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May 9, 2024

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9 साल पूर्व पहाड़ी के नीचे भाजपा राज में बसाये गए विशेष जनजाति ग्राम नया ताराझर हुआ विरान.. प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री बनने से अब फिर उम्मीद की किरण

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  • नया बसाएं गांव में रोजगार के अभाव में दो साल पहले गांव छोडकर ग्रामीण वापस लौटे पहाडी पर
  • नया गांव में 32 पक्का मकान, सी.सी.रोड, पेयजल की बेहतर सुविधा , तालाब और तो और मोबाईल टवार, बिजली मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध
  • शेख हसन खान, गरियाबंद

गरियाबंद। गरियाबंद जिले के तहसील मुख्यालय मैनपुर से लगभग 18 किलोमीटर दुर घने जंगल के भीतर ग्राम पंचायत कुल्हाडीघाट है। इस ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम कुल्हाडीघाट से और 25 से 30 किलोमीटर दुर दुर्गम पहाडी के उपर बसे ग्राम ताराझर, कुर्वापानी, मटाल, भालूडिग्गी विकास से कोशो दुर है। इन ग्रामो में पहुचने के लिए सडक नही होने के कारण आजादी के 75 वर्षो बाद भी यहा निवास करने वाले विशेष पिछडी कमार जनजाति के ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाए उपलब्ध नही हो रहा है, जिसके कारण गरियाबंद जिले के तत्कालीन कलेक्टर निरंजन दास द्वारा राज्य सरकार को एक योजना बनाकर पहाडी के उपर बसे कमार जनजाति परिवारों को पहाडी के नीचे नया गांव ताराझर बनाकर बसाने की योजना बनाई गई और तो और 2014-15 में डाॅक्टर रमन सिंह भाजपा सरकार के दौरान तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 07 किलोमीटर दुर धारपानी और नेशनल हाईवे के किनारे बकायदा नया ताराझर गांव बसाया गया इस गांव में 32 पक्का मकान इदिरा आवास का निर्माण किया गयाव और नये बसाये गये गांव मे बकायदा बिजली लगाई, दो तालाब का निर्माण किया गया, पानी की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सौर सुजला योजना के तहत 24 घंट पानी उपलब्ध कराई गई, गांव के भीतर पक्की सडक सी.सी रोड का निर्माण किया गया है। पहाडी के उपर निवास करने वाले विशेष पिछडी कमार जनजाति के 32 परिवारों को बकायदा नया ताराझर में लाकर बसाया गया। उस दौरान रमन सरकार द्वारा बकायदा इन परिवारों को मुलभूत सुविधाए उपलब्ध कराते हुए। उनके पुस्तैनी व्यवसाय बांस बर्तन बनाने के लिए बांस की जंगल भी उपलब्ध कराया गया यहा निवास करने वाले ग्रामीणों को खेती किसानी के लिए जमीन उपलब्ध कराने का वायदा भी किया गया था, लेकिन वर्ष 2018 में छत्तीसगढ में छत्तीसगढ में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस की सरकार बनी। यहा के ग्रामीणों को खेती किसानी दिलाने का जो वायदा किया गया था उसे भुल गये और ग्रामीणों को खेती किसानी उपलब्ध नही करवाया गया, जिसके कारण यहा पहाडी के उपर से उतरकर निवास कर रहे 32 परिवार बकायदा 06-07 वर्षो तक इस नया ताराझर में निवास भी किये और उन्हे खेती किसानी व जीविकाउपार्जन में दिक्कत होने के कारण यहा के ग्रामीण वापस अपने गांव पहाडी के उपर फिर चले गये।

यहा निवास करने वाले विशेष पिछडी जनजाति के ग्रामीण, जयसिंह, चरणसिंह कमार, जगनाथ कमार, अभिसिंह कमार, हरिसिंह कमार, धनीराम, सीताराम ने चर्चा में बताया कि हम लोग पहाडी के उपर दुर्गम गांव ताराझर में निवास कर रहे थे जंहा भले ही सडक, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा नही है लेकिन हमारे परिवार के पास खेती किसानी होने के कारण खेती किसानी और बांस बर्तन बनाकर जीवीकाउपार्जन कर रहे थे। यहा नया गांव में उस समय के कलेक्टर साहब और नेताओं के द्वारा खेती किसानी सिंचाई सुविधा देने का वायदा किया गया था, लेकिन हमें खेती किसानी नही देने के कारण परिवार को चलाने में भारी दिक्कत हो रही थी। सिर्फ बांस बर्तन से जीविकाउपार्जन नही हो सकता जिसके कारण मजबूरन 02 वर्ष पहले हम लोग इस नया गांव को छोडकर वापस अपने गांव पहाडी के उपर चले गये है। ग्रामीणों ने चर्चा में कहा कि छत्तीसगढ में फिर से भाजपा की सरकार बन गई। और बकायदा आदिवासी समाज से मुख्यमंत्री बनाया गया है तो यहा के ग्रामीणों में उम्मीद की एक किरण जगी है कि उन्हे रमन सरकार के समय जो वायदा किया गया था, उस वायदो के अनुसार यदि खेती किसानी सिंचाई सुविधा उपलब्ध करा दी जाती है तो ग्रामीण फिर इस नया गांव मे आने के बारे में सोच सकते है।

  • विरान पडे गांव में लगाया जा रहा है मोबाईल टावर

नया ताराझर विरान पडे गांव में मोबाईल का टावर एक सप्ताह पूर्व लगाया गया है और आज बकायदा इस टावर को चारो तरफ से फैंसिग तार से घेरा जा रहा है, जिससे यह उम्मीद लगाया जा रहा है कि कमार जनजाति के लोगो को एक बार फिर मुख्यधारा से जोडने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कवायद शुरू हो गया है नही तो 02 वर्ष पूर्व विरान हो चुके गांव में मोबाईल टावर लगाना समझ से परे है।

  • क्या कहते है सचिव

ग्राम पंचायत कुल्हाडीघाट के सचिव प्रेमलाल धु्व ने बताया कि पहाडी के उपर बसे होने के कारण ताराझर तक सडक व अन्य मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने में भारी परेशानियों का सामना करना पडता है इसलिए 2014-15-16 में पहाडी के उपर बसे विशेष कमार जनजाति के लोगो को विकास की मुख्यधारा से जोडने के लिए बेहतर योजना बनाते हुए उन्हे मैनपुर तहसील मुख्यालय के नजदीक 07 किलोमीटर में नया गांव का निर्माण कर बसाया गया था लेकिन दो साल पहले ग्रामीण गांव छोडकर वापस चले गये।

  • क्या कहते है पूर्व सरपंच

ग्राम पंचायत कुल्हाडीघाट के पूर्व सरपंच बनसिंह सोरी ने बताया कि ग्रामीणो को यदि खेती किसानी और सिंचाई के साधन के साथ रोजगार उपलब्ध करा दिया जाये तो वो पहाडी के नीचे नया गांव में निवास कर सकते है।