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May 19, 2024

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बेहद दुर्लभ प्रजाति के लाल और सफेद चंदन की खेती करने में घोघर के सरपंच को मिली सफलता

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  • दो साल पहले कृषि फार्महाउस में तामिलनाडु से मंगवाकर लगाये थे 50 पौधे, 8 से 10 फीट बड़े हो चुके है
  • छत्तीसगढ़ में लाल और सफेद चंदन दुर्लभ, देखने दूर -दूर से पहुंच रहे हैं उत्सुकतावश लोग
  • शेख हसन खान, गरियाबंद 

गरियाबंद । वर्तमान समय में पढ़े़ लिखे युवाओं का रूझान खेती किसानी में बढ़ा है यह एक बेहतर संकेत भी है। गरियाबंद जिले के घोघर ग्राम पंचायत के युवा सरपंच बृजलाल सोरी ने अपने फार्महाउस में दुनिया में सबसे दुर्लभ प्रजाति के वृक्ष लाल चंदन और सफेद चंदन की फसल ले रहे हैं और इसके पौधो को तामिलनाडु से मंगवाया गया है। अब यह पौधा दो साल का हो चुका है और पौधों की उंचाई 8 से 10 फीट तक हो गई है। लाल चंदन और सफेद चंदन की इस फार्महाउस में पौधों को देखने गरियाबंद जिले सहित अन्य प्रदेश से भी बड़ी संख्या में लोग उत्सुकतावश यहां पहुंचने लगे हैं। आपको यह बताते चले की लाल चंदन और सफेद चंदन के वृक्ष काफी दुर्लभ है। इसकी लकड़ी देश सहित विदेशों में 10 से 15 हजार रूपये किलो तक बिकती है। लाल और सफेद चंदन वृक्षों की खेती से काफी मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। इस पौधे को तैयार होने में 10 से 15 वर्ष का समय लगता है। इसके बाद इस पेड़ से प्राप्त लकड़ी से लाखों और करोड़ो़ं रूपये प्राप्त किया जा सकता है।

गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखण्ड के घोघर ग्राम पंचायत में पहली बार लाल चंदन और सफेद चंदन की खेती का फसल लिया जा रहा है और यह गरियाबंद जिला में संभवतः पहली बार इसकी खेती घोघर में किया जा रहा है। ग्राम पंचायत घोघर के सरपंच बृजलाल सोरी के द्वारा अपने फार्महाउस में इसकी खेती की जा रही है सरपंच बृजलाल सोरी ने बताया कि सर्वप्रथम मोबाईल यूट्यूब के माध्यम से उन्हे लाल चंदन और सफेद चंदन के बारे में पता तो उन्होने इसकी खेती करने का मन बनाया और आॅनलाइन पौधा उन्होने तामिलनाडु से मंगवाया प्रति पौधे 500 रूपये के दर से खरीदी किया उन्होने अपने फार्महाउस में लगभग 70 पौधे लगाये थे जिसमें से 25 लाल चंदन और 25 सफेद चंदन की पौधे अब दो साल में 8 से 10 फीट उंचे हो चुके है। उन्होने बताया यूट्यूब के माध्यम से उन्होने जानकारी हासिल किया 15 से 20 वर्ष में यह पौधे पेड़ बन जाते है और इससे लाखो करोड़ो की आय प्राप्त होती है। सरपंच श्री सोरी ने बताया लाल चंदन को दुनिया का सबसे दुर्लभ लकड़ी माना जाता है इसका उपयोग वाद्ययंत्र, मूर्ति और फर्नीचर, औषधि बनाने में किया जाता है साथ ही सफेद चंदन का उपयोग भी बहुत महंगे और जरूरी कार्यो में किया जाता है जिसके कारण इसकी कीमत अधिक होती है इसके लकड़ी से तेल की खुशबु, काॅस्मेटिक्स और पफ्र्यूम बनाने में किया जाता है इससे इसकी मांग बाजार में अधिक है वही चंदन की लकड़ी से कई प्रकार की खिलौने और शोपीस के सामाग्री तैयार किया जाता है वही तिलक लगाने का भी उपयोग किया जाता है। उन्होने बताया जब से उन्होने लाल चंदन और सफेद चंदन की खेती किया है इसे देखने दूर -दूर से लोग आ रहे है और चंदन के पौधे तेजी से बढ़ रहा है उन्होने बताया इसमें गोबर की खाद का विशेष महत्व है अप्रैल और मई में इसके पौधे को विशेष ध्यान देना पड़ता है क्योकि इल्ली से पौधे के त्रिकोणी पत्ते को बचाना पड़ता है। सरपंच बृजलाल सोरी ने बताया अपने मित्र जनपद सदस्य प्रतिनिधि महेश्वर बघेल के साथ प्रतिदिन इन पौधो का दो घंटा देखभाल करते है।