17 अतिपछड़ी जातियों को एससी में शामिल करने का निर्णय राजनीतिक छलावा- लौटनराम
1 min readराष्ट्रीय निषाद संघ ने कहा-केंद्र को संस्तुति भेज स्वीकृति दिलाये राज्य सरकार
लखनऊ। राष्ट्रीय निषाद संघ ने योगी सरकार द्वारा 17 अतिपिछड़ी -निषाद, मछुआ, केवट, मांझी, धीवर, बिन्द आदि 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के शासनादेश को राजनीतिक छलावा बताते हुए मांग किया है कि प्रदेश सरकार इस सम्बंध में विधिसम्मत संस्तुति/प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजकर स्वीकृति दिला राजपत्र जारी कराये।राष्ट्रीय निषाद संघ के सैकड़ों पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं ने दारुलशफा से जीपीओ पार्क तक मझवार,तुरैहा, गोंड़ को परिभाषित कर इनकी पर्यायवाची जातियों को आरक्षण देने,मछुआरा आयोग का गठन करने व फिशरमैन विजन डाक्यूमेंट्स के संकल्पों को पूरा करने की मांग को लेकर जुलूस निकाला।गाँधी प्रतिमा स्थल पर धरना सभा को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटनराम निषाद ने कहा कि योगी सरकार मा.उच्च न्यायालय के अंतरिम निर्णय के आधार पर सपा सरकार के शासनादेश को 24 जून को जारी कराया है।उक्त शासनादेश 15.30% वाली तथाकथित 17 अतिपिछड़ी जातियों को भृमित सस्ती लोकप्रियता हासिल करने व राजनीतिक लाभ उठाने की साज़िश है।
निषाद ने बताया कि जबतक संसद की मुहर नहीं लगेगी,निषाद आदि 17 अतिपिछड़ी जातियों को संवैधानिक नहीं मिल पायेगा।उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के आदेश से मांझी,मल्लाह,केवट आदि को मझवार के नाम से लाभ मिल जाएगा,अन्य के लिए संसद में बिल पास करना पड़ेगा।उन्होंने कहा- “आधी छोड़ पूरी को धावे,पूरी मिले न आधी पावे” वाली स्थिति निकट भविष्य में इन जातियों के सामने पैदा हो जाएगी।एक तरफ इनको प्रमाण मिल भी जाएगा तो उसकी वैधानिकता पर खतरा रहेगा,दूसरी तरफ ओबीसी आरक्षण से भी हाथ धोना पड़ेगा।निषाद ने कहा कि राज्य सरकार मझवार(मझवार,केवट,मांझी,बिन्द),तुरैहा(तुरहा,धीवर,धीमर,सिंघड़िया),गोंड(गोड़िया,गौड़,कहार, रैकवार,बाथम),पासी तड़माली(भर,राजभर) व शिल्पकार(कुम्हार,प्रजापति) के आधारित केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर स्वीकृति दिलाने की मांग की।राज्य सरकार की मंशा ठीक है,तो केंद्र से मान्यता दिलाये।मल्लाह,मांझी,केवट,राजगौड़,गोंड़ मझवार आदि सेन्सस-1961 के आधार पर मझवार की पर्यायवाची/वंशानुगत जातिनाम हैं।इस आधार पर इन्हें मझवार का प्रमाण पत्र जारी कराया जा सकता है। राज्य सरकार की मंशा 17 अतिपछड़ी जातियों को आरक्षण व सामाजिक न्याय दिलाने की नहीं,राजनीतिक लाभ उठाने की है।
उन्होंने कहा कि भाजपा मुलायम सिंह यादव जी व अखिलेश यादव की सरकार द्वारा जारी कराये जाने वाले जिस शासनादेश को संसदीय अधिकार व संविधान विरुद्ध बताती थी,अंत में वह नेताजी व अखिलेश यादव जी के निर्णय को स्वीकार करने को बाध्य हुई। भाजपा की राज्य व केंद्र में दोनों जगह पूर्ण बहुमत की सरकार है।उसकी नीति,नियत व मंशा ठीक है,तो शीघ्र केंद्र को प्रस्ताव भेजकर इसी संसद सत्र में स्वीकृति दिलाने का कदम उठाने में देर न करे। धरना सभा को सर्वश्री कैलाशनाथ निषाद, रमेशचंद्र निषाद, रामकेश बिन्द, राजेश साहनी,तिलकधारी निषाद, राजू कश्यप,भगवानदास मझवार आदि ने सम्बोधित किया।