शहर से सटी पँचायत लाखागढ़ में प्रधानमंत्री नल जल योजना में हुआ भारी भ्रष्टाचार
- केंद्र की जल आवर्धन योजना बनी अभिशाप
- पिथौरा शहर के 200 घरों में अब पेयजल नहीं
- नलों की टोटियों में 6 माह से आज तक एक बूंद पानी सप्लाई नहीं आया
- शिखा दास, पिथौरा महासमुंद
पिथौरा। भीषण गर्मी के मौसम में स्थानीय नगर पंचायत के प्रभारी सी एम ओ द्वारा कोई 200 घरों के नल कनेक्शन काट दिए।अब इन घरों में पानी के लिए हायतौबा मची हुई है। इस सम्बंध में प्रभारी सी एम ओ पानी बन्द करने का फरमान शासन द्वारा दिया गया बता रहे हैं। शासन की जल आवर्धन योजना नगर वासियों के लिए अभिशाप बन कर आई है।कोई चार करोड़ की लागत से उक्त योजना के तहत नगर में नई पाइप लाइन बिछाई गई है।
पाइप लाइन का कार्य पूर्ण होने के बाद पुरानी पाइप लाइन के सभी कनेक्शन नई लाइन में शिफ्ट किये जाने थे।परन्तु प्रभारी सीएमओ द्वारा आम नागरिकों से पूरा टैक्स जमा करने के बाद ही नल कनेक्शन लगाने का फरमान जारी कर दिया है।इस फरमान से नगर के कोई 200 परिवार भीषण गर्मी में भी शुद्ध पेयजल से वंचित हो गए है।
परिषद का निर्देश: सीएमओ गुप्त
उक्त मामले में इस प्रतिनिधि को नप के प्रभारी सी एमओ महेंद्र गुप्ता ने बताया कि नल कनेक्शन ऑनलाइन है। शासन के निर्देश पर नागरिकों के नल कनेक्शन काटे गए है। पूर्ण टैक्स जमा करने के बाद ही कनेक्शन देने का सरकारी आदेश है। मानवाधिकार में सबसे ऊपर जल प्रदाय है फिर भी न प टैक्स के लिए किसी भी परिवार में जल प्रदाय कैसे रोक सकता है ? इस प्रश्न पर उन्होंने एक पत्रकार से कहा कि वे मानवाधिकार नही नगर पंचायत अधिनियम को मानते हैं।
राज्य एवम् केंद्र की जल सम्बंधित योजनाएं असफल
केंद्र एवम राज्य सरकारों द्वारा जल आवर्धन योजना, मिशन अमृत एवम हर घर नल योजना जैसे अनेक मूलभूत अवश्यक्ताओ वाली योजनाओं को पिथौरा नगर पंचायत ने पलीता लगा दिया गया है। नगर में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार नगर पंचायत अब आम लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने की बजाय एक बड़े क्रूर व्यवसायी की तरह व्यवहार करने लगी है।
सौ सार्वजनिक नल भी बन्द
नगर में प्रतिदिन कोई 500 से अधिक परिवार नगर के 15 वार्डो में पूर्व से लगे करीब 100 सार्वजनिक नलों से पानी भर कर अपना निस्तार करते थे परन्तु विवादित प्रभारी सीएमओ ने सभी सार्वजनिक नल बन्द करवा कर आम नागरिकों को संकट में डाल दिया है।
हमेशा से विवादित रहे प्रभारी सीएमओ
वर्तमान में पिथौरा नगर पंचायत में पदस्थ प्रभारी सीएमओ के बारे में बताया जाता है कि उनका मूल पद आर एस आई है।इसके पूर्व वे आर आई थे। आर आई से आर एस आई बनते ही उनकी राजनीतिक पहुच ने उन्हें प्रभारी सीएमओ बना दिया।कोई सात साल से वे प्रभारी सीएमओ का पद सम्भाल रहे है।पिथौरा के पूर्व वे बसना नगर पंचायत में प्रभारी सीएमओ थे।जहां उनकी कार्यशैली से परेशान परिषद के विरोध के कारण उन्हें पिथौरा भेजा गया था।अब पिथौरा में भी उनकी कार्यशैली से आम नागरिक एवम् जनप्रतिनिधि परेशान हो चुके है।
नल कनेक्शन : पार्षद बेबस
पिथौरा नगर पंचायत में कांग्रेस की स्थानीय सरकार है।नगर के पार्षद स्वयम ही आम लोगों की शिकायतों का निराकरण करने दौड़धूप कर प्रदेश सरकार की छबि बना कर चल रहे थे। परन्तु शासन द्वारा आम नागरिकों को दिए जाने वाली मूलभूत सुविधाओं में सबसे ऊपर जीवन रक्षक पेयजल के मामले में सीएमओ अध्यक्ष एवम पार्षदों की भी नही सुन रहे। नगर के अधिकांश पार्षद उक्त सीएमओ के रहते चुनाव लड़ने से तौबा कर रहे है।कुछ पार्षदों का कहना है कि वे स्वयं अपने वार्ड वासियों के घरों में पेयजल के लिए नल जोड़ने की मिन्नतें सीएमओ के सामने कर चुके है परन्तु वे पानी से वंचित करने के मामले को राज्य सरकार का निर्देश बता कर सरकार को बदनाम कर रहे हैं। वर्तमान हालात यह है कि नगरवासी इसे सच मे सरकार का आदेश मान कर सरकार विरोधी मानसिकता बनाने लगे हैं, जिससे जनप्रतिनिधि भी चिंतित है।
दूसरी ओर जानकारों ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन के अधिकार के तहत भारतीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पानी के अधिकार को एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में संरक्षित किया गया है।इसके बावजूद स्थानीय निकाय द्वारा पेयजल रोकना न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है।