निषाद आरक्षण के रंग में रंगा झारखंड, 29 को महाधरना, 20 हजार निषाद घेरेंगे राजभवन
1 min read
राजभवन के समक्ष प्रदेश स्तर पर महाधरना की तैयारी
पारंपरिक नृत्य संगीत के साथ 20 हजार लोगों का राजभवन की ओर बढ़ेगा कारवां
रांची। झारखंड एसोसिएशन आफ फिशरीज सोसाइटी 29 जुलाई सोमवार को राजभवन के समक्ष प्रदेश स्तर पर महाधरना करने जा रहा है। राजधानी रांची को बैनर और पोस्टर से पाट दिया गया है। जिलों में भी महाधरना ही दिख रहा है।
इस महाधरना को देखते हुए सरकार भी घरबरा गई है। रविवार से ही लोग रांची में जुटने लगे है। इस महाधरना का का उद्देश्य यह है कि निषाद समाज के लोगों को झारखण्ड में भी उत्तर प्रदेश, बिहार आदि स्टेट कि तरह आरक्षण के साथ ही साथ 22 मांगों को सरकार से मनवाया जाए।
इसकी तैयारियां माह भर से जोरों पर चल रही है। सोसाइटी के हर कार्यकर्ता जोर-शोर से लगा हुआ है। इस संदर्भ में प्रदेश अध्यक्ष चरण केवट ने बताया कि चतरा, हजारीबाग, कोडरमा सहित कई जिलों का दौरा कर कहां के केवट, निषाद, मछुवारों से अधिक से अधिक संख्या में महाधरना में पहुंचने की अपील की जा रही है। समाज के लोग भी महाधरना में पहुंचने के लिए उत्सुक है।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक नृत्य संगीत के साथ 20 हजार लोगों का कारवां राजभवन की ओर बढ़ेगा। समाज के लोगों को कोई समस्या न हो इसके लिए कई टीम बनाया गया है। उन्होंने कहा कि समाज के करीब 20 हजार लोग 29 जुलाई को महाधरना में पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समाज को आजादी के बाद से अधिकार नहीं मिला। सभी राजनितिक पार्टिया सिर्फ वोट के लिए राजनीति करती आ रही है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। तलाबो पर समाज का अधिकार है लेकिन उसका भी हक़ नहीं मिल रहा है। नगर निगम इस पर कब्ज़ा कर रही है। नदी और नावों पर से अब समाज का अधिकार छिना जा रहा है।
बिहार के तर्ज पर भी झारखण्ड में मछुआ आयोग का गठन हो। शासकीय पदों पर भी पहले की तरह अधिकार मिले। इस महाधरना से हम सरकार को हिला देंगे। निषाद समाज क्या है , ताकत का एहसास कराएंगे। हम अपना अधिकारी लेकर रहेंगे। उन्होंने बताया कि मल्लाह जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा देने और मछुआरों को उनका हक दिलाने आदि मांगों को लेकर महाधरना ऐतिहासिक होगा।