कृषि के कॉरपोरेटीकरण के खिलाफ संचालित ऐतिहासिक किसान आंदोलन की बहुत बड़ी जीत
1 min read- कॉरपोरेट घरानों के दलाल नव फासीवादी संघ परिवार- मोदी- शाह की करारी हार
- -क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच (RCF) ने thenewduni.com के रिर्पोटर शिखा दास से कहा
नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि वो तीनों काले कृषि कानून वापस लेने जा रहे हैं । ये कार्यवाही आने वाले संसद सत्र में की जाएगी । ये एक साल से सड़क पर सर्दी गर्मी की परवाह किए बिना आंदोलन कर रहे लाखों किसानों की जीत है । ये उन सभी 700 से ज़्यादा शहीद हुए किसानों की जीत है जो आंदोलन में लड़ते हुए शहीद हुए । ये लखीमपुर खीरी में मंत्री के बेटे द्वारा मारे गए इन किसानों और उनके परिवारों की भी जीत है । हमें याद रखना चाहिए कि इन सभी किसानों की हत्या की ज़िम्मेदार ये फासीवादी मोदी सरकार है । पिछले एक साल में इसी सरकार और इसकी पालतू मीडिया ने किसानों को खालिस्तानी, आतंकवादी , आंदोलनजीवी और न जाने का क्या क्या कहा था । इन होने ये तक कहा कि ये लोग किसान ही नहीं हैं ! आंदोलन स्थलों पर कीलें लगाई गयीं , पानी की तोप और लाठीचार्ज किया गया ।उन पर केस दर्ज हुए और उन्हें कितना दमन झेलना पड़ा, लेकिन ये किसानों के आंदोलन की ही ताकत है कि उसने इस अहंकारी मोदी सरकार को घुटने पर ला दिया है और उन्हें मौखिक रूप से हार माननी पड़ी है ।
किसानों ने सर्दी में अपने साथियों को मरते देखा , दुनिया भर की बदनामी झेली , कितने हमले झेले , कितने आँसू बहाये लेकिन उन्होने हार नहीं मानी । ये 15 अगस्त1947 के बाद का सबसे बड़ा आंदोलन रहा है । इसकी एक बड़ी उपलब्धि ये रही है कि इनसे अदानी अंबानी और कॉरपोरेट पूँजीपतियों की तानाशाही का पर्दाफाश किया है। मोदी सरकार सिर्फ दूसरी बार अपने निर्णय से पीछे हटी है ये किसानों और आम जनता की ताक़त नहीं तो और क्या है ? असल में जनता ही वास्तविक नायक या नायिका होती है इस आंदोलन ने ये साबित कर दिया है । किसान नेताओं का कहना है कि अब वो इतेज़ार करेंगे कि संसद सत्र में ये कानून वापस लिए जाएँ । साथ ही उनका कहना है कि MSP की गारंटी और बिजली बिल 2020 की वापसी के लिए लड़ाई जारी रहेगी ।
ये भी सही है कि पंजाब,उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों को देखते हुए ये कानून वापस लेने की बात हुई है । निसंदेह बीजेपी को इन चुनावों में खराब परिणामों का डर होगा इसीलिए भी वे पीछे हटे हैं । अब देखना होगा कि आम जनता इस निर्णय के बाद किस तरह वोट करती है । लेकिन इससे ये तो साबित हुआ कि पंजाब , हरियाणा , उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड,राजस्थान में फासीवादी बीजेपी के खिलाफ जनता में इस आंदोलन ने आक्रोश तो पैदा किया है । साथ ही देश के दूसरे हिस्सों में भी जनता में ये संदेश गया है कि ये लोग सिर्फ अंबानी अडानी की चाकरी करते हैं। किसानों का संधर्ष MSP की गारंटी के लिए जारी रहेगा । लेकिन आज जनता की एकता की जीत तो हुई है , ये साबित हुआ है कि अगर जनता खड़ी हो जाए तो कोई भी तानाशाह कागज़ का शेर ही रह जाता है ।आंदोलन रत किसानों और तमाम संघर्ष शील ताक़तों को क्रांतिकारी सलाम।