महासमुन्द जिले का अनोखा मामला- विभागीय जांच के पूर्व अटैच कर्मी को बहाल कर जांच की जा रही
1 min read- एक सचिव ऐसा भी जिसने अपने 15 साल की नौकरी एवम 5 ट्रांसफर में कभी किसी को प्रभार नहीं सौंपा
- भारी गड़बडियों के कारण कभी किसी को नहीं दिखाई कैश बुक
- राजनीतिक पहुँच के कारण संविधान की उड़ाई धज्जियां !
- जिला सीईओ ने जनपद सीईओ की अनुशंसा पर किया है बहाल
- प्रभारी पंचायत उपसंचालक S लकड़ा कर रहे हैं विभागीय जांच
- शिखादास, पिथौरा, महासमुंद
जिले की चर्चित जनपद पंचायत पिथौरा में पदस्थ एक सचिव ऐसा भी है जिसने अपने 15 वर्ष की नौकरी के दौरान हुए 5 ट्रांसफर में कभी भी अपने स्थान पर आने वाले सचिव को प्रभार नही दिया।इसकी शिकायत सचिवों द्वारा जनपद एवम जिला पंचायत में करने के बाद भी कभी कोई कार्यवाही नही की गई बल्कि सचिव के विरुद्ध पंचायत उपसंचालक महासमुन्द द्वारा जांच की जा रही है।
नियमानुसार किसी भी कर्मी के विरुद्ध जांच के पूर्व कर्मी को निलंबित या अटैच किया जाता है परन्तु उक्त मामले में जांच के प्रारम्भ होने के पहले ही अटैच पंचायत सचिव को बहाल कर उन्हें जनपद क्षेत्र की महत्वपूर्ण ग्राम पंचायत बरनई दादर का सचिव बना दिया गया है। जिसकी काफी चर्चा है कि विभागीय जाँच भी और पोस्टिंग भी ।
गौरतलब है कि उक्त पंचायत सचिव ने अपने 15 वर्षीय शासकीय पंचायत सचिव पद पर नॉकरी करते हुए विकासखण्ड की ग्राम पंचायत लाहरौद, बिजेमाल , बड़े टेमरी नयापारा कला एवम देवसरार में पंचायत सचिव के पद पर कार्य किया है। इनमें से किसी भी पंचायत में उन्होंने फंड के अवाक जावक का कोई हिसाब अपने रिलीवर सचिव को नहीं दिया।
इनमें देवसराल ग्राम पंचायत में उक्त सचिव के स्थान पर बगैर प्रभार के काम संभाल रहे सचिव मुरली साव को सूचना के अधिकार के जानकारी नहीं दिए जाने पर आयोग की फटकार एवम जुर्माने का भी सामना करना पड़ा है।
वरिष्ठ करारोपण अधिकारी सुशील चौधरी ने कहा कि सचिव नरेन्द्र वैष्णव के खिलाफ लगातार मिली अनियमितताओं की जानकारी के बाद जिला पंचायत के आदेश से शिकायत जाँच जिला अंकेक्षक अशोक चंद्राकर /उप संचालक दीप्ति साहू / दिनेश वर्मा द्वारा हुई । लहरौद में कोमल साहू (सचिव)को प्रभार नहीं दे रहा था नरेंद्र वैष्णव । जिला पंचायत ceo को तीनों ने रिपोर्ट सौपीं ।
विभागीय जाँच S लकरा कर रहे (प्रभारी उप संचालक जिला पंचायत परियोजना अधिकारी)
पिथौरा अपने अब तक के पंचायत सचिव कार्यकाल में कभी भी किसी भी पंचायत में बगैर प्रभार दिए ही स्थानांतरित पंचायत का प्रभार लेंने वाले सचिव को पुनः बरनईदादर का प्रभार देकर उसके विरुद्ध जांच किये जाने का अनोखा मामला सामने आया है। उक्त मामले में लहरौद सहित 2 ग्राम पंचायतों के तात्कालिक सचिवों को जांच हेतु महासमुन्द तलब किया है। वहीं जिला पंचायत सीईओ द्वारा सचिव को स्थानीय सीईओ की अनुसंशा की बात कहते हुए उसे पुनः पंचायत का प्रभार देने की बात कही है।
मिली जानकारी के अनुसार, पिथौरा जनपद क्षेत्र अंतर्गत एक पंचायत सचिव 15 वर्षों से इसी जनपद में विभिन्न ग्राम पंचायतों में सचिव रह चुके है। इस सचिव के बारे में कोई दो वर्ष पूर्व मीडिया प्रकाशित एक विशेष रिपोर्ट के बाद इस को तात्कालिक जिला पंचायत सीईओ द्वारा किसी भी पंचायत में पदस्थ न करते हुए पिथौरा जनपद पंचायत में ही अटैच कर दिया गया था और विभागीय जांच के आदेश दिए थे। बताया जाता है कि अपनी ऊंची पहुँच के कारण उक्त सचिव विभागीय जांच से बचे रहे। परन्तु अब सीईओ बदलते ही एक ओर विभागीय जांच प्रारम्भ हुई और दूसरी ओर आरोपी सचिव को विकासखण्ड की महत्वपूर्ण ग्राम पंचायत बरन ईदादर का सचिव बना दिया गया।
- पांच पंचायतों में रहे किसी मे प्रभार नहीं दिया
जनपद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त सचिव अब तक विकासखण्ड की पांच ग्राम पंचायतों में सचिव के पद पर पदस्थ रहे है।ये पंचायते है लहरौद , बिजेमाल, नयापारा कला, टेमरी, एवम देवसराल, अभी छठवीं ग्राम पंचायत बर्नाइदादर में इनको प्रभार दिया गया है। ज्ञात हो उक्त किसी भी ग्राम पंचायत में उक्त सचिव द्वारा किसी भी अन्य सचिव को प्रभार नही दिया बल्कि स्वयम अपने स्थानांतरित दूसरी पंचायत में जाकर प्रभार ले लिया था। इसकी शिकायत तात्कालिक ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा स्थानीय जनपद एवम् जिला पंचायत में की गयी थी परन्तु कभी भी जनपद या जिला पंचायत से कोई भी कार्यवाही या जांच आरोपी सचिव के विरुद्ध नहीं की गई।अब इस तरह के कारनामे विकासखण्ड के अन्य सचिवों के भी हौसले बुलंद कर रहे हैं।
भारी गड़बड़ी की आशंका
सूत्रों के अनुसार, क्षेत्र में चर्चित उक्त सचिव के अब तक प्रभार वाली ग्राम पँचयतो में भारी गड़बड़ी की आशंका है। इस सम्बन्ध में लगातार शिकायत जाँचविभागीय जाँच व मीडिया प्रकाशन के बाद जिस पर संज्ञान लेते हुए उक्त सचिव नरेंद्र वैष्णव को बगैर किसी पंचायत का प्रभार दिए उसे जनपद पंचायत कार्यालय में ही अटैच किया गया था। परन्तु दो वर्षों बाद बगैर किसी जांच के ही उसे एक महत्वपूर्ण ग्राम पंचायत बर्नाइदादर का प्रभार दे दिया गया। प्रभार देने के बाद अब उसके कभी प्रभार नहीं देने के मामले की जांच की जा रही है।शायद यह पहला मामला होगा जब जांच हेतु अटैच या निलंबित करने की बजाय उल्टे उसे प्रभार देकर जांच की जा रही है।
इस सप्ताह जांच हेतु दो सचिव तलब
दूसरी ओर विश्वसनीय सूत्र बताते है कि विगत 5 एवम 9 जून को उक्त सचिव द्वारा प्रभार नही दिए जाने की शिकायत करने वाले दो पंचायत सचिवों वर्तमान सचिव एवम तात्कालिक सरपंच को जिला मुख्यालय में पंचायत विभाग के उपसंचालक एस लकड़ा द्वारा तलब किया गया था।मिली जानकारी के अनुसार उपसंचालक द्वारा सभी के बयान दर्ज कर जांच प्रारम्भ की गई है।
अनुशंसा पर पुनः प्रभार- सीईओ
उक्त मामले में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इस प्रतिनिधि से चर्चा करते हुए बताया कि उक्त मामले में जांच हुई या नही इसकी जानकारी नही है परन्तु जनपद पंचायत पिथौरा की अनुशंसा से आरोपित सचिव को पुनः ग्राम पंचायत बर्नाइदादर का प्रभार सौंपा गया है। जनपद गलियारों में चर्चा इस प्रकरण में की जाँच भी औऱ पोस्टिंग भी ?