शास्त्रों के अनुसार दीपावली 31 को, शुभ मुहूर्त पर पूजा करने से विशेष लाभ- आचार्य नन्द किशोर जी महाराज
1 min read- स्कंद पुराण के वैष्णव खंड, कार्तिक महात्म्य के अध्याय 9, 10 और 11 में स्वयं भगवान ब्रह्माजी ने दीपावली पूजन के लिए त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या के संगव काल (संधि काल) को श्रेष्ठ समय बताया है
- शेख हसन खान की विशेष रिपोर्ट
गरियाबंद। सनातन धर्म के अनुसार किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक आयोजन की तिथि और विधि का निर्धारण वेद, स्मृति और पुराणों के आधार पर किया जाता है। इन शास्त्रों में स्पष्ट रूप से त्योहारों की तिथियां और उनके पालन की विधियां बताई गई हैं। विशेष रूप से दीपावली जैसे पर्वों के संदर्भ में स्कंद पुराण, जो कि सनातन धर्म के प्रमुख पुराणों में से एक है। दीपावली के पूजन का सही समय बताता है। ज्योतिषाचार्य नंदकिशोर जी महाराज ने बताया, स्कंद पुराण के वैष्णव खंड, कार्तिक महात्म्य के अध्याय 9, 10 और 11 में स्वयं भगवान ब्रह्माजी ने दीपावली पूजन के लिए त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या के संगव काल (संधि काल) को श्रेष्ठ समय बताया है।
इस संगवकाल में लक्ष्मी पूजन से अधिकतम लाभ और समृद्धि प्राप्त होती है। इस वर्ष दीपावली 31 अक्टूबर को है। याने कल मनाया जाना है। कल दुर्लभ शिववास और प्रीति योग में दिवाली मनाई जाएगी कुछ लोग तिथि को लेकर कन्फ्यूज हो रहे हैं कि इस वर्ष दिवाली 31 अक्टूबर को मनाएँ। यह 01 नवम्बर को लेकिन किसी को भी कन्फ्यूज नहीं होना है। शास्त्रों के अनुसार दीपावली मनाने का उत्तम मुहूर्त 31 अक्टूबर को है। शास्त्र अनुसार दीपावली की तिथि के निर्णय के लिए मुख्य काल प्रदोष में अमावस्या का होना आवश्यक देश के किसी भी भाग में एक नवंबर को पूर्ण प्रदोष काल में अमावस्या नहीं, इसलिए एक नवंबर को दीपावली मनाना शास्त्रोचित नहीं धर्मशास्त्रों का पूर्वापर संबंध स्थापित करते हुए अध्ययन नहीं करने से भ्रम हुआ है ।
- दिवाली लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त (31 अक्तूबर 2024)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 06:45 से 08:30 तक
अवधि – 01 घण्टे 45 मिनट
प्रदोष काल – 05:48 से 08:21
वृषभ काल – 06:35 से 08:33
- पंचांग की सीमाएं और शास्त्रों की महत्ता
पंचांग का उपयोग जानकारी के लिए किया जाता है, लेकिन धर्म और पूजन के निर्णय केवल वेद, स्मृति और पुराणों के आधार पर किए जाते हैं।
व्यक्तिगत पंचांग या लेखों के आधार पर निर्णय लेने से बचना चाहिए। शास्त्रों में दी गई व्यवस्थाएं ही सर्वमान्य होती हैं और इन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस वर्ष 31 अक्टूबर को ही दीपावली का पूजन करना शास्त्रों के अनुसार उचित है। स्कंद पुराण के अनुसार, अमावस्या युक्त प्रतिपदा पर लक्ष्मी पूजन का निषेध है, इसलिए सही तिथि का चयन करते हुए। शास्त्र-सम्मत मार्ग पर चलकर 31 को दीपावली पूजन करें और लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करें।