पिरामल फाउंडेशन,नीति आयोग ने कांकेर में एड्स व एचआईवी को लेकर आयोजित किया जागरूकता कार्यक्रम
छत्तीसगढ़:विश्व एड्स दिवस के अवसर पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था(DIET) कांकेर में एक दिवसीय कार्यशाला व जागरूकता शिविर का आयोजन पिरामल फाउंडेशन ,नीति आयोग द्वारा किया गया।
जहाँ मुख्य अतिथि के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष,जिला शिक्षा अधिकारी;सहायक संचालक शिक्षा विभाग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में जिला अस्पताल से आई.सी.टी.सी. काउंसलर श्रीमती सुनीता पाठक द्वारा उपस्थित छात्र-छात्राओं को एचआईवी व एड्स के बारे में जानकारी दी व सहभागी समाज सेवी संस्था से श्रीमती लक्ष्मी सहारे ने एचआईवी पॉजिटिव होने के कारण व रोकथाम पर छात्र-छात्राओं से चर्चा की।
विश्व एड्स दिवस के लिए हर साल एक नई थीम रखी जाती है। इस साल की थीम-“असमानताओं को समाप्त करें, एड्स का अंत करें” है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि इस साल का मुख्य एजेंडा दुनिया भर में आवश्यक एचआईवी सेवाओं तक पहुंच में बढ़ती असमानताओं को उजागर करना है।
कार्यक्रम की शुरुआत पिरामल फाउंडेशन, नीति आयोग फेलो शिवम मिश्रा द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा व महत्व बताकर की गई।इसके पश्चात जिला अस्पताल आईसीटीसी काउंसलर सुनीता पाठक ने एचआईवी के फैलने पर जानकरी दी ,जिसका मुख्य कारण संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने, ब्लड चढ़ाने के दौरान शरीर में एचआईवी संक्रमित रक्त के चढ़ जाने से, एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति पर इस्तेमाल की गई इंजेक्शन की सुई का इस्तेमाल करने से या फिर एचआईवी पाजिटिव गर्भवती महिला गर्भावस्था के समय, प्रसव के दौरान या इसके बाद अपना दूध पिलाने से नवजात शिशु को संक्रमणग्रस्त कर सकती है।
सहभागी समाज सेवी संस्था से लक्ष्मी सहारे ने एड्स के लक्षण बताते हुए कहा कि एड्स के लक्षण 5 से 10 वर्ष के बाद भी उभर सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इससे पीड़ित व्यक्ति के मुंह पर सफेद चकत्तेदार धब्बे उभरना, शरीर से अधिक पसीना निकलना, बार-बार थकान की शिकायत होना, अचानक वजन कम होने लगना, तेज बुखार रहना, बार-बार दस्त लगना, लगातार खांसी आना, गले, जांघों और बगलों की लसिका ग्रंथियों की सूजन से गांठें पड़ना, सारे शरीर में खुजली और जलन होना, निमोनिया, टीबी, स्किन कैंसर जैसी तकलीफें होने लगे, तो एड्स का टेस्ट करवाने में देर नहीं करनी चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जिला पंचायत अध्यक्ष, हेमन्त ध्रुव ने छात्राओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनियाभर में एचआईवी संक्रमण/ एड्स के बढ़ते मामले स्वास्थ्य संस्थाओं के लिए गंभीर चिंता का कारण बने हुए हैं। ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के कारण होने वाली इस घातक बीमारी के चलते हर साल लाखों का संख्या में लोगों की मौत हो जाती है, इसके अलावा हर साल एचआईवी संक्रमण के लाखों नए मामलों की पहचान की जा रही है। एड्स रोग और इसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए साल 1988 से हर साल 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाया जाता है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे पहले साल 1981 में खोजे गए इस वायरस से अब तक साढ़े तीन करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक लोगों में जागरूकता बढ़ाकर एचआईवी संक्रमण/ एड्स के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाई जा सकती है।
जिला शिक्षा अधिकारी ,कांकेर रामप्रकाश मीरे ने एड्स को लेकर समाज मे फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए जागरूकता को एक प्रमुख उपाय बताया।
कार्यक्रम में मंच संचालन डाइट कॉलेज से लेक्चरर बाला राम सिन्हा द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डाइट कॉलेज से प्रिंसीपल आर सोनवानी,लेक्चरर बाला राम सिन्हा,जनक सिन्हा,हेमचन्द सिन्हा,गिरीश गौतम,देवेंद्र साहू व बीएड कॉलेज से डॉ कृष्ण मूर्ति शर्मा,डॉ राम रुद्र गिरी,डॉ पूर्वा झा,आस्था शर्मा व सुरेश मिश्रा ,आदि का सहयोग रहा।
