42 साल पहले गरियाबंद जिले के जिस ग्राम तौरेंगा में पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी पहुंचे थे उस गांव में आज तक नहीं पहुंची बिजली की रौशनी
- शेख हसन खान, गरियाबंद
- तौरेंगा में अटल जी की प्रतिमा लगाकर गांव में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली जैसे बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग
गरियाबंद। आज 25 दिसंबर को देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को पूरे प्रदेश में सुशासन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है । छत्तीसगढ़ राज्य निर्माता अटल बिहारी वाजपेयी 42 वर्ष पहले जिस आदिवासी कमार जनजाति ग्राम पहुंचे थे वहां की तस्वीर और तकदीर आज तक नहीं बदल पाई है जबकि प्रदेश निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ में डा रमन सिंह के नेतृत्व में तीन बार भाजपा की लगातार सरकार रही है। एक बार फिर विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार गांव गांव विकास कार्य करवा रही है बावजूद इसके अटल जी जिस गांव में पहुंचे थे। आज उस गांव के ग्रामीणों मूलभूत बुनियादी सुविधाओं के तरसना पड़ रहा हैं ।

गरियाबंद जिले के तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 22 किमी दूर नेशनल हाइवे 130 सी किनारे स्थित ग्राम तौरेंगा एक ऐसा गांव है जिसे प्रदेश देश और विदेशो में भी जाना जाता है कारण तौरेंगा स्थित वन विभाग विश्राम गृह का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है 42 वर्ष पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी ओड़िशा से कार के माध्यम से लौटते समय तौरेंगा विश्राम गृह मे 4 -5 घंटे रूककर यहां के ग्रामीणों से मूलाकात किया था और यहां निवास करने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति कमार आदिवासी एवं ग्रामीणों से उनके समस्याओं को नजदीक से जाना था। अटल जी 1977 से 1979 तक देश के विदेश मंत्री रहे। इसलिए उन्हे क्षेत्र की जनता उस समय भी भली भांति जानते थे और अटल बिहारी वाजपेयी के तौरेंगा आने की खबर लगते ही भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष स्वर्गीय कंवलदास वैष्णव मैनपुर भाठीगढ़ निवासी के साथ बड़ी संख्या में क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिकों ने अटल जी से तौरेंगा विश्राम गृह में मूलाकात किये थे और तस्वीर खिचवाई थी जो आज भी पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष स्वर्गीय कंवलदास वैष्णव के निवास में लगा हुआ है। गरियाबंद जिले के भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरलीधर सिन्हा ने चर्चा बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जुलाई माह 1982 में ओड़िशा से लौटते समय तौरेंगा विश्राम गृह में रूके थे और क्षेत्रवासियो ने उनका जोरदार स्वागत किया था यहां से जब अटल जी रायपुर के लिए रवाना हुए तो उन्होने अपना चश्मा तौरेंगा विश्राम गृह में भुलकर चले गये थे जिसे वन विभाग के उस समय के अधिकारी द्वारा मोटर साइकिल से रायपुर तक पहुंचाया गया था।

- प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद तौरेंगा के लोगों में जगी विकास की उम्मीद
छत्तीसगढ़ राज्य में लगातार 15 वर्षो तक भाजपा सत्ता में काबिज रही और फिर छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी है। भाजपा सरकार छत्तीसगढ़ में सफलता पूर्वक एक वर्ष पूरा कर चूका है। ऐसे में ग्राम तौरेंगा के ग्रामीणों में अपने गांव के विकास को लेकर उम्मीद की किरण जगी है क्योंकि इस गांव में भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बजपयी पहुंचे थे तो यहा के ग्रामीणों की मांग है कि ग्राम तौरेंगा में अटल जी की विशाल प्रतिमा लगाकर इस गांव में विकास कार्य कराया जाए ताकि विष्णुदेव सरकार की सुशासन का लाभ यहां निवास करने विशेष पिछड़ी जनजाति कमार आदिवासी ग्रामीणों को मिल सके।
- गांव के उपर से गुजरी हाई टेंशन बिजली की तार लेकिन इस गांव के लोग लालटेन के भरोसे
ग्राम पंचायत तौरेंगा कि जनसंख्या लगभग 1830 के आसपास है। ग्राम तौरेंगा मूलभूत बुनियादी सुविधाओ के लिये तरस रहा है स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पेयजल, राशन जैसे मूलभूत सुविधाएं इन्हे उपलब्ध नही हो पा रही है जबकि यह गांव नेशनल हाइवे मे बसा होने के कारण आये दिनों बड़े अफसर व सांसद विधायक इस ग्राम से होकर गुजरते हैं और यहां के ग्रामीण हमेशा इस ग्राम मे बिजली लगाने की मांग प्रमुखता के साथ करते हैं। आज तक इस गांव मे बिजली नहीं लगी है। कहने को गांव में सौर उर्जा प्लेट लगाया गया है लेकिन वह महज एक दो घंटे ही जल पाता है फिर पुरी रात ग्राम लालटेन की रौशनी मे जिंदगी बसर करने मजबूर हो रहे हैं। ग्राम पंचायत तौरेंगा के सरपंच परमेश्वर नेताम, उपसरपंच अनूप कुमार कश्यप ने बताया कि इस गांव की सबसे पुरानी मांग बिजली की है। स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है।
- तौरेंगा स्थित ब्रिटिश कालीन कुंए का पानी को अटल जी ने पीकर इसकी जमकर प्रशंसा किया था
गरियाबंद जिले के तौरंगा गांव में मौजूद कुएं का पानी पीने आस-पास के लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लोग आते हैं। इतना ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक इसके पानी के कद्रदान रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि इस कुएं का पानी मीठा और एकदम मिनरल वाटर की तरह साफ है। इस कुएं को सन 1818 में ब्रिटिश हुकूमत के वक्त बनवाया गया था ग्रामीण बताते हैं कि इस कुएं का पानी औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण अंग्रेज अपने बड़े अधिकारियों के लिए इसे भेजते थे। ऐसा कहा जाता है कि इस कुएं के पानी से नहाने से चर्म रोग और पीने से पेट संबंधी रोग ठीक हो जाता है यही वजह है कि इस कुएं से पानी आज भी लोग भरकर अपने साथ ले जाते हैं। पूर्व प्रधामंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जब तौरेगा पहुंचें थे और ग्रामीणों ने इस कुएं के पानी की खासियत उन्हें बताई तो अटल जी इससे इतने प्रभावित हुए कि यहां से जाते वक्त वो अपने साथ यहां का पानी लेकर गए थे लगभग 201 साल पुराना यह कुआं अपने आप में इतिहास के कई पन्ने समेटे हुए हैं। ऐसी ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने की जरूरत है इसके साथ ही प्रशासन को इसके पानी दावों की सच्चाई जानने के लिए भी प्रयास करना चाहिए।
