथ किया जाता है और भक्त जो गौ माता की राह में पेट के बल लेट कर उनके पांव अपने शरीर में लेते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से रोग व्याधि से मुक्ति मिलती है।

  • गौ माता की सेवा और आस्था को बढ़ाना

बाबा उदयनाथ ने चर्चा करते हुए बताया कि इस आयोजन का मकसद गौ वंश की रक्षा व उसके प्रति आस्था को बनाए व बढ़ाये रखना है। गौवंश कि सेवा भले ही कठिन है, लेकिन फलदाई है। बदलते जमाने में लोग अन्य पालतू जानवर पालने में अपनी शान समझते हैं। ऐसे लोगों को गौ पालन के महत्व को समझाने के लिए यह आयोजन किया जा रहा है। साल दर साल भक्तों की लगने वाली भीड़ इस बात का प्रमाण है कि लोगों का रुझान गौ सेवा के प्रति बढ़ रहा है। इस उपासना में प्रकृति प्रेम को श्रेष्ठ माना गया है।गौ सेवा, गौ के प्रति आस्था व प्रकृति प्रेम को बढ़ावा देने 2005 मे इस प्रकृति यज्ञ व धुनि की राख से होली खेलने की शुरुआत किया गया था,बाबा उदय नाथ बताते हैं कि शुरूवात में केवल उनके अनुयायी जिनकी संख्या उस समय 2 हजार थी वही आते हैं। अब दूर दराज से लोगो की भीड़ व 30 हजार से भी ज्यादा अनुयायी यज्ञ में जुटेंगे।बाबा उदयनाथ ने बताया कि ऐसे आयोजन से सनातन धर्म का प्रचार तो होता ही है। प्रकृति जो हमे सब कुछ देती है उसका भी हमे सम्मान करना चाहिए यही सीख मिलता है। गौ पग बाधा, दूर करती है रोग व्याधि- इस पूरे आयोजन में गौ पग बाधा बनने का रिवाज भी प्रमूख माना गया है।मान्यता है कि भ्रमण से लौट कर आने वाले गौ माता के रास्ते मे लेट कर जो व्यक्ति गौ पग बाधा बनते है, जिनके शरीर से गौ माता पार हो कर गुजरती है उनकी शारीरिक कष्ट दूर हो जाता है।इसी मान्यता के चलते स्थानीय लोगो के अलावा दूर दराज से आए लोग गौ के रास्ते मे लेट जाते है।अब तक किसी भी श्रद्धालु को गौ चलने से नुकसान न होना इसकी सत्यता को भी प्रमाणित करता है।

  • इस वर्ष सदाबहार पुष्प,तितलीरानी, अन्नराजा धानवृक्ष है मुख्यअतिथि

अलेख ब्रम्ह उपासक बाबा उदयनाथ द्वारा संचालित कांडसर स्थित गौ शाला में मनाए जाने वाली अनूठी ही नही प्रकृति प्रेम जगाने वाली होली कि शुरुवात 11 मार्च को अतिथि सत्कार के साथ हो गई है।होलिका दहन के तीन दिन पूर्व शुरू होने वाले यज्ञ में भ्रमण कर लौटने वाली गाय अतिथि होती हैं, इनके साथ तीन और अतिथि का चयन होता है जिन्हें तीन दिवस तक मूख्य मंच पर विराजमान किया जाता है।इस बार की यह तीन अतिथि सदाबहार पुष्प,तितलीरानी, अन्नराजा धानवृक्ष है।

  • विश्व शांति वार्षिक महिमा मेला में पहुंचने राजनीतिक दल के बड़े नेता

मैनपुर के काण्डसर में आयोजित इस अनोखी होली मिलन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भाजपा प्रदेश सगंठन महामंत्री पवन साय, संग प्रातं प्रचार प्रमुख संजय तिवारी, प्रातं गौ सेवा प्रमुख वीर अन्ना साफरे,हिन्दु जागरण मंच के प्रदेश पदाधिकारी सौरभ दुबे, वरिष्ठ कक्षावाचक युवराज पंाडेय, जिला पंचायत गरियाबंद के अध्यक्ष गौरीशंकर कश्यप, नगर पालिका गरियाबंद के अध्यक्ष रिखीराम यादव, जनपद पंचायत मैनपुर के अध्यक्ष मोहना नेताम, जिला पंचायत सदस्य नेहा सिंघल, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश साहू, वरिष्ठ भाजपा नेता भागीरथी मांझी सहित छत्तीसगढ व ओडिसा से बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि एंव श्रध्दालु पहुंचे हैं।