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December 23, 2024

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हाथियों के दल पहुंचने से पहले ग्रामीणों को मिल जाता है सूचना

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  • मानव और हाथी द्वंद्व को रोकने उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के युवा उपनिदेशक वरूण जैन के प्रयास से ‘एलीफेंट अलर्ट’ एप बनाया गया है और अब इससे मिलने लगी है लाभ
  • शेख हसन खान, गरियाबंद 

गरियाबंद । एक समय था जब जंगल में विचरण करने वाले हाथी आसपास बसे गांवों में घुसकर जान-मान को नुकसान पहुंचाकर लौट जाते थे. पीड़ित लोगों के पास केवल आंसू बहाने के अलावा कोई चारा नहीं हुआ करता था. लेकिन लोगों के दर्द को उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के युवा अफसर वरूण जैन ने समझा ऐसा ‘एलीफेंट अलर्ट’ एप बना डाला, जिसकी वजह से बीते सात महीने से एक भी जनहानि नहीं हुई है. अब इस एप को प्रदेश भर के हाथी प्रभावित जिलों में शुरू करने की तैयारी है। हाथियों से बढ़ते जनहानि के बीच उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व से अच्छी खबर निकल कर सामने आई है यहां हाथी एप के उपयोग के बाद जनहानि में विराम लग गया है. जिस एलिफेंट एप के मदद से ऐसा हुआ है, उसे बनाने से लेकर उसके सफल क्रियान्वयन में उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के युवा उपनिदेश वरुण जैन और उनकी टीम की भूमिका अहम रही।

2017 बैंच के आईएफएस वरुण जैन की पोस्टिंग बतौर उपनिदेशक 2022 में हुई. उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में बढ़ रहे हाथी मानव द्वंद को रोकने की चुनौती के बीच अफसर ने उपनिदेशक की कुर्सी संभाला ही था, तभी 11 व 12 अप्रैल 2022 को दरम्यानी रात 32 हाथियों का दल ओडिसा से सीतानदी रेंज में प्रवेश किया और 24 घंटे में ही 3 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. उस दिन के बाद से उपनिदेशक वरुण जैन ने हाईटेक अलर्ट एवं ट्रैकिंग सिस्टम बनाने की ठान ली, जिससे जनहानि पर अंकुश लग सके। टेक्नोलॉजी में पकड़ रखने वाले वरुण जैन ने एफएमआईएस में लीड करने वाले सतोविषा समाज्दार आईएफएस और प्रोग्रामर ठाकुर विक्रम सिंग व अंकित पटेल के साथ चर्चा कर अलर्ट एप बनाने की कार्ययोजना तैयार की।

जैन ने बताया कि हाथी जंगलों में घूमते थे, उनकी लोकेशन की जानकारी लेकर तत्काल लोगों को एलर्ट भी करना था. ऐसे में डाटा एंट्री के लिए गूगल के ओपन डेटा किट का इस्तेमाल किया गया. आर्टिफिशियल इंटलीजेंसी (एआई) का इस्तेमाल कर ‘एलीफेंट अलर्ट’ एप बनाया गया, जो किसी भी एंड्रॉयड फोन में आसानी से लोड होकर वर्किंग भी करता था. एप तैयार करने ने गाजियाबाद के स्टार्टअप फर्म कल्पवेग की मदद ली गई. सभी ने मिलकर आखिरकार ‘एलीफेंट अलर्ट एप’ बना दिया।

  • फरवरी 2023 में उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में शुरू हुआ ट्रायल

फरवरी 2023 में इसका ट्रायल उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में शुरू किया. सफलता मिलते ही जून 2023 में सिहावा विधायक लक्ष्मी ध्रुव के हाथों बड़े वन अफसरों की मौजूदगी में विधिवत एप की लॉन्चिंग भी हो गई. वरुण जैन ने बताया कि एप उपयोग करने से पहले पिछले दो साल में 6 लोगों की मौत अभयारण्य क्षेत्र में हुई थी, लेकिन फरवरी के बाद से एक भी मौत नहीं हुई है। इसके पीछे इस एप की भूमिका के अलावा अभयारण्य के प्रभावित 5 रेंज के 1200 स्क्वेयर किमी एरिया में 24 घंटे निगरानी कर रहे 20 हाथी मित्र व 70 से ज्यादा वन कर्मी अफसरों की कड़ी मेहनत भी शामिल है।

  • राजकीय पशु वन भैैंसा, पक्षी मैना भी हो रही ट्रेक

वरुण जैन ने बताया कि इस एप के जरिए हाथी के पसंदीदा ठिकाने की जानकारी मिल रही है. टाइगर रिजर्व में वन भैंसे की निगरानी, आगजनी का लोकेशन ट्रेक, गोद लिए गए वृक्षारोपण एरिया की मॉनिटरिंग के अलवा कांगरे घाटी में राजकीय पक्षी मैना की ट्रेकिंग भी इस एप से हो रहा है. इससे वन एवम वन्य प्राणियों के लिए कार्ययोजना बनाने में भी सटीक मदद मिल रहा. गरियाबंद के अलवा हाथी प्रभावित कोरबा, धर्मजयगढ़ और रायगढ़ वन मंडल में इसका उपयोग हो रहा है।

  • 6 जिलो के 180 गांव में 2500 सरपंच कोटवार एवं ग्रामीणो का हो चुका है पंजीयन 

ऑनलाइन रिकार्ड के मुताबिक, एप में अब तक प्रभावित 6 जिलो के 180 गांव में 2500 से ज्यादा ग्रामीणों, सरपंचों, कोटवारों का पंजीयन हो चुका है. 1161 वन कर्मियों के मोबाइल में एप इंस्टॉल है. अब तक एप ने 9 लाख से ज्यादा मैसेज ट्रिगर कर चुका है. रजिस्ट्रेशन का दायरा बढ़ाने वन विभाग प्रभावित जिलों में लगातार वर्कशॉप का आयोजन कर रहा है. अभी तक 12 जिले में इसकी ट्रेनिंग टेक्निकल टीम से चुकी है. वन कर्मी अफसरों के अलवा ग्रामीण इलाके में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी जोड़ा जा रहा है।

  • 10 से 15 किमी पर हाथियों के दल पहुंचते ऐसा काम करता है एप

एआई अंतर्गत सॉफ्टवेयर एवम प्रोग्राम को क्लाउड सर्वर पर होस्ट किया गया है। इसमें कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर हैं, जो एलीफेंट अलर्ट एप से जुड़े हैं, जो ऑटोमेटिक काम करना शुरू कर देता है. रहवासी इलाके में हाथी के दिखते ही हाथी मित्र एप पर लोकेशन लोड कर देते हैं. इसके बाद एप क्लाउड सर्वर से गूगल मैप के जरिए लोकेशन ट्रेस कर लेता है, फिर संबंधित इलाके की लिस्ट बनता है एप को गूगल मैप की एपीआई लिंक से जोड़ा गया है, जो एलीफेंट एप सर्वर के साथ है. एप लोकेशन के अनुसार 10 से 15 किमी की परिधि में आने वाले पंजीकृत सभी मोबाइल नंबर पर मेसेज व कॉल एक साथ करता है मोबाइल रिचार्ज की तरह ही इस एप के एवज में नेटवर्क के लिए प्रति कोल 90 पैसे का भुगतान करना होता है. फिलहाल, विभाग अपने रेंज में 3 लाख रुपए का रिचार्ज कराया है, जिसमे 3 लाख काल एवं मेसेज फ्री है. एप को बनाने में निःशुल्क उपलब्ध ओपन सोर्स कंपोनेंट का इस्तेमाल किया गया है, जिसकी वजह से महज 3 लाख में यह एप बनकर तैयार हुआ है।