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December 23, 2024

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राजनीतिक दल साज़िश के तहत निषाद समाज को करते आ रहे हैं पीछे-लौटनराम निषाद

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  • “यादव-निषाद-मुस्लिम समीकरण से सपा की बनेगी 2022 में सरकार, अतिपिछड़ों को भी गले लगाना होगा”

लखनऊ।समाजवादी पार्टी पिछड़ावर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटनराम निषाद ने कहा कि साज़िश के तहत राजनीतिक दल निषाद समाज की जातियों को पीछे करते रहे हैं।उत्तर प्रदेश में 73 विधानसभा क्षेत्रों में निषाद मतदाताओं की सँख्या 50 हजार से 90 हजार के साथ 163 विधानसभा क्षेतों में 40 हजार से अधिक है।66-67 विधानसभा क्षेत्रों में लोधी/किसान मतदाता निर्णायक हैं।उन्होंने बताया कि ग़ाज़ीपुर, बलिया, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, गोरखपुर, संतकबीरनगर, हरदोई, कौशाम्बी, सिद्धार्थनगर, सुल्तानपुर, आजमगढ़, चंदौली, मिर्जापुर, प्रयागराज,जौनपुर,फ़तेहपुर, उन्नाव, बहराईच,श्रावस्ती,बाराबंकी,इटावा,औरैया,कानपुर,लखीमपुर खीरी, हमीरपुर, चित्रकूट, अम्बेडकरनगर, अयोध्या, बरेली, बदायूँ, कन्नौज, फर्रुखाबाद, फीरोजाबाद, आगरा, मुज्जफरनगर,शामली,शाहजहांपुर,पीलीभीत,मैनपुरी,हरदोई,जालोन,बुलंदशहर,रामपुर,वाराणसी की 150 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में निषाद (मल्लाह,केवट,बिन्द, कश्यप,धीवर) निर्णायक है। ग़ाज़ीपुर, बलिया, कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर,महराजगंज, लालगंज,बांसगांव, जौनपुर, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर,भदोही,सुल्तानपुर, अम्बेडकरनगर, अयोध्या, बहराईच, कैसरगंज, उन्नाव, शाहजहाँपुर, हमीरपुर,आगरा,इटावा,फर्रुखाबाद, पीलीभीत, बरेली, कैराना,सहारनपुर,श्रावस्ती,डुमरियागंज, अकबरपुर, जालोन, फूलपुर,मुजफ्फरनगर, प्रयागराज लोकसभा क्षेत्र में डेढ़ लाख से अधिक निषाद मतदाता हैं।

निषाद ने बताया कि राजनीतिक दलों ने निषाद समाज के साथ दोयमदर्जे का बर्ताव कर निषाद समाज को पीछे करने का ही षडयंत्र करते रहे हैं।कुछ निषाद नेता निजस्वार्थ में समाज की असलियत को नेतृत्व के सामने रखकर चुप्पी साधे रहे।जिस दल में वे राजनीतिक लाभ लिए वे दूसरे निषाद नेताओं को पट्टी पढ़ाकर पीछे करने में जुटे रहे।एक धूर्त नेता फूलन देवी का झूठा मौसा बनकर खूब राजनीतिक लाभ उठाया,जबकि उसका दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं था।जब फूलनदेवी ग्वालियर जेल में थीं,तब 1989 से रिहाई व पुनर्वास की मांग उठाना शुरू किया कि जब मोहर सिंह, मलखान सिंह, तहसीलदार सिंह, दर्शन सिंह यादव के सारे मुकदमे वापस कर पुनर्वास की व्यवस्था कर दी गयी तो अपनी आबरू लूटने वाले सामन्ती बलात्कारियों को रास्ते से हटाने वाली फूलन के पुनर्वास की व्यवस्था क्यों नहीं?

निषाद ने कहााकि सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, आगरा मण्डल में मुस्लिम के अलावा 70% विधानसभा क्षेत्रों में यादव मतदाता नहीं के बराबर हैं।ऐसे में सपा को कश्यप,सैनी,गूजर,जाट को जोड़ने का विशेष अभियान चलाना होगा। बरेली,मुरादाबाद,अलीगढ़, कानपुर, लखनऊ, झांसी,चित्रकूट मण्डल में लोधी/किसान/खड़गवंशी के साथ सैनी,कुशवाहा/मौर्य/शाक्य,पाल व प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी,अयोध्या,कानपुर,लखनऊ, बरेली, देवीपाटन मण्डल में कुर्मी के साथ निषाद, मौर्य,कुशवाहा,साहू को मजबूती से जोड़ने की कवायद करनी होगी।साथ ही प्रजापति,विश्वकर्मा, नाई/सबिता,बंजारा,अर्कवंशी, चौरसिया,पिछड़े वैश्य व दलित वर्ग को विश्वास में लेना होगा।
निषाद ने दावा किया है कि यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ निषाद को शामिल करने से 200-250 विधानसभा क्षेत्रों में सफलता पाई जा सकती है।आजमगढ़, बस्ती, वाराणसी, गोरखपुर मण्डल की 20-25 विधानसभा क्षेत्रों में राजभर,चौहान निर्णायक हैं। उन्होंने कहा कि जब तक 50-60% अतिपिछड़ी जातियों का सपा को सहयोग नहीं मिलेगा,सपा का मिशन-2022 पूरा नहीं होगा।उत्तर प्रदेश में सामाजिक न्याय व जातिगत सामाजिक समीकरण का मुद्दा ही सरकार बनाने पर कारगर सूत्र साबित होगा।मिशन-2022 में पिछड़ों,दलितों के लिए सपा सरकार का बनना जितना जरूरी है,उतना ही जरूरी समाजवादी पार्टी के भविष्य के लिए भी है।किसी कारण सपा सरकार बनाने से पीछे रह गयी तो पिछड़े दलित 70 के दशक में चले ही जायेंगे,सपा को लंबी पारी तक इंतजार करना पड़ेगा।निषाद ने कहा कि सपा सुप्रीमो के इर्द गिर्द रहने वाले कुछ संघीय मानसिकता के सामन्ती लौटनराम निषाद को सपा से दरकिनार कराने की साज़िश में तेजी से जुटे हुए हैं।ये न तो पार्टी के वफादार हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष के हितैषी हैं।ये सत्ता की मृगमरीचिका दिखाकर नेतृत्व को साजिशन गुमराह कर रहे हैं।भला लौटनराम निषाद पिछडों,दलितों,वंचितों का बड़ा नेता बन जायेगा तो इसमें लौटनराम का कितना फायदा,पार्टी को ही लाभ मिलेगा न,मुखिया के ऊपर निर्भर होगा कि लौटनराम निषाद को क्या सम्मान देगा।

सुपर पावर तो अखिलेश यादव हैं,जिसको चाहेंगे आगे करेंगे, जिसको चाहेंगे कौड़ी का तीन कर देंगे। लौटनराम निषाद का एकमात्र लक्ष्य सपा की सरकार बनाना है। सरकार बनने पर सपा सुप्रीमो दरकिनार भी कर देंगे तो अपराधबोध नहीं होगा कि लौटनराम ने कोई कोरकसर छोड़ा। विरोधी तो इस साजिश में जुटे हुए हैं कि लौटनराम निषाद पार्टी छोड़ दे,पर हम ऐसा कर सामाजिक न्याय की छबि को धूमिल नहीं करना चाहते,नहीं चाहेंगे कि पिछड़ों, दलितों विशेषकर यादव भाइयों ने जो सहयोग। समर्थन पदच्युत करने पर दिया,हम गलत निर्णय लेकर उन्हें ठेस पहुंचाना व उनकी निगाहों में गिरना नहीं चाहते।अपने चरित्र-चिंतन व बैचारिकी पर इतना भरोसा है कि लौटनराम निषाद अपमान का एहसास कर शांत बैठ जाएगा पर यह विरोध पर उतर जाएगा तो सपा सरकार नहीं बन पाएगी।

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