ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता गिरीश कर्नाड का निधन, तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा
गिरीश कर्नाड का जन्म 1938 में हुआ था।
जाने माने अभिनेता, फ़िल्म निर्देशक, नाटककार, लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता गिरीश कर्नाड का निधन
तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा, बीते महीने ही 81 वर्ष के हुए, गिरीश कर्नाड का जन्म 1938 में हुआ था।
गिरीश कर्नाड के निधन पर मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कर्नाटक में तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की। इस दौरान एकदिवसीय सार्वजनिक छुट्टी का ऐलान भी किया गया।गिरीश कर्नाड ने 1970 में कन्नड़ फ़िल्म ‘संस्कार’ से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू किया। उनकी पहली फ़िल्म को ही कन्नड़ सिनेमा के लिए राष्ट्रपति का गोल्डन लोटस पुरस्कार मिला।आर के नारायण की किताब पर आधारित टीवी सीरियल मालगुड़ी डेज़ में उन्होंने स्वामी के पिता की भूमिका निभाई जिसे दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था और यह आज भी उतनी ही मशहूर है।गिरीश कर्नाड को 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1998 में ज्ञानपीठ पुरस्कार, 1974 में पद्म श्री, 1992 में पद्म भूषण, 1972 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1992 में कन्नड़ साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1998 में ज्ञानपीठ पुरस्कार और 1998 में उन्हें कालिदास सम्मान से सम्मानित किया गया है।

1990 की शुरुआत में विज्ञान पर आधारित एक टीवी कार्यक्रम टर्निंग पॉइंट में उन्होंने होस्ट की भूमिका निभाई जो तब का बेहद लोकप्रिय साइंस कार्यक्रम था।उनकी आखिरी फिल्म कन्नड़ भाषा में बनी अपना देश थी, जो 26 अगस्त को रिलीज हुई। बॉलीवुड की उनकी आखिरी फ़िल्म ‘टाइगर ज़िंदा है’ (2017) में डॉ। शेनॉय का किरदार निभाया था।उनकी मशहूर कन्नड़ फ़िल्मों में से तब्बालियू मगाने, ओंदानोंदु कलादाली, चेलुवी, कादु और कन्नुड़ु हेगादिती रही हैं। उन्होंने अपना पहला नाटक कन्नड़ में लिखा जिसे बाद में अंग्रेज़ी में भी अनुवाद किया गया। साथ ही उनके नाटकों में ‘ययाति’, ‘तुग़लक’, ‘हयवदन’, ‘अंजु मल्लिगे’, ‘अग्निमतु माले’, ‘नागमंडल’ और ‘अग्नि और बरखा’ काफी प्रसिद्ध रहे हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
गिरीश कर्नाड के निधन पर फ़िल्म, राजनीति और अन्य वर्गों के लोगों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “गिरीश कर्नाड को सभी माध्यमों में उनकी बहुमुखी प्रतिभा के लिए याद किया जायेगा। वो उन्हें अच्छे लगने वाले विषयों पर अपनी पूरी भावुकता से मुखर थे। उनके कामों को आने वाले वक्त में याद किया जायेगा। उनके निधन से दुख हुआ। उनकी आत्मा को शांति मिले।
