रंगमंच के ‘निराला’ दादा का करुण अंत….
1 min readख्यातिप्राप्त मनीषी, ‘काव्य भारती’ के फाउंडर डायरेक्टर मनीष दत्त “दादा” का 21 फरवरी2020 देर रात जीवन के 79 बसंत अनुभव उपरांत हृदयाघात से निधन हो गया।
दादा के शागिर्दों की मानें तो दो कमरों का कच्चा मकान,टूटी-फूटी कुछ फर्नीचर, किनारे पर रखा एक अदद टेबल पंखा, कुछ किताबें, कमरे के भीतर हिलता-डुलता पुराना-सा दीवान, खप्पर के छेदों से कमरे तक पहुँचता धूप का टुकड़ा यानी रंगमंच के निराला यानी वरिष्ठ रंगकर्मी मनीष दत्त की साधना-स्थली रही।
दादा किसी सरकारी तंत्र या संस्कृति विभाग से कमीशन काटकर मिलने वाले सरकारी अनुदान के बल पर कला-मर्मज्ञ कहलाने वाले कलाकार नहीं थे। वे काली कमाई वाले किसी ओहदे के सहारे रंगमंचीय नाटक करने कला-निर्देशक भी नहीं थे।
मनीष दत्त शायद छत्तीसगढ़ राज्य ही नही अपितु देश में भी एकमात्र ऐसे नाट्य एवं संगीत निर्देशक थे जिन्होंने अपने जीवन काल में लगभग 2000 साहित्यिक गीतों की संगीत एवं नाट्य रचना की थी। आज भी उनके सैकड़ों शिष्य देश विदेशों में इनकी कला को प्रदर्शित कर रहे हैं।
श्री दत्त ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का पहला एलपी रिकॉर्ड तैयार किया था, जो नेहरु जन्म शताब्दी पर केंद्रित था। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन कला को समर्पित कर दिया था, इसीलिये उन्होने विवाह भी नहीं किया। मनीष दत्त देशभर के रंगकर्मियों में दादा के नाम से जाने पहचाने जाते हैं।
महान् कवयित्री महादेवी वर्मा की निजी सलाह पर 1978 में उन्होंने बिलासपुर में ‘काव्य भारती’ संस्था बनायी थी। मनीष दत्त का सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, फणीश्वर नाथ रेणु, महादेवी वर्मा जैसे महान साहित्यकारों से अभिन्न संपर्क था । 1960 में नाट्य भारती संस्था की स्थापना कर नाटकों के साथ गीतों-कविताओं पर कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर शुरुआत की। इस दौरान निराला के अपरा, नये पत्ते, अणिमा, बेला आदि पर नृत्य-संगीत रूपक प्रस्तुत किए। वर्ष 1987 में रिकार्ड किया गया ‘अमरबेला’ आज भी आकाशवाणी की शान बढ़ाता रहता है ।
विनम्र आदरांजलि……
मनीष शर्मा,मुुंगेली,बिलासपुर