यूरिया खाद की कमी, किसानों ने आंदोलन की चेतावनी दी, फसल में भारी नुकसान
ब्रजराजनगर
यूं तो झारसुगुड़ा जिला को उद्योगिक जिला में गिनती की जाती है वही इस जिले का बहुत बड़ा हिस्सा कोलकाता,मुंबई,दिल्ली रेलवे मार्ग में आता है। जबकि झारसुगुड़ा जिला में रेल से सीधे समान को भी लाया लेजाया किया जा सकता है। मगर इतना सबकुछ होने पर भी दिप तले अंधेरा के तर्ज पर यह जिला में यूरिया खाद की कमी देखने को मिल रही है।जिससे किसान काफी परेसान है। किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा आवश्यक मात्रा में यूरिया खाद आपूर्त्ति न किए जाने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
चलित खरीफ ऋतु के समय जिला में 5 हजार टन यूरिया खाद की आवश्यकता है। परंतु अबतक केवल 2002.6 टन ही आपूर्त्ति किया गया है. जुलाई महीने के अंत तक एक और रेल रैक में यूरिया खाद झारसुगुड़ा पहुंचने की बात अधिकारियों द्वारा कही गई थी, परंतु अबतक खाद के न पहुंचने से किसानों में तीव्र नाराजगी देखा गया है.
अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में यूरिया खाद के न पहुंचने पर किसानों ने जोरदार आंदोलन करने की चेतावनी दी है. मालूम हो कि झारसुगुड़ा में रेलवे सेड न होना सबसे बड़ी समस्या है.तथा जो यूरिया आ भी रहा है उसका बड़ा भाग सुंदरगढ़ जिले को दिया जाता है जिससे झारसुगुड़ा जिले में यूरिया की भारी कमी है।
इस संदर्भ में जब नवभारत ने भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तथा बरगढ़ लोकसभा के सांसद श्री सुरेश पुजारी जी से इस विसय में पूछा तो श्री पुजारी का कहना था कि ये राज्य सरकार की कमी है और राज्य सरकार इसमें पूरी तरह से फेल हुवा है समय पर यूरिया मंगवाना ओर किसानों को देना राज्य सरकार का दायित्व है हमने इस बाबद उन्हें लिखित भी दिया है। पिछले 6 वर्षों से मोदी सरकार ने यूरिया की कमी को दूर कर दिया है तथा इसमें होने वाला कालाबाजारी भी बन्द हो गया क्योंकि यूरिया में नीम की परत चढ़ाई गई है गत 6 वर्षों से कोई भी शिकायत यूरिया बाबद नही मिली थी किंतु इस बार यदि ऐसा हुवा है तो राज्य सरकार को अतिशिघ्र यूरिया मंगवाकर किसानों को देना चाहिए कही देर होने पर किसानों को नुकसान उठाना नही पड़े जहां तक आंदोलन का सवाल है अभी कोविड 19 है जिसके कारण हम अभी आंदोलन नही कर सकते जिसका फायदा राज्य सरकार न उठाए ओर अपनी कमी दूर करते हुए सीघ्र किसानों की समस्या को दूर करे हम फिर से इस विषय मे राज्य सरकार से बात करेंगे।
इसी कड़ी में सागरपाली सोसाइटी अध्य्क्ष जितेंद्र प्रधान से जब इस विसय में पूछा तो श्री प्रधान ने नवभारत से कहा की कोई भी सोसाइटी भीगा हुआ खाद क्यों ले इस लिए हम भीगा हुआ खाद लेने से मना कर रहे हैं लेकिन अगर हमे अच्छी खाद जल्द नहीं मिली तो हमारी खेती ओर फसल खराब हो जायगी जो भी धान लगाया है वो ठीक से हो नहीं पायेगा हमारे कुछ किसान भाई बाहर के दुकानों से उंची कीमत में यूरिया खाद खरीद रहे है क्युकी उनके खेत को अभी इसकी सख्त जरूरत है नहीं तो फसल बर्बाद हो जाएगा इस लिए हमे जल्द से जल्द यूरिया मिले नहीं तो आंदोलन करने को हम मजबूर होंगे।. बतादे की हाल ही में झारसुगुड़ा के जिलापाल ने एक बैठक बुलाकर रेलवे विभाग, पूर्त्त, कृषि विभाग आदि के अधिकारियों के साथ चर्चा करने सहित रेलवे शेड न होने के कारण बारिश के दिनों में होने वाली समस्याओं के प्रति रेलवे विभाग का ध्यान आकर्षण कर अस्थायी रूप से खाद रखने की व्यवस्था करने हेतु निर्देश दिया था. जिला में स्थित सभी प्राथमिक कृषि सेवा सहकारिता समिति को यूरिया खाद की बिक्री का दायित्व दिया गया है. जबकि तालपटिया, झारसुगुड़ा शहर एवं गांधी चौक में तीन पंजीकृत डीलर भी हैं. जबकि सहकारिता समितियों को यूरिया न मिलने की शिकायत समितियों द्वारा किया जा रहा है।इसी संदर्भ में नवभारत ने जिला के भारप्राप्त कृषि अधिकारी श्री बलबीर सिंह से जब इस बारे में पूछा तो श्री बलबीर सिंह ने कहा कि झारसुगुड़ा जिला के लिए हमने 2500 मीट्रिक टन अतिरिक्त खाद का ऑर्डर दिया है।उमीद करते है कि एक सप्ताह के भीतर यूरिया आ जाएगा और आने वाले 10 से 12 दिनों के भीतर यह खाद किसानों के पास पहुंच जाएगा इस बार कुछ देर जरूर हुई है मगर जल्द ही उन्हें आपूर्ति की जाएगी। मालूम हो कि अगर जल्द इस समस्या का समाधान नही निकाला जाता है और किसानों को अतिशिघ्र यूरिया खाद नही उपलब्ध कराया जाता है तो इसमें कोई दो राय नही की पहले ही कोरोना से महंगाई तथा अन्य असुविधा झेल रहे किसानों की फसल खराब होने से उनकी कमर ही नही किसान ही टूट जाएगा। जिसपर ध्यान जिला प्रसासन तथा स्थानीय नेताओं को जल्द देना होगा।