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October 17, 2024

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उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के जंगल में लगातार आगजनी के बाद जंगलों की सेहत बिगड़ी

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  • छोटे छोटे पेड़ पौधे वन औषधियां जलकर हो गई नष्ट, कई स्थानों पर सिर्फ राख ही राख नजर आता है
  • वन्य प्राणियों के सामने हरे चारे और पानी की समस्या, जंगल को छोड़कर गांव के तरफ पहुंच रहे हैं वन्य प्राणी

मैनपुर:- उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के घनें जंगलो को इस वर्ष सबसे ज्यादा नुकसान लगातार आगजनी से हुआ है, मार्च और अप्रैल का अगर रिकार्ड देखे तो उदंती अभ्यारण्य सीतानदी अभ्यारण्य और बफर जोन एरिया में 150 से ज्यादा बार डेढ माह के भीतर जंगलों के भीतर जगह जगह भारी आगजनी हुई है और इस आगजनी से पुरा घने व हरे भरे जंगल की सेहत पुरी तरह बिगड़कर रह गई है। आलम यह हो गया है कि जंगल के भीतर और मुख्य नेशनल हाईवे के किनारे सड़क में कई कई किलोेमीेटर तक जंगल में आग लगने के कारण जंगल के कई स्थानों पर छोटे छोटे घांस, फुंस हरे चारे और छोटे छोटे पेड पौधें जलकर पुरी तरह राख में जंगल तब्दील हो गया है, जिसके कारण वन्य प्राणियो के सामने हरा चारा के साथ जंगल के भीतर पीने के पानी को लेकर समस्या उत्पन्न हो गई है। और गर्मी के इन दिनो में जंगल के भीतर हरा चारा और पर्याप्त पानी नहीं मिलने के कारण वन्य प्राणी लगातार घने जंगलों को छोड़कर गांव के आसपास मंडराते देखा जा सकता है जिसकी लगातार जानकारियाॅ विभाग के स्थानीय अमले तक पहुंचाई जा रही है। और तो और वन्य प्राणियों के गांव के तरफ आने से जंहा वन्य प्राणियों के हमले से ग्रामीणो में दहशत देखने केा मिल रहा है तो दुसरी तरफ वन्य प्राणियों के अवैध शिकार की भी संभावनाए बढ़ गई है।

पिछले दिनों टाईगर रिजर्व क्षेत्र के इदागांव देवभोग वन परिक्षेत्र में एक जंगली सुअर पानी की तलाश में जब गांव की तरफ पहुचा तो उसका अवैध शिकार किया गया, लेकिन इस मामले में विडियो वायरल होने से 14 आरोपियों को जेल भेजा गया गया है न जाने इस तरह कितने वन्य प्राणी अवैध शिकार के शिकार हो जा रहे है।

मार्च में सबसे ज्यादा जंगल में आग लगी, वन विभाग के सुरक्षा के दावों की खुली पोल

महुआ फुल की सीजन क्षेत्र के जंगलों के लिए काल साबित हुआ है। बताया जाता है कि महुआ फुल संग्रहण के साथ ही तेन्दुपत्ता संग्रहण के लिए हर वर्ष जंगलो में बडे पैमानों पर आग लगा दी जाती है वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र में इस वर्ष मार्च में सबसे ज्यादा आगजनी की मामले सामने आए है, जिसकी बकायदा जानकारी सेटेलाईट के माध्यम से विभाग के आला अधिकारियों तक पहुचती रही है, साथ ही अप्रेल माह के प्रथम सप्ताह में भी जमकर जंगल के भीतर आगजनी हुआ है। मुख्य मार्ग नेशनल हाईवे के किनारे जब जंगल आगजनी से नही बचा है, तो भीतर का आलम क्या होगा। पहाड़ों में तो इस बार ऐसा आगजनी हुआ है कि कई कई दिनाें तक पहाडो के जंगलो में आग धधकते रहे और अभी भी नेशनल हाईवे तथा गांव से आसपास के पहाड़ों में आग शाम के समय देखा जा सकता है। आग से उदंती अभ्यारण्य सीतानदी अभ्यारण्य की जंगल सुरक्षित नही है, अभ्यारण्य में लगातार आग लगने से वन प्राणियों के लिए यह बेहद खतरनाक साबित हो रही है, वन अधिकारी वनों को आग से बचाने ग्रामीणो को जागरूक करने का दावा कर रहे हैं और जगह जगह फायर वाचर नियुक्त किया गया है लेकिन आगजनी की घटना ने विभाग के तमाम सूचना तंत्र और सुरक्षा के दावों का पोल खोलकर रख दिया है।

आगजनी के कारण पहाड़ों में पेड़ पौधों को भारी नुकसान हुआ है

गर्मी के सीजन लगते ही क्षेत्र के जंगलो मे भीषण आगजनी कि शिकायत लगातार मिलती रही है और उदंती सीतानदी टाईगर रिवर्ज क्षेत्र सहित क्षेत्र के अधिकांश जंगलो मे वन अग्नि ने यहां के जंगलो की सेहत बिगाड़ डाली है जिससे जहां पर्यावरण को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है। वहीं दूर्लभ वन औषधी व बड़ी मात्रा मे पेड़़ पौधे नष्ट हो गये है। जंगल के अंदर जगह जगह भीषण आग लगने के बाद अब वहां सिर्फ राख ही दिखाई दे रहे है छोटे छोटे पेड़ पौध जलकर नष्ट हो गये हैं। आग की तपिश ने जंगल के अंदर कई स्थानो पर दस दस फीट तक पेड़ पौधो को भारी क्षति पहुंचाई है जिसके चलते शाकाहारी वन्यजीवो के सामने चारा की भी समस्या उत्पन्न हो गई है। इस भीषण गर्मी मे जंगल के अंदर अधिकांश नदी नाले पोखर सूख जाने और जंगल मे आग के बाद छोटे छोटे पौधे व चारे नष्ट होने से वन्यप्राणी व्याकुल हो गये हैं। खासकर शाकाहारी वन्यप्राणियो के सामन चारा पानी कि दिक्कते उत्पन्न हो गई है और वे प्यास बुझाने के लिये जंगल को छोड़ मानव बसाहट गांवो के आसपास मंडराने लगे है। जिसके कारण वन्यप्राणियो के शिकार की भी संभावनाएं बड़ गई है मिली जानकारी के अनुसार जंगलो के अंदर लगातार आग लगने से सबसे ज्यादा नुकसान पहाड़ियो के प्राकृतिक जंगल को होता है। उनके पेड़ पौधो को जो नुकसान होता है उसकी भरपाई किया जाना असंभव है क्योकि जमीनी ईलाको के जंगलो मे फिर से पेड़ पौधे लगाये जा सकते है लेकिन पहाड़ों के प्राकृतिक पेड़ पौधो के नष्ट होने के बाद वहां दोबारा पेड़ पौधे उगाना असंभव सा होता है। इस वर्ष क्षेत्र के जंगलों मे भीषण आग जनी से भारी क्षति पहुंची है जबकि हर वर्ष जंगलो को आग से बचाने के लिये वन विभाग द्वारा कई तरह के कार्यक्रम प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। बड़ी संख्या मे जंगल को आग से बचाने के लिये फायर वाचर अग्नि दस्ता नियुक्त किया जाता है और तो और सेटेलाईट के माध्यम से भी वनों मे आग लगने की सुचना विभाग को मिलती रहती है। बावजूद इसके लगातार आगजनी के कारण जंगल क्षेत्र की स्थिति बेहद खराब हो चली है। मैनपुर गरियाबंद व देवभोग मुख्य मार्ग मे जगह जगह जंगल के अंदर बड़ी भू भाग मे आग लगने के बाद उसके नुकसान व आगजनी से पेड़ पौधो के नष्ट होने के निशान अभी भी दिखाई दे रहा रहा है। बहरहाल इन दिनो जंगल मे आग लगने के बाद शाकाहारी वन्यप्राणी जैसे चीतल, हिरण, सांभर, खरगोश, नीलगाय, गौर सहित कई वन्यप्राणियो के सामने चारा और पानी की परेशानी उत्पन्न हो गई है और जो उन्हे हरा चारा जंगल के अंदर आसानी से उपलब्ध हो जाता था अब नही हो पा रहा है और चारा और पानी कि तलाश मे वन्यप्राणी गांवों की तरफ रूख कर रहे हैं जिससे उनके सुरक्षा को लेकर गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है।

क्या कहते है वन अफसर

उदंती सीतानदी के सहायक संचालक मनेन्द्र सिदार ने चर्चा में बताया कि उदंती अभ्यारण्य में इस वर्ष 120 स्थानों पर आगजनी की घटना दो माह के भीतर सामने आई है, लेकिन वन विभाग फायर वाचर, एंव वनकर्मचारियों के मदद से आग पर काबू पाया है। उन्होने बताया कि वनों के आग से बचाने लगातार कोशिश किया जा रहा है ।

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