बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर हुआ वेबिनार का आयोजन
1 min readबिलासपुर से प्रकाश झा
बिलासपुर/मुंगेली:बुद्ध पूर्णिमा के उपलक्ष में अर्क वियत फाउंडेशन, बिलासपुर के संस्थापक विनय सोनवानी, फुलवारी शिक्षण एवं युवा कल्याण समिति के संस्थापक नितेश साहू एवं गुरुकुल महिला महाविद्यालय कालीबाड़ी रायपुर से एनएसएस प्रोग्राम ऑफिसर रात्रि लहरी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित भगवान बुद्ध को समर्पित कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में श्री रतनलाल डांगी जो आईजी बिलासपुर रेंज हैं।
उन्होंने माओवादी विचारधारा के विरोध में 2017 में ‘युवाओं का मार्गदर्शन करें, राष्ट्र का विकास करें’ अभियान शुरू किया है और माओवादी आंदोलन में काम करने के लिए लगातार दो वर्षों तक 2008 और 2009 में राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया एवं प्रोफेसर रमेश प्रसाद जो संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में श्रमण विद्या संकाय के डीन हैं।
जिन्हें 2003 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित महर्षि बदरायण व्यास सम्मान से सम्मानित किया गया, उपस्थित रहेl श्री डांगी ने कहा भगवान बुद्ध ने देखा कि किस प्रकार लोग बैठे हुए हैंl किस प्रकार से जीवो को परेशान किया जा रहा है ।
उस समय लोग कृषि पर ही निर्भर करते थे एवं पशुओं की बलि के कारण खेती करने वाले पशुओं में कमी आती गई, इसका प्रतिकूल प्रभाव उत्पादन में पड़ा यह सब एक राजकुमार को विचलित करता है इसके समाधान के लिए वह राजा अर्थात बुद्ध बाहर निकलता है, कहीं भी संतुष्टि नहीं मिलती है तो जाकर तपस्या करता है ।
भगवान बुध का मूल उद्देश्य था लोक कल्याण “सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय” उन्होंने व्यवस्था के खिलाफ जाकर सामाजिक कार्य किया उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई बात अपने विवेक तर्क चिंतन एवं बुद्धि की कसौटी में कसने के बाद यदि वह आपके अनुसार उचित है तभी उसे स्वीकार करिए ।
वह महिला पुरुष में भेद नहीं करते तथा बंधुत्व की बात करते थे, अहिंसा की बात करते थे, मन वचन कर्म से हिंसा के खिलाफ थे उनमें अहिंसा कूट-कूट कर भरी हुई थी भगवान बुद्ध का कहना था यदि आप किसी के दुख को काम नहीं कर सकते तो उसे बढ़ाया नहीं कोरोना महामारी के संबंध में भगवान बुद्ध की प्रासंगिकता है वर्तमान कोरोनावायरस किस समय में हमारी इंसानियत खत्म हो गई है लोक श्मशान के बाहर अपने परिजनों को छोड़ कर चले जाते हैं तो हमको भगवान बुध याद आते हैं हमें बुद्ध की तरह सोचना पड़ेगा ।
प्रोफेसर रमेश प्रसाद जी ने बुद्ध वंदना के साथ अपना व्याख्यान प्रारंभ किया प्रोफेसर रमेश ने कहा भगवान बुद्ध का सिद्धांत अनुभव पर ही आधारित है । आज बुद्ध पूर्णिमा है एवं यह तीन विशेष घटनाओं का समावेश करती है – इसमें गौतम सिद्धार्थ बना, इसी दिन बुद्ध बनते हैं एवं इसी दिन निर्माण हुआ । अर्थात जन्म ज्ञान एवं निर्माण का महत्वपूर्ण यह दिवस है ।भगवान बुध में कोई बात तो थी कि आज 2000 वर्षों बाद भी लोग उनको याद करते हैं l।
उनमें करुणा थी जिसने उन्हें त्याग के लिए प्रेरित किया उन्हें प्रज्ञा की प्राप्ति हुई एवं उन्होंने दुख को दूर करने का उपाय जाना एवं लोगों का दुख दूर करने के लिए 15 वर्षों तक बिना रुके कार्य करते रहें l ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने दो बातें कहीं
- अनेक जन्मों तक बिना रुके हुए इस संसार में भटकता रहा जन्म लेता रहा एवं दुख को भोगता रहा जिसके कारण व्यक्ति जन्म मृत्यु के क्षेत्र में पड़ता है उसको मैंने देख लिया है एवं उसे नष्ट कर दिया है अविद्या नष्ट हो गई है एवं कृष्णा मिट गई है l
- भगवान बुद्ध से निकला हुआ पहला शब्द ही ब्राह्मण था (यह उनका दूसरा उदान था) एवं दोनों उदान एक साथ ही निकले थे l भगवान बुद्ध ब्राह्मण विरोधी नहीं थे, उनका मानना था जिसके अंदर ब्रह्म का प्रादुर्भाव हो जाता है वह ब्राह्मण है l यदि दुख आपके पास है तो उसका कोई ना कोई कारण है हम दुखी क्यों होते हैं भगवान बुद्ध ने बताया जन्म मृत्यु के चक्र से कैसे मुक्त हो सकते हैं यह भी भगवान बुद्ध ने बताया l
जो राग द्वेष से मुक्त हो वह आर्य है l जन्म लेने में दुख होता है बुढ़ापा आने पर दुख होता है और रोग में दुख होता है मरण में दुख होता है l दुख तो है, लेकिन उसका कारण है l एक ही परिस्थिति में कोई ज्यादा दुखी होता है, कोई कम दुखी होता है, इसका कारण है- तृष्णा l ज्यों-ज्यों तृष्णाओं का क्षय होगा दुखों का भी क्षय होता जाएगा l डायरेक्ट संबंध है दुख और कृष्णा का l
कृष्णा का अंत दुख है बुद्ध द्वारा बताए गए आठ अंगों पर चलकर हम दुख का अंत कर सकते हैं l भगवान बुद्ध घूम घूम कर लोगों को उपदेश करते हैं ताकि सभी का कल्याण हो सके l व्यक्ति के अनुरूप उन्होंने उपदेश किया भगवान बुद्ध का उपदेश आचरण प्रधान हैं l भगवान बुद्ध ने पशु बलि का एवं पेड़ काटने का विरोध किया था l वह अर्थशास्त्री भी थे उन्होंने कहा गरीब को धन मिले, किसान को बीज मिले वह समाजशास्त्री भी थे उन्होंने राजा एवं प्रजा के संबंध को पति एवं पत्नी के संबंध को गुरु एवं शिष्य के संबंध को सेवक एवं मालिक के संबंध को बताया l उनके पंचशील के सिद्धांत हैं हिंसा चोरी व्यभिचार झूठ नहीं बोलना l उन्होंने कहा मेरी बातों को इसलिए स्वीकार नहीं करो कि बुद्ध बोल रहा है आओ और देखो अब और अनुभव करो भगवान बुद्ध ने विवश नहीं किया अच्छा लगे तो स्वीकार करो l
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए नितेश साहू ने कहा आप दोनों वक्ताओं ने समय निकालकर अपना महत्वपूर्ण समय देकर हमारे बीच व्यक्ता व्यवस्थित किए l विनय सोनवानी ने कहा आई जी सर एवं रमेश सर जो बहुत कम समय में इमिटेशन स्वीकार करते हुए आए एवं सभी पार्टिसिपेंट्स जिन्होंने समय निकालकर उन्हें सुना सभी को धन्यवाद एवं रात्रि लहरी ने कहा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सभी ने सहयोग किया उनका धन्यवाद l इस वेबीनार में विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर एवं अर्क वियत् फाउंडेशन की टीम, फुलवारी शिक्षण एवं युवा कल्याण समिति की टीम, गुरुकुल महिला महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ संध्या गुप्ता जी एवं छात्राएं, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर तथा आशुतोष शुक्ल, कमलेश प्रजापति, दीपेंद्र बरमाते श्रद्धा नाइक, मृणाली आदि ने उपस्थित रहकर कार्यक्रम को सफल बनाया l कार्यक्रम प्रोग्राम ऑफिसर रात्रि लहरी के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।