एक और सूदखोर हरजीत सिंह चढ़ा पुलिस के हत्थे , मामूली रकम देकर ब्याज के नाम पर ऐंठ चुका है करोड़ो रुपए
1 min readबिना लाइसेंस कर रहा सूद खोरी
मनीष शर्मा,8085657778
बिलासपुर,सूद खोरी के जाल में रेल कर्मियों को फंसाने वाले सचिन गोरख के मकड़जाल मी फंसे शिकार की कहानी अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि एक और बड़े सूदखोर की करतूत सामने आ गई सचिन गोरख की ही तरह विनोबा नगर में रहने वाला कुख्यात सूदखोर हरजीत सिंह भी बिल्कुल उसी की शैली में रेल कर्मचारियों को मामूली रकम देकर करोड़ों की अवैध वसूली कर चुका है।
सचिन गोरख की करतूत उजागर होते ही अब ऐसे ही सूदखोरों के चंगुल में में फंसे नए-नए शिकार अब सामने आ रहे हैं ।रविवार को ही दयालबंद निवासी कुख्यात सूदखोर सचिन गोरख को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पता चला की 300 से 400 के करीब रेल कर्मियों को मामूली रकम उधारी देखकर अब तक 10 करोड़ से अधिक की रकम वसूल करने वाले सचिन गोरख को रेलवे का भी वरद हस्त प्राप्त है । तभी तो नियमों को ताक पर रखकर विभाग लगातार रेल कर्मचारियों की वेतन कटौती कर सूदखोर की जेब भर रहा है ।
रेलकर्मी तारकेन टोपनो की शिकायत पर मामले का खुलासा हुआ, जिसके बाद 31 रेल कर्मियों ने एसपी प्रशांत अग्रवाल के सामने शिकायत की थी।
इसी तरह के और भी रेलकर्मी सामने आए जिनमें से कुछ नहीं सचिन गोरख से तो कईयों ने हरजीत सिंह से कुछ 1 हजार रुपये उधार लिए थे जिसके एवज में अब तक उनके वेतन से लाखों रुपए कट चुके हैं बगैर लाइसेंस के रकम उधार देकर रेल कर्मियों से सूदखोर ब्याज के नाम पर ही लाखों वसूल चुके हैं और कुल मिलाकर यह रकम करोड़ों तक जा पहुंची है लेकिन यह सिलसिला बदस्तूर जारी है वह तो भला हो कि सचिन गोरख की गिरफ्तारी होने से अब रेलकर्मी निर्भय होकर सामने आ रहे हैं और अपनी आप बीती सुना रहे हैं।
बड़ी संख्या में थाने पहुंचे कर्मचारियों से खुलासा हुआ कि सूदखोर हरजीत सिंह अवैध रूप से सूदखोरी का धंधा चला रहा है क्योंकि साल 2015 में ही उसकी लाइसेंस एक्सपायर हो चुकी थी जबकि अधिकांश रेल कर्मियों ने उससे रकम उधार 2018 में ली थी। रकम उधार देने के दौरान सूदखोर उनसे बांड भरवा लिया करता था और सादे कागजों में भी उनके हस्ताक्षर लिया करता था। इन्हीं दस्तावेजों को अदालत में पेश कर उसने रेल कर्मियों के वेतन से सीधे कटौती करने का अधिकार हांसिल कर लिया था। हरजीत सिंह से रेलवे खलासी संत कुमार ने 20 हजार रुपए लिए थे एक और खलासी अब्दुल मुस्तकीम ने 30 हजार रुपए लिए थे। अनिल कुमार यादव ने भी 30 हजार रुपए लिए थे नरेंद्र सिंह ने 60,000 लिया था रोहित कुमार भोई, जगन्नाथ दास विनय कुमार, समरथ लाल ने भी 9 ,44, 20 और 60 जैसी रकम ली थी । पता चला कि रेलवे अदालती आदेश का हवाला देकर 9000 जैसी मामूली रकम के लिए ही हर महीने 15 सौ रुपये की कटौती कर सूदखोर को सौंप रहा है और यह प्रक्रिया पिछले 3 सालों से जारी है। अगर अदालती आदेश की भी बात करें तो रेलवे के लिए ऐसा करना सीमित समय के लिए आदेशित था। लेकिन रेलवे बिना किसी जांच के अब भी लगातार रेल कर्मियों की वेतन से रकम कटौती कर सूदखोर की जेब भर रहा है ।लगातार सामने आ रहे सूदखोर के पंजे में फंसे रेलकर्मी अपनी अपनी कहानी सुना रहे हैं ।
सूदखोर सचिन गोरख की गिरफ्तारी के बाद मीडिया में खबर छपते ही थाने में रेल कर्मियों की भीड़ लग गई। जिसके बाद एक और शिकारी हरजीत सिंह की करतूत उजागर हुई अब तक सभी पीड़ित खामोश बैठे थे उन्हें लग रहा था कि अगर अदालत के आदेश को नहीं मानेंगे तो उनकी नौकरी चली जाएगी। लेकिन अब हकीकत का अंदाज होते ही वे खुलकर सामने आ रहे हैं और सूदखोर की लूट की नयी नयी कहानी भी सुना रहे हैं। जांच में यह भी पता चला कि सूदखोर हरजीत सिंह का लाइसेंस साल 2015 में ही एक्सपायर हो चुका है । यानी बगैर लाइसेंस के ही वह धड़ल्ले से सूद खोरी का धंधा चला रहा है और बाहुबली सूदखोर कभी लाठी के दम पर तो कभी कानून के नाम पर प्रताड़ित कर करोड़ो की अवैध वसूली कर रहा है। कुछ हज़ार रुपये देकर अब तक वह सबसे लाखों रुपए ऐंठ चुका है तभी तो यह रकम करोड़ों तक जा पहुंची है । पुलिस को भी उम्मीद है कि सचिन गोरख और हरजीत सिंह के शिकार अभी और भी सामने आएंगे और यह मामला और भी बड़ा बनेगा। हैरानी इस बात की है कि रेल कर्मियों को अच्छा खासा वेतन प्राप्त होता है लेकिन फिर भी कभी बुरी आदतों तो कभी बेवजह की जरूरत के नाम पर वे ऐसे सूदखोरों के चंगुल में फंस जाते हैं। एक की देखा देखी दूसरा भी इसी मकड़जाल में फंसता है और फिर कोई जिंदगी भर के लिए इस कैद से छूट नहीं पाता। यह तो भला हुआ कि एक रेल कर्मचारी ने आगे बढ़कर उसके खिलाफ शिकायत करने की हिम्मत दिखाई। जिससे पूरे मामले का पर्दाफाश हुआ नहीं तो पता नहीं कब तक यह गोरखधंधा यू ही चलता रहता। इस पूरे मामले में रेलवे और उसके कुछ कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है ।आखिर कैसे रेलवे सूदखोरो को भुगतान करने के लिए इतनी दयालुता दिखा रहा है। कैसे रेलवे बिना किसी जांच के लाखों रुपए सूदखोर को देता रहा जबकि उसे भी दस्तावेजों के माध्यम से यह जानकारी रही होगी कि रेल कर्मचारियों ने कुछ हज़ार रुपये ही कर्ज में लिया है ।इसलिए इस मामले में सूदखोरो के साथ मिलीभगत करने वाले ऐसे रेल कर्मचारियों पर भी कार्यवाही की आवश्यकता महसूस की जा रही है।