corona संक्रमण का सबसे बुरा दौर बीता ? केस और मृत्यु दर में गिरावट, रिकवरी 81 % के पार
1 min read- आंकड़ों के हिसाब से मिल रहे हैं सकारात्मक संकेत
- पहली बार कोरोना केसों की संख्या में गिरावट का रुख
- मृत्यु दर भी घटकर 1.59 फीसदी के स्तर पर आई
- देश में पहली बार लगातार सात दिनों के औसत केस की संख्या गिरी
- नई दिल्लीl
क्या भारत में कोरोना संक्रमण का सबसे बुरा दौर यानी पीक बीत चुका है? पिछले एक सप्ताह के आंकड़ों को देखें तो इसका जवाब हां में दिया जा सकता है। एक तरफ जहां पहली बार कोरोना केसों की संख्या में लगातार गिरावट का रुख बन रहा है तो दूसरी तरफ मृत्यु दर गिरकर 1.59 पर्सेंट पर आ गई है तो रिकवरी रेट अब 81 .25 पर्सेंट हैं। भारत में कोरोना संक्रमण की शुरुआत के बाद से पहली बार ऐसा हुआ है जब प्रतिदिन के केसों के सात दिनों के औसत में गिरावट आई है।
17 सितंबर को देश में सर्वाधिक 97 हजार 894 केस सामने आए थे। इसके बाद से 23 सितंबर को अपवाद मान लें तो नए केसों की संख्या में लगातार गिरावट का रुख है। 18 सितंबर को 96,424 केस सामने आए। 19 सितंबर को 93,337 लोग संक्रमित पाए गए। 20 सितंबर को 92,605 मरीज मिले। 21 को 86,961 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 22 सितंबर को 75,083 नए मरीज मिले। यह पहली बार है जब देश में लगातार पांच दिनों तक कोरोना केसों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। बुधवार को देश में 83,347 लोग संक्रमित पाए गए।
कुल संक्रमित 56.46 लाख
देश में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 56 लाख 46 हजार हो गई है तो 1,085 लोगों की मौत होने के बाद मृतक संख्या बढ़कर 90,020 हो गई। हालांकि, मृत्युदर में लगातार आ रही गिरावट और रिकवरी रेट में इजाफे से जरूर राहत मिलती है। देश में कोरोना वायरस के 9 लाख 68 हजार 377 एक्टिव केस हैं, जबकि 45 लाख 87 हजार 613 लोग स्वस्थ हो गए हैं।
- भारत में कोविड-19 के सर्वाधिक मामले अगस्त और सितंबर में सामने आए हैं। कोरोना मामले 7 अगस्त को 20 लाख के पार हुए थे, 23 अगस्त को 30 लाख के पार, 5 सितंबर को 40 लाख के पार और 16 सितंबर को 50 लाख के पार चले गए थे।
देश में अब प्रतिदिन 12 लाख से अधिक लोगों के कोरोना जांच की क्षमता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में 6.5 करोड़ लोगों की अब तक जांच हो चुकी है। इनमें से 9,53,683 नमूनों की जांच मंगलवार को की गई। देश के 14 राज्यों में प्रति 10 लाख आबादी पर टेस्ट की संख्या राष्ट्रीय औसत से अधिक है।