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May 9, 2024

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पहाड़ी के ऊपर बसे दर्जनभर ग्रामों के विशेष कमार जनजाति आदिवासी आजादी के 75 वर्षों बाद भी झरिया के पानी पीने को मजबूर

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  • शेख हसन खान, गरियाबंद
  • पेयजल की गंभीर समस्या के चलते गर्मी के दिनों में पालतू मवेशियों को पहाड़ी नीचे गांवों में रिश्तेदारों के घर छोड़ जाते हैं
  • बूंद बूंद पानी कीमत क्या है। इसे ताराझर, मटाल, कूर्वापानी, भालू डिग्गी, डडाईपानी ग्राम के कमार आदिवासी जानते हैं
  • घंटों इंतजार करना पड़ता है तब झरिया से नसीब हो पाता है एक हंडी पानी

मैनपुर । केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा गांवों के विकास के लिए तमाम बडे बडे दावे किए जाते हैं लेकिन आज भी आजादी के 75 वर्षो बाद गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर हीरा रत्नांचल क्षेत्र के पहाडी के उपर बसे ग्राम ताराझर, मटाल, कूर्वापानी, भालूडिग्गी, डडईपानी जैसे दर्जनभर ग्रामों के लोगों को पीने के लिए साफ सुथरा पेयजल उपलब्ध नही हो पा रहा है। यहां विकास के दावे फेल नजर आते हैं। वह भी उस क्षेत्र में जिस क्षेत्र की धरती अपार खनिज हीरा ,अलेक्जेडर कीमती रत्नों से भरा हो ऐसे धरती के ऊपर निवास करने वाले ग्रामीणो को पीने के लिए शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा है और तो और अभी गर्मी ठीक से प्रारंभ भी नहीं हुई है और एक एक बूंद पानी की कीमत यहा के ग्रामीण ही समझ पाते हैं। क्योंकि उन्हे गाव से एक दो किलोमीटर दुर पुराने सुख चुके नालो में झरिया खोदकर पानी निकालना पड़ रहा है।

तेज धूप के कारण पहाडी के उपर झरिया तेजी सुख जाता है और प्रतिदिन ग्रामीणों को झरिया की खुदाई करनी पड़ती है, तब कही जाकर घंटों मशक्कत के बाद उन्हे पीने के लिए पेयजल उपलब्ध हो पाता है। सरकार के तमाम विकास के बडे बड़े दावे आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र के ग्रामो के बदहाल स्थिति को देखते हुए असफल साबित हो रहे है कमार आदिवासी बाहूल्य इस गांव में न तो पीने के लिए साफ पानी है ना ही यहां पहुचने के लिए कोई सड़क।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के गोदग्राम ग्राम पंचायत कुल्हाडीघाट के आश्रित ग्राम ताराझर, मटाल, कूर्वापानी, भालूडिग्गी, डडईपानी जंगल व पहाडो के उपर बसा है इस ग्रामों की अबादी लगभग 560 के आसपास है यह कुल्हाड़ीघाट से 25 कि.मी. दूर उड़िसा सीमा से लगा हुआ है कुल्हाडीघाट से राजाडेरा तक कच्ची सड़क है राजाडेरा से सीधे पथरिले बड़े बड़े चट्टानो खाई को पार कर पहाड़ी के उपर बसा इस ग्राम में पहुचा जा सकता है, यहां आने जाने का एक मात्र साधन पैदल ही है। राजाडेरा से जंगल नदी नाले जानलेवा खाई को 7-8 घंटे तक पैदल चलने के बाद इन ग्राम में पहुंच जाता है, 30 से 35 छोटे-छोटे झोपड़ीनुमा घासफूस से बने मकान है गांव के एक ओर छोटी जूनानी नदी बहती है जो गर्मी में पुरी तरह सुख कर रेत के मैदान में तब्दील हो गया है दूसरी ओर सैकड़ो फिट गहरे खाई है।

ग्राम मटाल जहां शतप्रतिशत संरक्षित आदिवासी जनजाति कमार समुदाय के लोग निवास करते है वह बुनियादी सुविधाएं आजादी के बाद से आज पर्यन्त तक वंचित है और तो और यहां के निवासरत् कमार जनजाति के लोगों को पेयजल के लिए महज एक मात्र हैंडपंप भी नसीब नहीं है। पहाड़ी पर बसा ग्राम ताराझर, मटाल, कूर्वापानी, भालूडिग्गी, डडईपानी विकास की दृष्टिकोण से बस्तर के अबुझमाड़ के दुर्गम इलाको से भी बत्तर स्थिति में है जहां मटाल के लोगों को पीने के लिए साफ पानी नसीब नहीं है। यहां के ग्रामीण भरत कमार, रबेतिन बाई, मालती, तुकाराम कमार ने बताया कि इस भीषण गर्मी में ग्रामीणो को पीने के लिए पानी नसीब नही हो पा रहा है। गर्मी के दिनो में नदी सुख जाने से ग्रामीण गहरे झरियानुमा गडढा खोद कर पानी का इंतिजाम कर रहे हैं जहां बड़ी मशक्कत घंटो इतिजार के बाद लोगो को एक से दो हंडी ही पानी पीने के लिए ही नसीब हो रहा है। ताराझर में कुआं भी है लेकिन सूख गया है।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग क्यों ध्यान नहीं देते
एक तरफ राज्य और केंद्र सरकार हर गांव घर तक पानी पहुंचाने की दावे कर रही है दूसरी तरफ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जिसका जिम्मेदारी है। हर नागरिक को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का वहा पहाड़ी गांव का हवाला देकर आजादी के 75 वर्षों बाद भी इन पहाड़ियों पर बसे गांव में पानी पहुंचाने हाथ खड़े कर देते हैं,जब भी ग्रामीणों द्वारा हैंडपंप की मांग किया जाता है तो पहाड़ी गांव का हवाला देकर मांग को टाल देते हैं जबकि पहाड़ी पर बसे इन ग्रामों तक पानी पहुंचाने ठोस कार्ययोजना योजना बनाने की जरूरत है क्योंकि अन्य विभाग और वन विभाग द्वारा इन ग्रामों अनेकों निर्माण कार्य आसानी से करवाया जाता है तो हैंडपंप भी खनन किया जा सकता है। इस पर गंभीरता से विचार करने के साथ दृण इच्छा शक्ति के साथ काम करने की जरूरत है।

कुल्हाडीघाट के सरपंच धनमोतिन बाई ने बताया
ग्राम पंचायत कुल्हाडीघाट के सरपंच धनमोतिन बाई सोरी ने बताया कि कुल्हाडीघाट के आश्रित ग्राम ताराझर, मटाल, कूर्वापानी, भालूडिग्गी, डडईपानी जो पहाडी के उपर बसा हुआ है यहा इस गर्मी मे पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है लोगो को झरिया खोदकर बूंद बूंद पानी के लिए मशक्कत करना पड रहा है।

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