आदिवासियों के जीवन में हो रहे वन अधिकार अधिनियम के प्रभाव पर अध्य्यन करने दिल्ली से आईआईपीए की टीम पहुंची गरियाबंद जिले के दुरस्थ वनांचल ग्रामों में
- शेख हसन खान, गरियाबंद
- मूल्यांकन की रिपोर्ट राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार को सौंपी जाएगी
- दिल्ली से पहुंचे टीम के सदस्यों को ग्रामीणों ने मूलभूत समस्याओं से अवगत कराया
गरियाबंद। आदिवासियों के जीवन में हो रहे वन अधिकार अधिनियम के प्रभाव पर अध्ययन करने दिल्ली से आईआईपीए की टीम गरियाबंद जिले के दुरस्थ वनांचल मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के इदागांव, कोयबा, बम्हनी झोला ग्रामो में पहुंचकर ग्रामीणों से चर्चा किया और उनके जीवन स्तर के सबंध में विस्तार से जानकारी लिया साथ ही इन ग्रामो में मिल रहे ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाओं स्वास्थ्य शिक्षा, स्कूल, सडक, बिजली,पेयजल के सबंध में भी जानकारी लिया।
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में रहने वाले आदिवासियों के जीवन में वन अधिकार अधिनियम के प्रभाव पर अध्य्यन करने आईआईपीए का 7 सदस्यीय दल गरियाबंद जिले के के ग्राम पंचायत कोपेकसा में ग्राम कोपेकसा, ग्राम पंचायत महुआभाठां, ग्राम पीपरछेड़ी में निवास कर रहे आदिम जनजाति (भुंजिया) और मैनपुर जनपद के ग्राम पंचायत इदांगाव के ग्राम इदांगाव, ग्राम पंचायत कोयबा के वनग्राम कोयबा ( जंगल प्रतिबंधित क्षेत्र के अंदर) और ग्राम पंचायत गोना के वनग्राम सुकलाभाठां में निवासरत आदिवासियों के जीवन पर अध्य्यन करने पहुंची, आईआईपीए की गठित टीम क्षेत्र के आदिवासियों के जीवन में वन अधिकार अधिनियम के प्रभाव पर अध्य्यन किया। इस दो दिवसीय अध्ययन के दौरान वन अधिकार अधिनियम के तहत मिलने वाले अधिकारों को लेकर आदिवासियों से चर्चा कर मूल्यांकन किया, टीम का नेतृत्व इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन आईआईपीए के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जी. माहापात्रा कर रहे थे। आईआईपीए, नई दिल्ली टीम में शोध अधिकारी गयाधर ठाकुर, अभिषेक रघुवंशी वन अधिकार अधिनियम का मूल्यांकन गरियाबंद जिले में किया, आईआईपीए की केन्द्रीय टीम का सहयोग क्षेत्र सर्वेक्षण करने हेतु छत्तीसगढ़ के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के शोध छात्र विकास साहू, पेमेंद्र निर्मलकर, शीतलेश साहू, गजेंद्र देवांगन शामिल थे। इस मूल्यांकन को सफल बनाने के श्रेय जिला प्रशासन एवं वन विभाग गरियाबंद, आदिवासी विकास गरियाबंद और आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रायपुर को दिया जाता है।
मूल्यांकन की रिपोर्ट राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार को सौंपी जाएगी
अध्ययन से यह पता चला है कि यहां वन अधिकार अधिनियम के तहत विशेष पिछडी जनजातियों व आदिवासियो को जो जमीन जो आवंटित किया गया है वो राजस्व विभाग और वन विभाग दोनों के द्वारा होता है। इसके अतिरिक्त लाभान्वित को ऋण पुस्तिका दोनों विभागों द्वारा प्रदान किया जाता है जिसके फलस्वरूप लाभान्वितों को सरकारी योजनाओं के लाभ, सुविधाएं इत्यादि मिलती है। इन ग्रामों में वन जमीन आवंटन के साथ साथ आधारभूत सुविधाएं भी दिया गया है और कई ग्रामों में मूलभूत सुविधाए जो नही मिल रही है उसकी पुरी रिर्पोट सौपी जायेगी। अध्ययन से ये पता चला है कि मैनपुर जनपद के सुकलाभाठा वनग्राम में लोगों को खेती के लिए जमीन आवंटित की गई है लेकिन उनकी, रियासती जमीन का अधिकार नहीं दिया गया है। इसके फलस्वरूप उन लोगों की मांग ये थी कि उनके वनग्राम को राजस्व गांव में तब्दील किया जाए, ताकि वो भी सरकारी आधारभूत संरचनाओं के लाभ पा सके एवं कृषि कार्यों करने की छूट मिल सके ।