जिम्मेदार कौन, विद्यार्थी या अफसरशाह ?, परीक्षा के बाद उत्तरपुस्तिका कॉलेज जाकर नहीं दे सकते बल्कि…
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- बिलासपुर रतनपुर से विनोद सिंह यादव की रिपोर्ट
कॉलेजों में अंतिम वर्ष और प्राइवेट विद्यार्थी कोरोना काल में घर में बैठकर परीक्षा लिख रहे हैं। परीक्षा के बाद उत्तरपुस्तिका कॉलेज जाकर नहीं दे सकते बल्कि रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए भेजनी है। भेजने का इंतजाम डाकघर में है। शनिवार को महामाया मंदिर मार्ग के उप डाकघर पर तीन घंटे तक लंबी कतार लगी थी। विद्यार्थी मास्क तो लगाए रहे लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर सके।
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कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए 5 दिन पहले जब उत्तर पुस्तिकाओं को जमा करने के लिए स्टूडेंट्स कॉलेज में आने लगे थे और वहां भीड़ जुटने लगी तो एग्जाम के बाद पांच दिन के भीतर उत्तरपुस्तिकाओं को रजिस्टर्ड डाक या स्पीड पोस्ट से भेजने के लिए कहा गया है। जहां सुबह से ही महिला, लड़कियां, लड़के अपने परिजन के साथ आए और लिफाफा लेकर कतार में लग गए।
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कॉलेज के विद्यार्थियों की बड़ी संख्या में उप डाक घर में भीड़ लग गई। डाकघर भीड़ को लेकर पूरी तरह बेखबर दिखा। ग्रामीण इलाके और नगर के स्टूडेंट्स भी उप डाक घर रतनपुर में उत्तरपुस्तिकाओं को भेजने के लिए पहुंच गए। जबकि सितंबर में डाकघर के दो कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव आए तो डाकघर 24 घंटे के लिए बंद कर दिया गया था । जहां पर शनिवार को 3 घंटे तक लंबी लाइन लगी रही ।
इस दौरान काउंटर पर डाक ली जाती रही। जिसके चलते कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा है। दुकान, सड़कों पर भीड़ न करने की सलाह दी गई है लेकिन डाकघर के अफसर संक्रमण के खतरे से बेखबर दिखे। जब इस मामले के संबंध में केपी देवांगन एसपीएमओ उप डाकपाल रतनपुर से जानकारी लिया गया तो उनका कहना था कि स्टूडेंट अधिकारी कर्मचारी के साथ दुर्व्यवहार करते हैं इसलिए उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग मास्क पहनने के लिए बोलना ही बंद कर दिया है ।