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December 23, 2024

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अनजान बीमारी से ग्रसित है ढाई साल की मासूम रवीना

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  • शेख हसन खान, गरियाबंद
  • शरीर पर काले जख्मो जैसे निशान दे रहे हैं तकलीफ
  • दिन भर रोती है ठीक से सो भी नहीं पाती मासूम, अपनी बदहाली पर आंसू बहाता इसका गांव झोलाराव

गरियाबंद– ढाई माह की मासूम रवीना का दर्द जानकर आप का भी दिल पसीज जाएगा इस बच्ची को एक ऐसी अनजान बीमारी में घेर रखा है जिसका नाम भी कई डॉक्टर नहीं बता पा रहे हैं बच्ची के शरीर पर जन्म से ही कई जगह जख्म की तरह काले कई निशान हैं जो बच्ची को लगातार तकलीफ दे रहे हैं यही वजह है कि बच्ची दिन रात रोते ही रहती है। ठीक ढंग से सो भी नहीं पाती पीठ में जख्म जैसे यह निशान अधिक हैं इसलिए सीधा लेटने में भी उसे काफी तकलीफ होती हैैै‌।‌ इस पर और बड़ी समस्या यह की बच्ची के जन्म के बाद से बढे़ हुए कोरोना के आंकड़ों के चलते बच्ची के बेहद गरीब माता-पिता उसे कोरोना के डर से इलाज कराने कहीं लेजा भी नहीं पा रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं बाहरी व्यक्तियों से मिलने पर अस्पताल आदि जाने पर उन्हें भी कोरोना ना हो जाए बच्ची के लिए इलाज का यह प्रयास और घातक साबित ना हो।

अपनी बदहाली पर आंसू बहाता गांव

गरियाबंद जिले के अंतिम छोर पर बसा झोलाराव गांव, इस गांव की बदनसीबी यह की यह वन ग्राम है। यहां तक सड़क भी नहीं पहुंची है। किसी के बीमार पड़ने पर बुलाने पर एंबुलेंस या महतारी एक्सप्रेस भी यहां तक नहीं पहुंच पाती 3 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत मुख्यालय गौरगांव तक बीमार को कभी खाट पर तो कभी किसी और व्यवस्था से ले जाना पड़ता है

प्रसव के समय बुलाया मगर नहीं पहुंच पाई एंबुलेंस

7 मार्च 2021 का वह दिन गांव के मरकाम परिवार पर मुसीबत की तरह साबित हुआ बच्ची की मां को प्रसव पीड़ा हुई तो मितानिन ने महतारी एक्सप्रेस को फोन किया मगर एंबुलेंस नहीं पहुंच पाई किसी तरह मितानिन ने काफी मुश्किल से घर पर ही बच्ची की डिलीवरी कराई बच्ची जब पैदा हुई तो परिवार वाले और मितानिन भी देख कर हैरान थे बच्ची सामान्य नहीं थी। शरीर पर कई जगह काले चट्टे नुमा दाग थे जो किसी जख्म की तरह लग रहे थे।

कोरोना ने रोका इलाज

पैदा होने पर बच्ची काफी देर रोती रही जो सामान्य नवजात बच्चे भी रोते हैं। मगर इस बच्ची के शरीर पर काले जख्म जैसे निशान इसे सायद से परेशान कर रहे थे बच्ची को सीधा लेटाने पर वह अधिक तड़पती थी। बच्ची के यह निशान सामान्य बिल्कुल नहीं लग रहे थे। मां-बाप मितानिन हर कोई इसे लेकर चिंतित हो गया‌। परिजन इसे अस्पताल ले जाना चाहते थे मगर कोरोना के बढ़ते आंकड़ों यह चलते परिजन कुछ दिन इंतजार करने का निर्णय लिया। इसके बाद कोरोनावायरस के आंकड़े कम होने की बजाय और बढ़ते चले गए।

तकलीफ से बच्चे दिन रात रोती है सो भी नहीं पाती

अपने जन्म के बाद से बीते ढाई महीने से बच्ची अपनी इस समस्या से परेशान हैं और परिजन इसे लेकर खासे परेशान थे। इन सबके बीच आज जब जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम क्षेत्र के दौरे पर निकले थे तो इस गांव पहुंचे गांव वालों ने उन्हें इस परिवार की समस्या के बारे में बताएं तो वह बच्ची का हाल देखने उसके घर पहुंचे बच्ची की स्थिति देखने पर इस बीमारी के संबंध में वह भी कुछ बता नहीं पाए। और कोरोना के आंकड़े और कम होते तक बच्ची को गांव में ही रखने उन्होंने भी सलाह दी। बच्ची की तकलीफ को देखते हुए इलाज और बच्ची तथा परिजनों को लाने ले जाने की व्यवस्था प्रशासन से करवाने का आश्वासन दिया।

कई चिकित्सक भी नहीं बता पाए बीमारी का नाम

जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने बच्ची तथा उसके जख्मों की फोटो ली कई चिकित्सकों के पास भेजें मगर कोई इस बीमारी का नाम नहीं बता पाया, उसके बाद संजय नेताम ने इस समस्या को लेकर जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ नवरत्न से चर्चा की उन्हें परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति के बारे में बताया। इलाज करवाने में अक्षम होने की बात कही जिला चिकित्सा अधिकारी ने बच्ची को हर संभव मदद दिलाने तथा उसे इलाज के लिए लाने की व्यवस्था करने की बात कही। इन सबके बीच बच्ची की बीमारी अभी भी अज्ञात है। इस बीमारी का नाम चिकित्सक भी नहीं बता पा रहे हैं।

इलाज के लिए ले जाना होगा रायपुर

दरअसल इस बीमारी के बारे में अधिक जानकारी चर्म रोग विशेषज्ञ दे पाएंगे मगर गरियाबंद जिले भर में कोई चर्म रोग विशेषज्ञ नहीं है। इसलिए बच्ची को भी अब इलाज के लिए गरियाबंद लाने से काम नहीं चलेगा उसे रायपुर ले जाना होगा अभी कोरोनावायरस के आंकड़े और कम होंगे। इसके बाद बच्ची तथा उसके परिजनों पहले बीमारी का पता लगाने और फिर इलाज के लिए रायपुर भेजने की व्यवस्था करवाने की जरूरत है जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने सहर्ष इस जिम्मेदारी को स्वीकार किया। और कहा कि गरीब मजदूर की बेटी को हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास करूंगा। शासन प्रशासन से जहां तक हो सके मदद करवाउँग जरूरत पड़ने पर अपने जेब से भी खर्च करूंगा, मगर इस मासूम बच्ची की बीमारी का इलाज करवाने हर तरह से प्रयासरत रहूंगा।

गांव के लोग आवागमन के नाम पर भोग रहे हैं नरक

जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने बताया कि यह बच्ची जिस गांव में रहती है उस गांव के लोग सड़क के नाम पर नर्क भौंग रहे हैं ग्राम पंचायत मुख्यालय गांव और गांव तक तो कच्ची सड़क गई है। चार पहिया वाहन पहुंचती है मगर इसके बाद 3 किलोमीटर झोलाराव तक सड़क नहीं गई है। पगडंडी पहाड़ पर चढ़ती और उतरती है बड़ी समस्या यह है कि झोलाराव वन ग्राम है। इसकी पूरी व्यवस्था उदंती अभ्यारण को करनी चाहिए मगर वह सड़क बनाने में कोई रुचि नहीं लेता ग्रामीण इसके चलते खासे परेशान हैं उनके गांव तक जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस भी नहीं पहुंचती ऐसे में कई बार खाट पर उठाकर बीमार को 3 किलोमीटर दूर गौर गांव तक लाना पड़ता है। संजय नेताम ने बताया कि गांव तक सड़क बनाने का जिम्मा जिला पंचायत भी उठाने तैयार थी मनरेगा से सड़क बनाने की जिम्मेदारी जिला पंचायत को देने के लिए मैंने वन अधिकारियों से बात की मगर अधिकारी स्वयं सड़क बनाने की बात करते हैं मगर लंबे समय से सड़क नहीं बना रहे हैं ऐसे में आखिर और कब तक सड़क के नाम पर वन ग्राम के ग्रामीण समस्याओं से जूझते रहेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि पगडंडी में आने वाली समस्याओं को ठीक करने ग्रामीणों ने जब अपनी व्यवस्था से जेसीबी बुलाई तो वन विभाग में काम रुकवा दिया। हालांकि अभयारण्य क्षेत्र होने के कारण नियम भी कुछ ऐसा ही है मगर ग्रामीणों की आबादी और उनके आने-जाने के रास्तों के लिए कुछ छूट मिलनी चाहिए थी।

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