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November 19, 2024

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उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के जंगल क्षेत्र में सबसे ज्यादा नागराज का बसेरा

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  • प्रदेश में कुल 75 प्रजाति के सरीसृप , 40 प्रजाति के सर्प इसमें से उदंती सीतानदी में 35 प्रजाति के सबसे ज्यादा सर्प पाये जाते हैं 
  • 14 वर्षों से जहरीले सर्प पकडने और उसे जंगल में सुरक्षित छोडने का कार्य करने वाले नोवा नेचर वलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष एम.सुरज कुमार नेे किया नागपंचमी पर खास चर्चा
  • शेख हसन खान, गरियाबंद

गरियाबंद। सांप प्रकृति के कुछ बेहद खूबसूरत और आवश्यक संरचना में से एक है लेकिन इनसे जुड़ी किस्से- कहानियों के कारण सदियों से लोगों का इनसे डरना स्वाभाविक हो गया है। इसके विपरीत हमारे आसपास रहने वाले कई प्रजाति विष्हीन होते हैं और उनसे मानव जीवन को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती। आइए आज सर्पों के बारे में कुछ अहम तथ्य हम जाने पिछले 14 वर्षो से जहरीले व अन्य प्रकार के सर्प को घरों से पकड़कर जंगल तक सुरक्षित छोडने का कार्य करने वाले नोवा नेचर वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष एम सुरज कुमार ने चर्चा करते हुए बताया कि  छत्तीसगढ़ प्रदेश के 06 अलग अलग जिलों गरियाबंद, दुर्ग, कोरबा, रायपुर, कवर्धा, बीजापुर, राजनांदगांव में हमारें नोवा नेचर वेलफेयर सोसाईटी द्वारा पिछले 13-14 वर्षो से सर्प बचाने का कार्य कर रही है और इस कार्य में 24 घंटा लगभग 50 से 60 लोग लगे हुए है।

उन्होंने आगे बताया सभी सर्प वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित है। इसकी जानकारी वन विभाग को देने के बाद सर्पो को पकडकर सुरक्षित रहवास में छोड़ा जाता है। हमारें संस्था द्वारा अभी तक लगभग 23 हजार सर्प को लोगों के घरों से पकडकर जंगल में सुरक्षित छोडने का कार्य किया है।

अध्यक्ष एम सुरज कुमार ने आगे बताया उनके द्वारा अकेले लगभग 08 हजार से ज्यादा सर्प पकडे जा चुके है, वर्ष 2004 से संस्था का गठन किया गया है। एक वर्ष पहले तक पुरे छत्तीसगढ प्रदेश मे 32 प्रजाति के सर्प पाए जाते थे। श्री सूरज ने बताया कि पुरे छत्तीसगढ प्रदेश में 75 प्रजाति के सरीसृप मिले है जिसके लिए एक पुस्तक भी बनाया गया है। इसमें 40 प्रजाति के सर्प पाये गये है आर्नेट फ्लाइंग स्नेक, वाईन स्नेक, सा स्केल्ड वाइपर, किंग कोबरा बेहद कम मिलने वाले और दुर्लभ सर्प किंग कोबरा के संरक्षण में काम चल रहा है। मध्यभारत में छत्तीसगढ का कोरबा एक ऐसा जिला है ज़हां किंग कोबरा मिलता है इनके संरक्षण के लिए संस्था वन विभाग के साथ मिलकर काम कर रही है। उन्होंने आगे बताया कि सबसे विषैले सर्प स्पेक्टेक्ल्ड कोबरा ( भारतीय नागं) काॅमन करैत ( सामान्य करैत) रसल वाइपर ( जुडा महामंडल) इनको छोडकर और भी विषैले सर्प है। जैसे अहीराज, किंग कोबरा लेकिन इनके कोई बाइट कैस अब तक नहीं आए हैं।

आज भारत मे एक अध्ययन के अनुसार 50000 से ज्यादा सर्प दंश से मौते होती हैं जिसका एक अहम कारण है अस्पताल देरी से पहुंचना। आज भी कई लोग सर्प दंश को झाड़ फूंक से इलाज कराने कोशिश करते हैं जो पीडित व्यक्ति के लिये खतरनाक साबित हो सकता हैं।

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में सबसे ज्यादा 35 प्रकार के सर्प मिले हैं 

गरियाबंद जिले के उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के जंगल में 35 प्रकार के जहरीले सर्प मिले है यहा सबसे ज्यादा नागराज का बसेरा है। श्री एम सुरज ने बताया कि सांपों से जुडी कई भ्रातियाॅ जैसे बदला लेना, मंणी धारण करना, पुछ से मारना, दुध पीना जैसी बाते बिलकुल गलत है। इन जीवों का हमारे परिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण योगदान होता है। उंदती के घने जंगलों में बडे बडे नागराज का बसेरा है। उन्होंने स्वंय देखा और अपने कैमरे में कैद किया है। मैनपुर नगर सहित आसपास के ग्रामों से विशालकाय बड़े बड़े नागों को पकड़कर जंगल तक सुरक्षित छोड़ा गया है।

  • सर्प दंश की स्थिति में प्राथमिक उपचार

1. पीडित व्यक्ति को जितना हो सके शान्त रखें, उत्तेजित ना करें इससे रक्त की गती बढेगी और विष हृदय तक चला जायेगा।

2. दंश के स्थान पर किसी प्रकार का काटना, विष चूसना, रस्सी गांठ बंधना आदी ना करें, इससे समस्या बढेगी कम नही होगी।

3. पीडित व्यक्ति को किसी भी प्रकार के नशीली पदार्त या चीजों का सेवन ना कराये।

4. झाडफूंक, बैगा, गुनिया से बचे।

प्राथमिक उपचार

हो सके तो दंश किये सर्प की पहचान करे या उसका फोटो लेकर दूर हो जाये। बेंडेज या कपडे की चौडी पट्टी को दंश वाले स्थान से जितना हो सके भाग को लपेटे और तत्काल अस्पताल जाए। विश्हीन सर्प के काटने पर भी यदी असमंजस्य लगे तो अस्पताल में एक दिन के लिये निगरानी में रहें। इन्हे सुरक्षित दूरी से लम्बे लकड़ी के सहारे घर से बाहर करें।