अलौकिक श्रद्धा सुमन अर्पित ब्रह्मा बाबा -ब्रम्हाकुमारी हेमा दीदी
1 min read- मुझे इतने महान पुरुष के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ
राजिम। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय आमापारा राजिम के तत्वाधान में संस्था के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा के ब्रह्मा जी के पुण्य स्मृति दिवस के उपलक्ष में श्रद्धांजलि कार्यक्रम एवं ब्रह्मा भोजन का कार्यक्रम रखा गया। बहन मीता महाडिक ने कहा कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मुझे इतने महान पुरुष के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
मैं समय-समय पर इस संस्था में आती रहती हूं एवं मेरा सहयोग हमेशा इस संस्था के प्रति रहेगा एवं बहन सोनाली महाडिक ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं माउंट आबू हो के आई हूं। 2 दिन हम लोग रुके लेकिन ऐसे लग रहा था जैसे वहां और रुकना था इतना सुंदर इस संस्था की स्थापना की है जहां ज्ञान योग एवं शांति से भरपूर हो जाता है। मन एवं आनंदित हो जाता है। राजीम सेवा केंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी हेमा दीदी ने ब्रह्मा बाबा जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाबा शुरू से लेकर भक्ति मार्ग से लेकर ज्ञान मार्ग तक महाराजा क्वालिटी के थे। बाबा जो भी पुण्य का काम करते उस पुण्य को पूरे विश्व के लिए प्रदान करते कि मेरा पुण्य पूरे विश्व की आत्माओं को प्रदान हो जिसे सभी आत्माएं सुखी हो जाए। शांति में जीवन चाहिए। आनंदमई जीवन जीये ऐसी कोई भी साधारण आदमी नहीं कर सकता महान आत्माएं ही इतने महान कार्य कर सकते क्योंकि हर व्यक्ति अपने लिए या अपने परिवार के लिए जीते हैं लेकिन ब्रह्मा बाबा ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे जो पूरे विश्व की आत्माओं के लिए शुभ भावना शुभकामना रखते थे।
हम सब को भी पूरे विश्व की आत्माओं के लिए शुभकामना शुभकामना रखने की प्रेरणा देते हैं हम सबकी सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम सब भी ब्रह्मा बाबा के जैसे विश्वकल्याण की भावना संकल्प एवं कर्तव्य करें यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित है। हम सभी को निरंकारी माना अपने आपको भी आत्मा समझो दूसरों को भी आत्मिक रूप में देखना है। किसी के भी शरीर को नहीं देखना है। दूसरा निर्विकार किसी भी प्रकार के विकार मन मे ना हो तीसरा निरंकारी अहंकार मन मैं ना लाओ सभी भाई बहनों भी इसी प्रकार से श्रद्धांजलि अर्पित करें साथ ही राजीम सेवा केंद्र के भाई बहनों ने ब्रह्मा बाबा को अलौकिक श्रद्धा सुमन अर्पित कीये ओम शांति।