भिलाई इस्पात सयंत्र द्वारा अधिग्रहित जमीन वापसी की माँग
प्रकाश झा की रिपोर्ट
भिलाई इस्पात सयंत्र द्वारा 1956 में स्थापना के समय जोरतराई,मोरिद,सोमनी,रिसाली,उत्तई,अहिवारा कुटेलाभाठा,नंदनी ख़ुदनी, खुर्सीपार, चरोदा,आमदी,पुरैना,मरोदा, भिलाई,नेवई, सहित हजारो एकड़ किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। वर्तमान में उनके द्वारा अधिग्रहित जमीन में से आधे से ज्यादा जमीन खाली पड़ी हुई है जिसका कोई पूछने वाला नही है और लाखों की संख्या में बाहरी एवम असमाजिक तत्वों द्वारा अतिक्रमण किया जा चूका है साथ ही साथ उन असामाजिक तत्वों द्वारा उन जमीनों को बेचने का व्यापार ज़ोरो से चल रहा है।
उक्त ज़मीन का मालिकाना हक गरीब छत्तीसगढिया किसानों का था नियमतः उसे जिस उपयोग हेतु प्रायोजित अधिग्रहण किया गया था उसे यदि एक नियत समयावधि तक उपयोग में नही लाया जाता है तब तक शासन या किसान को वापिस लौटाना चाहिए था किन्तु बी एस पी प्रबंधन द्वारा ना ही भूमि का उपयोग किया गया और ना ही उक्त भूमि को संरक्षित करने में प्रबंधन सक्षम है।
ग्रीनलैंड जैसी आरक्षित भूमि में भी पेड़ो को काटकर अवैध खनन से लेकर अवैध कब्जा हो चुका है । उदहारणार्थ उमरपोटि, सागोन नर्सरी , मरोदा डैम, टँकी मरोदा,नेवई में पेड़ो को काटकर हज़ारो लोगों द्वारा अतिक्रमण किया गया है। यहाँ तक कि भाजपा शासन काल मे नेवई थाना के पास जंगल को काटकर शराब दुकान खोल दिया गया है। उक्त कृत्यों को अगर रोका नई गया तो वातावरण प्रदूषण के साथ साथ सामाजिक प्रदूषण की समस्या से दुर्ग भिलाई की जनता को गुजरना पड़ेगा सामाजिक वातावरण भी अधिग्रहित जमीन में जंगल बन जाने से बढ़ रहे अपराधिक कृत्यों को बढ़ावा मिल रहा है एवं आये दिन अप्रिय घटना घटित हो रही है ।
अतः उक्त भूमि को बी एस पी प्रबंधन तत्काल संरक्षित करें एवं सम्पूर्ण अतिक्रमण तत्काल हटाये जाए एवं उन्हें संरक्षित कर बोर्ड लगाया जाए ऐसा करने में प्रबंधन असक्षम है तो जिन किसानों की जमीन प्रबंधन द्वारा अधिग्रहित किया गया था उन किसानों को या उनके परिजनों को तत्काल टोकन दर पर जमीन वापस की जाय। जैसे कि लोहंडीगुड़ा में टाटा इस्पात द्वारा अधिग्रहित की गई भूमि वहां के किसानों को छत्तीसगढ़ शासन की कांग्रेस सरकार द्वारा लौटाया गया ठीक उसी प्रकार दुर्ग भिलाई के क्षेत्रिय गांवों के लाखों किसान साथियों की अमूल्य भूमि जो किसानों से कोड़ियों के मोल में अधिग्रहित की गई थी और जिसे माफियाओं द्वारा काट काट कर अतिक्रमण कर बेचा जा रहा है
उसे तत्काल वापिस लौटाने का आदेश बी एस पी प्रबंधन एवं जिला प्रशासन को प्रदान करे यदि दो माह के भीतर कोई भी ठोस पहल प्रशासन द्वारा नही की गई तो 2 अक्टूबर 2021 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती के दिन से किसानों की भूमि वापसी हेतु क्रमबद्ध रूप से कई चरणों मे प्रभावीत क्षेत्रों में किसानों एवं क्षेत्रीय लोगो के साथ पद यात्रा की जायेगी एवं हस्ताक्षर अभियान आरम्भ किया जावेगा चुकी यह पूरा आन्दोलन माफियाओ के विरुद्ध है एवं एक बड़े राष्ट्रीय प्रबंधन के खिलाफ़ है मुझे एवं आंदोलन कारी साथियों पर जान का ख़तरा सदैव बना रहेगा ।
इस संबंध में धर्मेश देशमुख व अनिल देशमुख जी के द्वारा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपा गया है । साथ ही साथ इन्होंने अपनी जान को खतरा भी बताया है । अब देखना यह है कि शासन कब इस पर कार्यवाही करती है और भूमि अधिग्रहण की प्रकिया में जांच की प्रक्रिया को आगे जाती है कि नही ।