छग बजट पर बोले बृजमोहन- बजट निराशाजनक, विकास विरोधी बजट, खाओ-पीयो, उधार लेकर छ.ग. को कर्जदार बनाओ
1 min read- एक शब्द में बजट ‘‘थोथा चना-बाजे घना‘‘ अधिक राजस्व व्यय व कम पूंजीगत व्यय बिमारू राज्य को दर्शा रहा हैo सरकार ने ईलाज व घर का हक छिना पूरी तरह केन्द्र पर आश्रित बजट- बृजमोहन अग्रवाल
रायपुर, 1 मार्च/भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने 2021-22 के बजट को निराशाजनक, विकास विरोधी बताते हुए कहा कि यह खाओ-पीयो-उधार लेकर छत्तीसगढ़ को कर्जदार बनाओ बजट है। इस बजट में किसान, मजदूर, युवा, महिला, बेरोजगार, शासकीय सेवक किसी के लिए कुछ नहीं है। यह बजट छत्तीसगढ़ के धरातल पर कोई परिवर्तन नहीं ला सकता। बजट की सबसे बड़ी राशि 355 करोड़ नया राजधानी को मुख्यमंत्री, मंत्री, राज्यपाल निवास व विधानसभा के लिए दी गई जिससे टेंडर-टेंडर व भ्रष्टाचार का खेल हो। एक शब्द में यह बजट ‘‘थोथा चना-बाजे घना‘‘ को चरितार्थ कर रहा है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि भारी भरकम लगभग 85 प्रतिशत के राजस्व व्यय व ऊॅट के मुंह में जीरा के समान 15 प्रतिशत से कम पूंजीगत व्यय सरकार की असफलता व छत्तीसगढ़ को बिमारू राज्य बनाने का आईना दिखा रहा है। सरकारी योजनाएं एवं विकास कार्य सिर्फ और सिर्फ होल्डिंग में रहेगी। बजट सरकार का विजन डाॅक्यूमेंट होता है पर यह बजट छूट का पुलिंदा है। भलाई का नहीं झूठे प्रचार का बजट है। श्री अग्रवाल ने कहा कि इस सरकार ने प्रदेश के 56 लाख गरीबों से नीजि अस्पताल में ईलाज का उनका हक छिन लिया। गरीबों से उनके पक्के मकान, छत व घर का सपना छिन लिया। ईलाज व आवास के लिए बजट में नया कुछ नहीं है।
यह सरकार हिन्दी स्कूलों के उत्थान के बजाय अंग्रेजी को छ.ग. की राजभाषा बनाने पर तुल गई है। इस बजट का हर पन्ना आंकड़ों की झूठी कहानी बया करती है। श्री अग्रवाल ने कहा कि केन्द्र के उपर निर्भर पूरी तरह केन्द्राषित बजट है। प्रदेश का घटता बजट देखकर यह तो प्रमाणित हो गया कि प्रदेश को आर्थिक बदहाली की ओर ढकेल दिया गया है। राजकोषकीय नीति 2005 के अनुसार जो वित्तीय घाटा कुल 3 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए किंतु राज्य से सकल बजट का घाटा 4.56 प्रतिशत है जो सीधा सीधा छ.ग. पर ऋण बढ़ाने वाला सिद्ध हो रहा है। कुल राजस्व प्राप्ति (आमदनी) का जो आंकड़ा दिया गया है उससे राज्य सरकार की आमदनी 35 हजार करोड़ बताया गया वहीं केन्द्र से राजस्व प्राप्ति 44 हजार 325 करोड़ की है। राज्य सरकार ने 2 साल में आमदनी बढ़ाने का कोई प्रयास ही नहीं किया सिर्फ शब्दों का मायाजाल ही फैलाया है। श्री अग्रवाल ने कहा कि इस बजट में 14000 करोड़ रूपए संरचना विकास पर खर्च करने की बात कही गई है, मगर, नए रोजगार के सृजन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
यह बजट छत्तीसगढ़ को विकास के रास्ते पर पीछे ले जाने वाला है। यह तीसरा बजट भी पहले के दो बजट के समान ही राज्य के पंेशनरों एवं कर्मचारी जगत क लिये निराशाजनक है। वरिष्ठ नागरिक संवर्ग के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को इस बजट से मायूसी मिली है, उनका छठवें वेतनमान और सातवें वेतनमान के एरियर के भुगतान का भरोसा टूट गया। इस तीसरे बजट से सबसे ज्यादा उम्मीद जुलाई 19 से बकाया पांच फीसद महंगाई राहत की घोषणा का इंतजार था, उस पर भी चुप्पी से राज्य के पेंशनर हताश हुए हैं।